भाजपा के अंदर मच
गया है घमासान
(सोनल सूर्यवंशी)
भोपाल (साई)।
अनुशासित और काडर बेस्ड समझी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी में मची अंदरूनी कलह अब
सतह पर आने लगी है। पार्टी में अब नेताओं को बदनाम करने के लिए गुमनाम पत्रों की
राजनीति तेज हो गई है। हाल ही में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक लेने आए वरिष्ठ
नेता वेंकैया नायडू पर पर्चे के जरिए हमला बोला गया है। इस पर्चे में उनकी नेतृत्व
क्षमता पर ही सवाल उठाए गए हैं।
राज्य में भाजपा के
संगठन में हुए बदलाव के बाद से ही अंदरुनी तौर पर खींचतान चल रही है, पहले नए अध्यक्ष
नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा बनाई गई कार्यकारिणी में स्थान पाने के लिए नेताओं में
जोर आजमाइश चली। जो स्थान पा गए वे खुश हैं, और जिन्हें जगह नहीं मिली वे असंतुष्टों की
कतार में खड़े नजर आ रहे हैं।
पार्टी के नेता
इशारों-इशारों में हमले करने से नहीं चूकते। बात तोमर की ताजपोशी के कार्यक्रम की
करें तो तब निवर्तमान अध्यक्ष प्रभात झा ने अपरोक्ष रूप से मुख्यमंत्री शिवराज
सिंह चौहान पर हमला बोला था। उन्होंने अपने को अध्यक्ष पद से हटाए जाने की तुलना
पोखरण विस्फोट से कर दी थी।
नई कार्यकारिणी के
गठन के बाद तोमर ने राज्य से लेकर जिला स्तर तक के पार्टी पदाधिकारियों की पहली
बैठक वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू की मौजूदगी में बुलाई। नायडू के बैठक में पहुंचने
से पहले गुरुवार को ही एक विवादित पर्चा बांटा गया। इस पर्चें में नायडू की
नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं।
इस पर्चे में कहा
गया है कि वर्ष 1993 में नायडू
के गृह राज्य आंध्र प्रदेश में भाजपा के 34 विधायक थे और आज एक भी नहीं है। 20 वषरें मे
आंध्रप्रदेश में भाजपा की हालत ऐसी क्यों हुई कि एक भी विधायक नहीं है। पर्चें में
आगे कहा गया है कि बेंगलूरू के नगर निगम चुनाव में नायडू का भतीजा उसी वार्ड से
बुरी तरह हारा, जहां उनका
घर है। अंत में सवाल किया गया है कि जो स्वयं के प्रदेश में एक भी विधायक नहीं
जिता पाता, उसे दूसरे
राज्य में चुनाव टिप्स देने का क्या अधिकार है।
कथित तौर पर भाजपा
के एक कार्यकर्ता के द्वारा बांटे गए पर्चे ने पार्टी में भीतरी तौर पर चल रही कलह
को सामने ला दिया है। नायडू पर सवाल उठाने के पीछे उनके मध्य प्रदेश में बढ़ने वाले
संभावित प्रभाव को पहले ही रोक देने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। नितिन
गडकरी के कार्यकाल में राज्य में अनंत कुमार का दबदबा चलता था, मगर अब राजनाथ सिंह
के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद नायडू का प्रभाव बढ़ने की कवायद चल रही है।
उधर, पार्टी के
प्रदेशाध्यक्ष तोमर इस पर्चे को सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा बताते हुए कहते हैं कि
यह पार्टी कार्यकर्ता नहीं बाहरी व्यक्ति का काम है। पार्टी के पदाधिकारियों ने
नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि कि भाजपा में
राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अंदरूनी कलह चरम पर है और कोई भी एक दूसरे
पर हमले का मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता। यही कारण है कि वेंकैया मध्य प्रदेश
में आए और उन पर पर्चे से हमला बोला गया। इतना ही नहीं यह पर्चा राज्य में नहीं
बाहर से तैयार किया गया होगा, क्योंकि आंध्र प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को
मध्य प्रदेश के लोग कम ही जानते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें