मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

विधायकों के खिलाफ माहौल बनाते पीआरओ


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 57

विधायकों के खिलाफ माहौल बनाते पीआरओ

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्तियों से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के खिलाफ आम जनता में रोष और असंतोष तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले दो दशकों से सिवनी जिले को उपलब्धि के नाम पर कुछ नहीं मिला है वहीं दूसरी ओर सरकार का भोंपू कहा जाने वाला जनसंपर्क विभाग सिवनी के बजाए छतरपुर जिले को मिलने वाली सौगातों का प्रचार प्रसार करवाकर स्थानीय तीन भाजपा विधायकों के मार्ग में शूल ही बोता नजर आ रहा है।
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में सिवनी जिले में परिसीमन के उपरांत पांच में से बीच चार विधानसभा सीटों में से सिवनी विधानसभा में भाजपा की श्रीमति नीता पटेरिया, बरघाट में भाजपा के कमल मस्कोले, लखनादौन में भाजपा की श्रीमति शशि ठाकुर और केवलारी से कांग्रेस के विधायक और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर विधायक हैं। सिवनी वासियों से यह बात छिपी नहीं है कि विधायकों के प्रयासों या अर्कमण्यता के चलते सिवनी के खाते में पिछले दो दशकों में कुछ भी नहीं आया है।
सिवनी की जनता प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। इसी बीच जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा एक विज्ञप्ति जारी की जाती है जिसमें तीन सिंचाई परियोजना को १,३८७ करोड की स्वीकृति शीर्षक से जारी समाचार में सिवनी डेट लाईन से कहा गया है कि मंत्रि-परिषद् ने छतरपुर जिले की बाँयीं नहर परियोजना के लिये ५४५ करोड ९० लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति और निवेश निकासी की अनुमति दी। परियोजना की रूपांकित सिंचाई क्षमता ४३ हजार ८५० हेक्टेयर है। मंत्रि-परिषद् ने रायसेन जिले की बारना वृहद परियोजना के विस्तार तथा इसे सुदृढ और आधुनिक बनाने के लिये ५८१ करोड रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति तथा निवेश निकासी की  अनुमति दी। इस योजना से वर्ष २०१२-१३ में ७५ हजार ८८ हेक्टेयर में सिंचाई की गयी। मंत्रि-परिषद् ने छतरपुर जिले की सिंहपुर बेराज मध्यम परियोजना के लिये २६० करोड ६३ लाख रुपये की पुनरीक्षित स्वीकृति तथा निवेश निकासी की अनुमति प्रदान की। परियोजना की रूपांकित क्षमता १० हजार २०० हेक्टेयर है।
इन परिस्थितियों में अब जिले की जनता मन ही मन यह सोच रही है कि आखिर उनसे कहां गल्ति हुई जो प्रदेश सरकार का खजाना सिवनी का नाम आते ही बंद हो जाता है। क्या उनके द्वारा भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को जनादेश देने में गल्ति हो गई या फिर कुछ ओर ही कारण हैं, जिससे सिवनी की झोली में कुछ भी नहीं आ पा रहा है। इसके साथ ही साथ जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा सिवनी के बजाए छतरपुर जिले के स्तुतिगान का क्या तात्पर्य है? अब इन परिस्थितियों में जनता जनार्दन के दिल दिमाग में यह प्रश्न कौंधना स्वाभाविक ही है कि कहीं कांग्रेस की सुविचारित रणनीति के तहत सरकार का जनसंपर्क महकमा इंस्टूमेंट बनकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के खिलाफ माहौल तो नहीं बना रहा है?

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