सरकार ही बढ़ा रही
मंहगाई
(प्रदीप चौहान)
नई दिल्ली (साई)।
देश में मंहगाई का ग्राफ आसमान को भी चिढ़ा रहा है, पर सरकार द्वारा
मंहगाई पर अंकुश नहीं लगाया जा पा रहा है। मंहगाई पर रोक नहीं लग पाने से आम आदमी
की कमर बुरी तरह टूट चुकी है। वहीं जानकारों का भी यही मानना है कि मंहगाई बढ़ाने
के लिए सरकार ही पूरी तरह से दोषी है।
जानकारों का मानना
है खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के लिए सरकार द्वारा की
जा रही स्टॉकिंग जिम्मेदार है। सरकारी एजेसियां तय सीमा से ज्यादा अनाज स्टोर कर
रही हैं, जिसका सीधा
असर बाजार पर पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि प्रस्तावित श्फू़ड सिक्युरिटी
ऐक्टश् के लिए सरकार पहले से ही तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि अगर यह ऐक्ट
बनता है, तो सरकार
इसी स्टॉक से आवंटन करेगी। लेकिन इस बीच सरकार ने सब्सिडी देने के बजाए लोगों को
कैश देने की योजना पर भी विचार करना शुरू किया है। अगर कैश बैक सिस्टम लागू किया
जाता है तो इस बफर स्टॉक का क्या किया जाएगा, यह बात साफ नहीं है।
उद्योग मंत्रालय की
वेबसाइट पर दी गई जानकारी पर नजर डालें तो अक्टूबर महीने में पिछले साल के मुकाबले
गेहूं की कीमत में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस वक्त सरकार से 4 करोड़ 20 लाख टन
गेहूं स्टोर किया है, जो कि बफर स्टॉक के नियमों के मुकाबले 3 गुणा ज्यादा है। ऐसे
में एक्सपर्ट्स के मुताबिक सरकार न तो सही वक्त पर गेहूं का स्टॉक रिलीज कर रही है
और न ही इसे एक्सपोर्ट कर रही है। इस वजह से बाजार में गेहूं की कमी हो गई है और
कीमतें बढ़ गई हैं।
जानकारों का कहना
है कि सरकार की कुछ नीतियां गलत हैं, तो कुछ को सही से लागू ही नहीं किया जा रहा।
यही वजह है कि महंगाई खुद सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ऐसे में
महंगाई को कम करने के लिए जरूरी है कि एक्स्ट्रा स्टोरेज को मार्केट में रिलीज़
किया जाए।
चीनी की कीमत भी
साल दर साल करीब 19ः की रफ्तार से बढ़ रही हैं। जुलाई में इंपोर्ट पर लगाई गई 10
पर्सेंट की ड्यूटी भी इसके लिए जिम्मेदार है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस वक्त
सरकारी एजेंसियों के पास स्टॉक बहुत ज्यादा है और इसे कम करने की जरूरत है।
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