कलाम के अनछुए
पहलू!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
देश में दिल्ली के रायसीना हिल्स पर स्थित महामहिम राष्ट्रपति आवास और कार्यालय का
अपना अलग ही महत्व है। अगले माह रिक्त होने वाले इस आवास में कौन काबिज होगा इसके
लिए सियासी जोड़ातोड़ आरंभ हो चुकी है। टीएमसी नेता ममता बनर्जी और सपा सुप्रीमो
मुलायम सिंह यादव ने पूर्व महामहिम राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम आगे बढ़ाकर लोगों
को चौका दिया है। सहज स्वभाव के धनी कलाम साहब भले ही सियासतदारों के निहित
स्वार्थों के चलते रायसीना हिल्स दोबारा ना पहुंच पाएं पर उनकी सादगी के बारे में
प्रस्तुत हैं कुछ अविस्मरणीय प्रसंग जो महमहिम राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों ने
बताए:
राजग के कार्यकाल
में जब 2002 में
महामहिम राष्ट्रपति के चयन की बारी आई तब कई नामों पर विचार के बाद भी अटल बिहारी
बाजपेयी का मन नहीं माना। इसी दर्मयान नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ने अंतरिक्ष
पर शोध करने वाले एक वैज्ञानिक का नाम सुझाया। यह नाम कलाम साहब का था। उस दर्मयान
कलाम साहब सेवानिवृत्ति के उपरांत चेन्नई विश्वविद्यालय के होस्टल के एक छोटे से
कमरे में एकाकी तौर पर जीवन यापन कर रहे थे।
अटल जी को ‘नेताजी‘ की बात जम गई और
उन्होंने बिना एक क्षण गंवाए हुए राजग और भाजपा के ट्रबल शूटर स्व.प्रमोद महाजन को
बुला भेज। प्रधानमंत्री निवास पर अटल जी और स्व.महाजन की चर्चा के उपरांत कलाम
साहब की खोज आरंभ की गई। पता चला कि वे चेन्नई में हैं। सब तरफ पतासाजी के बाद भी
किसी के पास कलाम साहब से संपर्क करने के लिए नंबर मौजूद नहीं था। इसी बीच रात भी
गहराने लगी थी।
तीक्ष्ण बुद्धि के
धनी प्रमोद महाजन ने तत्काल ही चेन्नई के जिला कलेक्टर को फोन मिलाया और उनसे कहा
कलाम साहब का नंबर मांगा। वहां पता चला कि कलाम साहब तो मोबाईल फोन रखते ही नहीं
हैं। चूंकि जिलों में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सीधे सीधे केंद्र
सरकार के कार्मिक विभाग के अधीन रहते हैं अतः प्रमोद महाजन ने कलेक्टर को आदेश
दिया कि एक नया मोबाईल खरीदकर कलाम साहब को दिया जाए और अगर वे सो भी रहे हों तो
जगाकर उनकी माननीय वज़ीरे आज़म से बात करवाई जाए।
फिर क्या था
कलेक्टर ने एक अदद फोन मंगवाया नया नंबर लिया और फिर कलाम साहब की बात पीएमओ में
बैठे प्रमोद महाजन से करवाई। प्रमोद महाजन ने सविस्तार सारी बातें कलाम साहब को
बताई और उनकी रजामंदी हासिल कर ली। इसके बाद का परिदृश्य सभी के सामने है। कलाम
साहब देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय और निर्विवादित महामहिम रहे हैं।
कलाम साहब के बारे
में कहा जाता है कि जब तक वे राससीना हिल्स के महामहिम राष्ट्रपति के आवास में रहे
तब तक उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार को ही प्रथमिकता दी है। कलाम साहब रात का
खाना देरी से खाया करते थे। अमूमन महामहिम के प्रोटोकाल के हिसाब से जब तक महामहिम
भोजन ना कर लें तब तक कोई भोजन नहीं करता था।
महामहिम के तौर पर
कलाम साहब ने इस प्रथा को बंद करवा दिया। उनके लिए महज एक रसोसिया ही रात को देर
तक जागता था, और उन्हें
खाना खिलाकर सो जाता था, इसके बाद उसकी दूसरे दिन सुबह की छुट्टी होती थी। इतना ही
नहीं महामहिम के तस्मे (जूते के बंद) बांधने के लिए सामंतशाही मानसिकता आज भी इस
भवन में है। जब पहली मर्तबा कलाम साहब के तस्मे बांधने पाबंद एक मुलाजिम पहुंचा तो
वे बेहद नाराज हुए और कहा कि वे आज तक अपने जूते के बंद खुद ही बांधते आए हैं और
आगे भी बांधेंगे।
इस तरह के सरल, सुलभ, ईमानदार, स्वच्छ धवल छवि के
व्यक्तित्व को अगर दुबारा देश के शीर्ष पद पर बिठाया जाता है तो निश्चित तौर पर यह
देश का सौभाग्य ही माना जाएगा, किन्तु देश पर आधी शताब्दी से ज्यादा राज
करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस का नेतृत्व जब से इटली मूल की श्रीमति
सोनिया गांधी के हाथों में पहुंचा है तबसे देश की दिशा और दशा ही बदल गई है। अब
देश के शीर्ष पद पर काबिल व्यक्तित्व के स्थान पर अपने अपने रबर स्टांप को बिठाने
की होड चल पड़ी है।
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