कृषि उपज मंडी की
जांच प्रारंभ
(अभिषेक दुबे)
नई दिल्ली (साई)।
किसानों के हित साधने के लिए पाबंद सिवनी कृषि उपज मंडी की मुख्यमंत्री से की गई
शिकायत पर जांच बिठा दी गई है। गौरतलब है कि कई दिनों से गोरखधंधे के चलते मशहूर
हुई सिवनी कृषि उपज मंडी की शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी गई थी।
इसी शिकायत की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने सहायक संचालक जबलपुर पीयूष शर्मा को
सिवनी भेजा।
ज्ञातव्य है कि
अनेक समाचार पत्र द्वारा मंडी के खेल को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया गया था और
इसकी शिकायत भी। प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच अधिकारी ने समाचार पत्र के
प्रबंधन से उक्त शिकायतों के सबूतों की मांग की थी, जिस पर एक सीडी में
मंडी में हो रहीं अनेकों गड़बडिय़ों की डाक्यूमेंट्री बनाकर उन्हें प्रेषित की गई।
साथ ही साथ सिवनी में विगत कई वर्षाे से पदस्थ अधिक ारियों के आलीशान घरों की
तस्वीरें भी दी गई,
जिनमें यह प्रश्र था कि एक छोटी सी शासकीय नौकरी करने वाले
कर्मचारी के पास लाखों का आशियाना बनाने पैसा कहां से आया?
आये हुए जांच
अधिकारी से और भी अन्य शिकायतें की गई, जिनमें मुख्य रूप से नगर के बुधवारी बाजार, शंकर मढिय़ा, गंज, छिंदवाड़ा नाका के
पास अवैध रूप से जो प्रायवेट खरीदी की जाती है, उसकी जांच की मांग
की गई। मंडी में रखे व्यापारियों के तौल कांटों और इन अवैध खरीदी करने वालों के
तौल कांटे की जांच आपके द्वारा कब- कब की गई है। क्या इनके पास नापतौल विभाग का
प्रमाण पत्र प्राप्त है?
किसानों की
समस्याओं को उठाते हुए शिकायत हुई कि हमालों से 08 रूपए प्रति बोरा
वसूला जाता है, जबकि मंडी
अधिनियम के अनुसार 06 रूपए
प्रति बोरा दिया जाना चाहिए। किसानों का शोषण केवल यही नही हो रहा बल्कि प्रदेश के
मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने उनके खाने के लिए मंडी के भीतर ही फ्री भोजन की
सुविधा उपलब्ध कराई थी, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे खरीदी सीजन में यह
केंटिन खुली तक नहीं और खाना तो दूर की बात है, गरीब किसानों को
यहां पानी तक मुश्किल से नसीब हुआ।
मंडी के व्यापारी
मंडी में माल न खरीदकर अपनी दुकानों से तो खरीद ही रहे हैं। इस खरीदी की पर्ची वे
मंडी के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर बनवा देते हैं और ट्रकों को भी अपनी कुर्सी के
दम पर बार्डर क्रास करा ले रहे हैं, जिससे लाखों के राजस्व की हानि हो रही है और
ये अधिकारी मलाई नोच रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि इस पूरे गोरखधंधे की कहानी
कैमरे के सामने नगर के मशहूर सेठ के द्वारा बताई गई है, जो लगभग पूरी खरीदी
का एक बड़ा हिस्सा स्वयं करता है। ऐसा माना जाता है कि उक्त व्यापारी राग लपेट न
करके सीधा लेनदेन पर विश्वास रखता है, जिसके चलते उसे अधिकारियों से भी कोई डर
नहीं देखा। उसका कहना है कि यदि ये अधिकारी जाते हैं तो अगले से भी ऐसे ही सेटिंग
हो जाती है।
अंत में कुछ और
पुख्ता सबूतों की प्रस्तुति के लिए जांच अधिकारी से जांच की समय सीमा बढ़ाये जाने
की मांग की गई, जिस पर
मौखिक रूप से जांच करने आए सहायक संचालक पीयूष शर्मा ने अपनी सहमति प्रदान की।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उक्त पूरी जांच की विषय वस्तु वे मुख्यमंत्री को
प्रेषित कर अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे, जिससे जल्द से जल्द परिणाम हमारे सामने
होंगे। आशा है कि स्थानांतरण की समय सीमा 15 जून से बढ़कर 15 जुलाई कर दी गई है
तो इस बीच मंडी को इन भ्रष्ट अधिकारियों से मुक्ति मिल पाएगी। अब सभी की नजरें
जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है कि पिटारे में से कौन सा जिन्न निकलता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें