गड़करी की शह पर डकर
रहे पंवार!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
केंद्रीय मंत्री और मराठा क्षत्रप शरद पंवार अचानक ही सोनिया गांधी और
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन से क्यों खफा हैं? उनका नाराजगी का यह लट्टू किस बैटरी से करंट
पा रहा है? राकांपा सुप्रीमो
शरद पंवार की मांगे क्या हैं? इस तरह के प्रश्नों पर सियासी हल्कों में इन
दिनों शोध चल रहा है। कहा जा रहा है कि भाजपा के मराठा क्षत्रप नितिन गड़करी के
पावर प्लांट से शरद पंवार का लट्टू टिमटिमा रहा है।
शरद पंवार के करीबी
सूत्रों का कहना है कि मराठा क्षत्रप अचानक ही इतने उग्र नहीं हुए हैं। वे इस कदर
नाराज हैं कि उनके सहयोगी प्रफुल्ल पटेल भी उनके करीब जाने से डर रहे हैं। नंबर दो
की मांग तो एक बहाना है, दरअसल पंवार इस नाराजगी की आड़ में अपना कद बेहताशा बढ़ाने पर
आमदा हैं। पंवार चाह रहे हैं कि केंद्र में उन्हें चार कबीना मंत्री का कोटा मिले।
इनमें पंवार की पसंद वित्त, गृह, रक्षा और विदेश की हैै। इसके अलावा वे चाहते
हैं कि राज्य सभा में तारिक अनवर को उपसभापति भी बनाया जाए।
सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि यह सही वक्त है जब पंवार अपनी पुत्री सुप्रिया सुले
को केंद्र में कैबनेट मंत्री बना सकते हैं। दरअसल, राहुल गांधी द्वारा
बड़ी जिम्मेदारी लेने की बात के उपरांत ही पंवार ने अपने तेवर तल्ख करने के संकेत
दे दिए थे। एसा करके वे कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी यह संदेश देने का प्रयास कर
रहे हैं कि यही सही मौका है जब सारे नेता राहुल के साथ ही साथ अपनी आने वाली पीढ़ी
को केंद्र में मंत्री बनाकर तार सकते हैं।
उधर, पंवार के सहयोगी
प्रफुल्ल पटेल को साधने के लिए कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी ने
पार्टी के एक बड़े नेता जिनका संसदीय क्षेत्र महाराष्ट्र सीमा से लगा हुआ है को
पाबंद किया हुआ था। उनके नाकाम होने के बाद यह महती जवाबदारी सोनिया ने अपने
राजनैतिक सचिव अहमद पटेल को दे दी है।
अहमद पटेल के
प्रयासों से अब प्रफुल्ल पटेल द्वारा शरद पंवार को शांत किए जाने का जतन आरंभ कर
दिया गया बताया जाता है। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों ने
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के निर्देश पर
एक विशेष लाईन पर भी काम किया जा रहा है, जिसके तहत प्रफुल्ल पटेल को राकांपा से
कांग्रेस में लाने पर विचार किया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि
पटेल को कांग्रेस की सदस्यता दिलवाने में सबसे बड़ी खामी यह है कि पंवार और पटेल के
व्यवसायिक हित काफी हद तक एक दूसरे से ही जुड़े हुए हैं। कांग्रेस से जुड़े एक बड़े
उद्योगपति नेता के साथ पंवार और पटेल ने विमानन कंपनी में भी निवेश किया बताया
जाता है। इतना ही चर्चा तो यहंा तक है कि दो बड़ी कंपनियों में पंवार का निवेश है
और उसकी देखरेख संभाल का काम प्रफुल्ल पटेल ही किया करते हैं।
सूत्रों ने यह भी
बताया कि प्रफुल्ल पटेल 10, जनपथ के संपर्क में हैं। पटेल को यह लालीपाप भी दिया गया है
कि अगर वे पंवार को ठुकराकर कांग्रेस की सदस्यता लेते हैं तो उन्हें गुजरात में
नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस की ओर से प्रोजेक्ट किया जा सकता है। गुजरात के
निजाम की कुर्सी का लाईलप्पा पटेल के ईमान को डगमगाता ही दिख रहा है।
इधर पंवार के करीबी
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि शरद पंवार पिछले दो महीनों
से भाजपा के निजाम नितिन गड़करी के सतत संपर्क में हैं। दोनों की पृष्ठभूमि व्यवसाई
होने के कारण दोनों के कामन फ्रेंड्स की तादाद भी जबर्दस्त ही है। इन्हीं मित्रों
के जरिए दोनों एक दूसरे पर डोरे भी डाल रहे हैं।
सूत्रों की मानें
तो समाजवादी क्षत्रप मुलायम सिंह यादव और शरद पंवार की दो गुपचुप मंत्रणाएं नितिन
गड़करी के साथ हो चुकी हैं। पंवार, गड़करी और यादव के त्रिफला द्वारा इन
संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है कि अगर सरकार को गिरा दिया जाता है तो क्या
परिस्थितियां निर्मित होंगी।
कहते हैं गड़करी ने
पंवार के नंबर दो बनने की और मुलायम के रक्षा मंत्री बनने की महात्वाकांक्षा को
भांपकर पंवार और यादव के सामने तुरूप का इक्का चलते हुए यह तक कह डाला कि अगर
दोनों मिलकर सरकार गिराते हैं तो भाजपा अपने राजग के सहयोगी दलों के साथ मिलकर
मुलायम सिंह यादव और शरद पंवार को बारी बारी से प्रधानमंत्री बनवाने में अपना
सहयोग प्रदान कर देगी।
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