गुजरात महासमर ने
उड़ाई अहमद की नींद!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस में एक के बाद एक करके सबके शनी भारी होते दिख रहे हैं। कांग्रेस में
पर्दे के पीछे सर्वशक्तिमान समझे जाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष के राजनैतिक सचिव
अहमद पटेल की सियासी सांसों की डोर बंधी हुई है। अगर गुजरात में मोदी ने एक बार
फिर करिश्मा कर दिया तो निश्चित तौर पर अहमद पटेल को सियासी हाशिए में ढकेल ही
दिया जाएगा। राहुल गांधी के मुख्य भूमिका में शामिल होते ही अब सियासी धुरी में
परिवर्तन होता दिखने लगा है।
कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि कांग्रेस में अघोषित नंबर दो की स्थिति वाले
अहमद पटेल पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया
गंाधी को यह कहा गया है कि पहले तो ताकतवर महासचिव दिग्विजय सिंह के प्रभाव वाले
एमपी में फिर उनके और राहुल के प्रभाव वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की भद्द
पिटी और अगर अब सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल के प्रभाव वाले गुजरात में
कांग्रेस औंधे मुंह गिरी तो आने वाले समय में कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचेगा।
दरअसल, कांग्रेस के अंदर
सत्ता संघर्ष चरम और सड़कों पर आ चुका है। अहमद पटेल के घुर विरोधी सी.पी.जोशी की
अगुआई वाली कमेटी ने गुजरात में टिकिट वितरण में अहमद पटेल की सरेराह उपेक्षा कर
साबित कर दिया है कि अब सत्ता के केंद्र का हस्तांतरण तेज हो गया है। माना जा रहा है
कि अब अहमद पटेल की चलाचली की बेला आ चुकी है।
उधर, 12 तुगलक लेन (बतौर
सांसद राहुल गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
को बताया कि राहुल ने अपनी माता जी को साफ साफ कह दिया है कि अगर गुजरात में अहमद
पटेल कुछ नहीं कर पाए तो उन्हें घर बिठा दिया जाए। जमीन से जुड़े राहुल गांधी का
साफ कहना है कि बिना रीढ़ यानी चुनाव न जीतने वालों के भरोसे राजनीति करना अपने
पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
टीम राहुल के एक
सदस्य ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान
कहा कि राहुल गंाधी ने सोनिया गांधी से स्पष्ट कह दिया है कि गुजरात चुनाव के
उपरांत ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में फेरबदल या विस्तार किया जाए। राहुल के
इस अल्टीमेटम से साफ हो रहा है कि अहमद पटेल का भविष्य अब गुजरात चुनावों के
परिणामों पर ही पूरी तरह निर्भर कर रहा है।
अगर गुजरात में
कांग्रेस औंधे मुंह गिरी तो अहमद पटेल के खिलाफ पज रही तलवारों का रूख सीधे उनकी
ओर हो जाएगा। वैसे भी अब सोनिया गांधी से ज्यादा चार्म राहुल गांधी का हो गया है।
यही कारण है कि राहुल की नजदीकी पाने हर कांग्रेसी बेताब ही नजर आ रहा है। सूत्रों
का मानना है कि राहुल गांधी को अहमद पटेल के बाहुपाश से बचाना बेहद आवश्यक है और
इसके लिए बिसात बिछ भी चुकी है।
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