प्राकृतिक संसाधनों
पर आवंटन सिर्फ नीलामी से नहीं
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)।
सरकार ने उच्चतम न्यायालय में बताया है कि वह प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन सिर्फ नीलामी
के जरिये करने तक सीमित नहीं कर सकती। आवंटन का तरीका इस बात पर निर्भर करेगा कि
उसका उद्देश्य क्या है। महाधिवक्ता जी. ई. वाहनवती ने प्रधान न्यायाधीश एस. एच.
कापड़िया की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने सरकार का पक्ष
रखते हुए कहा कि किसी मामले में आवंटन का कौन सा तरीका उपयुक्त है, इसका फैसला करने से
पहले यह देखना होगा कि उस संसाधन या संपत्ति को क्यों आवंटित किया जा रहा है।
संविधान पीठ, टू-जी स्पैक्ट्रम
आवंटन मामले में दो फरवरी के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर राय मांगने के
राष्ट्रपति के अनुरोध पर सुनवाई कर रही है। इस फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा
था कि सभी क्षेत्रों में सभी प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन नीलामी के जरिये होना
चाहिए।
उधर, गृहमंत्री पी
चिदम्बरम की अध्यक्षता में दूरसंचार से संबंधित मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह
ने राय मांगने के राष्ट्रपति के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक मौजूदा
दूरसंचार सेवा कंपनियों पर एकबारगी स्पैक्ट्रम शुल्क लगाने का फैसला टाल दिया है।
कल नई दिल्ली में मंत्री समूह की बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने
पत्रकारों को बताया कि सारे मुद्दे मंत्रियों के सामने रखे गए। उन्होंने कहा कि
मंत्री समूह ने फैसला किया कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के निर्णय का इंतजार
किया जाए और उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाए।
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