गड़करी के दूत बने
शरद!
शरद के सहारे लाल किले पर झंडा फहराने का
स्वप्न देखते गड़करी!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भारतीय जनता पार्टी के निजाम नितिन गड़करी ने अगले आम चुनावों के लिए रोड मेप तैयार
करना आरंभ कर दिया है। एक के बाद एक रूठे भाजपाईयों को मनाकर उनकी घर वापसी के बाद
अब गड़करी की ने नाराज सहयोगी दलों को मनाने के लिए राजग संयोजक शरद यादव को अपना
अघोषित दूत बना लिया है। उधर, अरविंद केजरीवाल की गड़करी के खिलाफ होती तेज
धार ने अब शरद यादव को सोचने पर विवश अवश्य ही किया होगा।
भारतीय जनता पार्टी
के नेशनल हेडक्वार्टर 11, अशोक रोड़ से छन छन कर बाहर आ रही खबरांें पर अगर यकीन किया
जाए तो अगले आम चुनावों में सत्ता पर काबिज होकर 7, आरसीआर यानी रेस
कोर्स रोड़ (भारत गणराज्य के वजीरे आज़म का सरकारी आवास) को अपना आशियाना बनाने की
चाहत में दबे और सधे पांव चलने वाले नितिन गड़करी ने कुछ नए प्रयोग आरंभ किए हैं।
भाजपा में दूसरी
पारी पाने वाले अध्यक्ष नितिन गड़करी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
को बताया कि गड़करी ने शरद पंवार को पाबंद किया है कि वे राजग के सहयोगी दलों के
साथ मिलकर उन्हें एक सूत्र में पिरोने का काम करें। जिन दलों को राजग में भाजपा
फूटी आंख नहीं सुहा रही है उन्हें भाजपा के साथ तालमेल करने को राजी किया जाए।
त्रणमूल कांग्रेस
की नेत्री ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्यों में कथित तौर पर
आधार बनाने का काम शरद यादव द्वारा किए जाने का ‘प्रोपोगंडा‘ बहुत तेजी से किया
गया है। इसके अलावा हैदराबाद में चंद्रा बाबू नायडू, और ओम प्रकाश
चौटाला के लिए भी जनाधार जुटाने के लिए शरद यादव प्रयासरत दिख रहे हैं। कहा जा रहा
है कि शरद यादव की पतवार से नितिन गड़करी इस बार वेतरणी पार करने के इच्छुक हैं।
शरद यादव के एक
करीबी मित्र ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर ‘समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया‘ से चर्चा
के दौरान कहा कि शरद यादव द्वारा जिन प्रदेशों में ममता, चौटाला और नायडू के
लिए माहौल बनाया जा रहा है वहां जदयू तो पूरी तरह प्रभावहीन ही है। बेहतर होता कि
शरद यादव अपने घर को मजबूत करने का प्रयास करते ना कि अन्य सहयोगी दलों को।
शरद यादव द्वारा
भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी के लिए दूत का काम करने से बिहार में नितीश कुमार की
पेशानी पर पसीने की बूंदे साफ दिखने लगी हैं। दरअसल, बिहार के
मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा नरेंद्र मोदी के मसले पर भाजपा से नाता तोड़ने का
प्रयास किया जा रहा है। शरद यादव के इस कदम को नितीश समझ नहीं पा रहे हैं और एक
कदम आगे दो कदम पीछे की तर्ज पर वे कदम ताल करते नजर आ रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल को
भाजपा द्वारा कांग्रेस का एजेंट बताने पर केजरीवाल बुरी तरह भडक गए हैं। हाल ही
में उन्होंने भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ सौ एकड़ जमीन के घोटाले का खुलसा
किया है। इस घोटाले के बारे में जब शरद यादव से पूछा गया तो उन्होंने मौन साधते
हुए बस इतना ही कहा कि गड़करी सक्षम हैं उनकी पार्टी इसका जवाब दे।
उधर, नितिन गड़करी चाह
रहे हैं कि अटल बिहारी बाजपेयी के समय जिन दलों ने सरकार बनवाने में सहयोग दिया था
वे सभी इस बार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं किन्तु समस्या यह सामने आ रही है कि
भाजपा का हिन्दुत्ववादी चेहरा ही इन दलों की राह में शूल बो रहा है। सहयोगी दलों
के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह सामने आ रही है कि अगर वे भाजपा के पक्ष में खुलकर आती
हैं तो उनका मुस्लिम वोट बैंक फिसल जाएगा।
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