शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

पौने तीन अरब का चढ़ावा मिला शिरडी के फकीर को!


पौने तीन अरब का चढ़ावा मिला शिरडी के फकीर को!

(विनीता विश्वकर्मा)

पुणे (साई)। पूरे विश्व में शिरडी के फकीर के नाम से विख्यात चमत्कारी साई बाबा के दर पर वर्ष 2012 में 274 करोड़ 71 लाख रूपए का चढ़ावा श्रद्धालुओं ने चढ़ाया। साई बाबा शिरडी संस्थान ट्रस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। संस्था के अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं ने विभिन्न रूपों में 36 किलोग्राम सोना भी चढ़ाया, जिसकी कीमत करीब 11 करोड़ रुपये है। हालांकि 2011 में संस्थान को 373 किलोग्राम चांदी समेत कुल 440 किग्रा धातु चढ़ावे के रूप में मिली थी।
साई बाबा संस्थान के अधिकारी ने बताया कि संस्थान ने हाल ही में खजाने के 37 किग्रा सोने और 513 किग्रा चांदी को गलवाकर सिक्के बनाए। इसके बावजूद उसके पास 300 किग्रा सोना और चार हजार किग्रा चांदी शेष है। उन्होंने बताया कि साल 2011 में संस्थान को चढ़ावे में 225.55 करोड़ रुपये नकद मिले थे। पिछले साल इसमें 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ। 274.71 करोड़ रुपये में 57 करोड़ रुपये संस्थान के दान काउंटर पर जमा हुए। 180.74 करोड़ रुपये दानपात्र जबकि 40 करोड़ रुपये चेक, ऑनलाइन और मनीऑर्डर के जरिए मिले।
ज्ञातव्य है कि पिछले साल विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों में संस्थान का फिक्सड डिपाजिट ख्सावधि जमा, 803 करोड़ रुपये था। जबकि 2011 में यह राशि 580 करोड़ रुपये थी। पिछले साल विदेशी मुद्रा में भी वृद्धि हुई। 2011 में जहां 628 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई वहीं 2012 में यह राशि बढ़कर 8.30 करोड़ रुपये पहुंच गई।
ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों देश के सबसे धनी मंदिरों में शुमार महाराष्ट्र के शिरडी में स्थित साई बाबा मंदिर को एक भक्त ने गुरुवार को एक किलोग्राम सोने का बना बर्तन दान दिया था। दिल्ली के श्रद्धालु द्वारा दान दिए गए इस बर्तन की कीमत करीब 32 लाख रुपये थी। इससे पहले इसी महीने मुंबई के एक श्रद्धालु ने आधा किलोग्राम सोने का बना लैंप मंदिर को दान में दिया था।
यहां उल्लेखनीय होगा कि देश भर में साई बाबा की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर लोगों ने निजी तौर पर मंदिरों का निर्माण करवा लिया है। इन मंदिरों से होने वाली आय का कोई हिसाब किताब नहीं रखा जाता है, जिससे बाबा के भक्तों को पीड़ा होना स्वाभाविक ही है। साई बाबा संस्थान से अपील की गई है कि वह देश भर के साई बाबा के मंदिरों के ट्रस्ट बनवाकर उन्हें रजिस्टर्ड करवाने की दिशा में पहल करे।

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