0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली
ट्रेन . . . 2
ब्रांच लाईन छोड़ एक्सटेंशन हो गया
गुलजार
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। महाकौशल और सतपुड़ा की
सुरम्य वादियों में चलने वाली छोटी लाईन की रेलगाड़ी को मुख्य तौर पर गोंदिया से
जबलपुर तक के लिए बनाया गया था। इस लाईन को बाद में मध्य के नैनपुर स्टेशन से
सिवनी और मण्डला फोर्ट तक ब्रांच लाईन बिछाई गई थी। आज नपुंसक नेतृत्व का नतीजा है
कि नैनपुर से सिवनी के जिस रेल खण्ड को छिंदवाड़ा जिले तक बढ़ाया गया था, उसमें छिंदवाड़ा से नैनपुर बरास्ता सिवनी
का रेलखण्ड आज भी अपने अमान परिवर्तन को तरस रहा है।
रेल्वे के जनकारों ने समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को बताया कि सतपुड़ा लाईन्स में गोंदिया से जबलपुर को मेन लाईन का दर्जा
दिया गया था, बाद में इसमें नैनपुर से सिवनी और नैनपुर से मण्डला रेल खण्ड जोड़ा गया
था। नैनपुर से सिवनी और नैनपुर से मण्डला रेल खण्ड को ब्रांच लाईन कहा जाता था।
सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि उस समय महज महज 81 लाख 33 हजार में बन गया था समूचा रेल खण्ड।
पेंचव्हेली कोलफील्डस से कोयला ढोने के
लिए इस लाईन का विस्तार बाद में छिंदवाड़ा तक किया गया था। आज छिंदवाड़ा ब्राडगेज से
जुड चुका है गोंदिया से जबलपुर का अमान परिवर्तन युद्ध स्तर पर जारी है। नैनपुर से
मण्डला और नैनपुर से छिंदवाड़ा के रेलखण्ड के आमन परिवर्तन के लिए यहां के
जनप्रतिनिधियों के पास शायद फुर्सत नहीं है। इतना ही नहीं जब भी रेल बजट में कोई
घोषणा होती है तो श्रेय लेने की राजनीति के चलते मीडिया इन बरसाती मेंढ़क राजनेताओं
के विज्ञापनों से पट पड़ता है।
भारतीय रेल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी
ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश की संस्कारधानी को गोंदिया से जोड़ने के लिए 143.43 मील का रेल खण्ड डाला गया था। इसके
उपरांत मध्य के स्टेशन नैनपुर को जंक्शन बनाते हुए यहां से सिवनी के 47.13 मील और मण्डला के 21.75 मील के लिए रेल लाईन बिछाने का काम
आरंभ हुआ था।
सूत्रों ने आगे बताया कि जब पेंच व्हेली
कोलफील्डस से कोयला निकालने का काम आरंभ हुआ तब सिवनी से छिंदवाड़ा के लिए 40.36 मील का रेल खण्ड बनया गया। इस तरह कुल 256.67 मील का नेरोगेज का रेल खण्ड प्रति मील 32 हजार 182 रूपए की दर से कुल 81 लाख 33 हजार रूपए में बनकर तैयार हुआ था।
तत्कालीन बंगाल नागपुर रेल्वे ने नागपुर
से छिंदवाड़ा के मार्ग को भी रेल की पातों से जोड़ दिया। इसके साथ ही साथ छिंदवाड़ा
से परासिया तक का रेल खण्ड 1907 में पूरा किया गया। नैनपुर से छिंदवाड़ा
का रेलखण्ड 1909 में पूरा कर लिया गया था जिसे यातायात के लिए 1913 में खोला गया था। नागपुर से छिंदवाड़ा
का यातायात भी इसी साल से आरंभ हुआ था। इसी के साथ ही भारतीय उप महाद्वीप में
संकीर्ण अर्थात नेरो गेज रेल लाईनों का सबसे बड़ा नेटवर्क पूरा कर लिया गया था।
जिसकी लंबाई 640 मील हो चुकी थी।
नेरो गेज रेल लाईन में सतपुड़ा लाइंस के
मार्ग में पड़ने वाले वैनगंगा पुल का उल्लेख विशेष तौर पर किया जाता रहा है। सौ फिट
के चौदह तो 170 फिट के छः खण्डों का सम्मिश्रण था इसमें। इसमें उपयोग में लाए गए छः
खण्ड कन्हान की ब्राड गेज से हटाए गए थे।
यहां सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि
नैनपुर सिवनी ब्रांच लाईन का एक्सटेंशन सिवनी छिंदवाड़ा परासिया था। आज रेल्व ने
ब्रांच लाईन के साथ सौतेला व्यवहार कर उसे जस का तस रखा है जबकि एक्सटेंशन लाईन
छिंदवाड़ा परासिया को ब्राडगेज में तब्दील कर गुलजार कर दिया है। पिछले बजट में इस
लाईन के विद्युतिकरण का प्रस्ताव भी कर दिया गया है।
(क्रमशः जारी)
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