गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

. . . मतलब षणयंत्र के तहत ही तोड़ी गई थी दीवार!


. . . मतलब षणयंत्र के तहत ही तोड़ी गई थी दीवार!

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का अस्तित्व जिस षणयंत्र के तहत समाप्त किया गया, अब उसकी काली छाया किसी ना किसी रूप में सिवनी के बस स्टेंड की निशानियों पर देखने को मिल ही जाती है। संचालन की पर्याप्त सुविधाओं के बावजूद भी सपनि के इस बस स्टेंड पर अतिक्रमण और अन्य कुव्यवस्थाएं दिखना आम बात हो गई हैै।
सड़क परिवहन के इस बस स्टेंड में चोबीसों घंटे ना जाने कितने वैध और अवैध वाहनों का आवागमन होता है। मजे की बात तो यह है कि इस बस स्टेंड के अंदर यातायात पुलिस की चौकी स्थापित होने के बाद भी यहां अवैध वाहनों का संचालन नहीं रूक पा रहा है, जिसके चलते आए दिन यहां लड़ाई झगड़े होते रहते हैं।
जानकारों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जब इस बस स्टेंड में सपनि की यात्री बसों का आवागमन होता था और अंतिम बार इसे सुसज्जित किया गया था तब यहां दो द्वार बनाए गए थे। इन द्वारों से नागपुर छिंदवाड़ा की ओर से आने जाने और जबलपुर, बालाघाट, मण्डला की ओर से आने जाने वाली यात्री बसें परिचालित होती थीं।
इन दोनों गेट के मध्य एक दीवार हुआ करती थी जिसके साथ ही सायकल रिक्शा स्टेंड संचालित होता था। पिछले दिनों यहां एक वाहन की टक्कर से यह दीवार कुछ क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस दौरान कुछ सायकल रिक्शे भी टूट फूट गए थे। उस समय लग रहा था कि संबंधित विभाग इस दीवार की मरस्मत करवा देगा।
विडम्बना ही कही जाएगी कि इस दीवार की मरम्मत करना तो दूर इस दीवार को समूल ही नष्ट कर दिया गया है। कुछ बस संचालकों ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अनेक बस संचालकों द्वारा बस स्टेंड के अंदर वाहनों की रेलमपेल और अधिक से अधिक समय तक अधिक से अधिक वाहन खड़े करने की गरज से इस टूटी दीवार को पूरी तरह ढहा दिया गया है।
वर्तमान में अनुबंधित बस के नाम से संचालित वैध और अवैध बसों के संचालकों की इस कारस्तानी की चर्चाएं जोरों पर हैं। यह बात भी समझ से परे है कि जानते बूझते इस बस स्टेंड का रखरखाव करने वाला अमला मौन क्यों धारित किए हुए है। गत दिवस जिला कलेक्टर भरत यादव ने भी बस स्टेंड का निरीक्षण किया है।
बताया जाता है कि राज्य परिवहन के अस्तित्व की समाप्ति के उपरांत इस बस स्टेंड से बस संचालन का काम क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सिवनी के कांधों पर रखा गया है। यहां काम करने वाले उंगलियों में गिने जाने वाले कर्मचारियों का वेतन भी यहीं से निकलना बताया जाता है। बावजूद इसके आरटीओ द्वारा इस दिशा में कोई ध्यान ना दिया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
जिले के प्रशासनिक मुखिया खुद शहर के अतिक्रमण को लेकर खासे संजीदा हैं, बावजूद इसके ना तो नगर पालिका और ना ही आरटीओ अथवा यातायात पुलिस द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही की जा रही है। सिवनी के बस स्टेंड को एक तरह से अतिक्रमण का असुर निगलने को तैयार ही बैठा हुआ है।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि जब राज्य परिवहन का संचालन का होता था तब भौगोलिक स्थिति के कारण सिवनी से चहुंओर नागपुर, जबलपुर, मण्डला, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, बालाघाट आदि की ओर वाहनों का संचालन होता था। इन वाहनों के लिए सिवनी एक केंद्रीय टर्मिनल का काम करता था।
सिवनी के सरकारी बस स्टेंड में बसों के संचालन के लिए दो हिस्से थे दोनों हिस्सों से अलग अलग दिशा में वाहनों का परिचालन होता था। उस समय यात्रियों की आवाजाही के बाद भी इस तरह की नौबत कभी नहीं आई, अब तो आए दिन बस स्टेंड पर झगड़े फसाद के साथ ही साथ जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है, वह भी तब जब यातायात पुलिस की चौकी यहां स्थापित है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने इसकी गहराई में जाना चाहा तो पता चला कि यह सब कुछ संरक्षण वादी प्रक्रिया के तहत शहर के बीचों बीच हो रहा है। मजे की बात तो यह है कि शहर में एक दर्जन के लगभग अघोषित बस स्टेंड बन गए हैं। इस बस स्टेंड का वर्कशाप वाला हिस्सा प्राईवेट मेक्सी कैब के संचालकों के कब्जे में चला गया हैै।

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