भोर होते तक चला कवि सम्मेलन
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव के अवसर पर सकल दिगम्बर
जैन समाज सिवनी द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के अवसर पर कवियों ने श्रोताओं को
गुदगुदाया,
हंसाया, चिंतन के साथ साथ तत्कालिक घटनाओं पर आधारित रचनाओं से मंच को
जोड़ा, किसी भी संवेदनशील विषय को न छेड़ते हुए राजनीति पर करारे
व्यंग्यों के माध्यम से रात्रि के तीसरे पहर तक काव्य रसिकों ने इसका भरपूर आनंद
लिया। कवियों का स्वागत एवं परिचय पारस जैन ने कराया, जबकि आभार संजय जैन संजू ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम के संचालक ग्वालियर से आये अतुल अजनबी ने दिल्ली एवं सिवनी के
घंसौर में घटित घटना पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हवस के हाथों तितली के पर भी नोच
लिये, बिना परो के फिजा में वह उड़ नहीं पाती, इसलिए तो रूखसत हुई है दुनिया से कि जिंदा रहके बहारो से उड़
नही पाती।्य ओज हास्य के सशक्त हस्ताक्षर धार से आये संदीप शर्मा ने जहां हास्य पर
आधारित वाहवाहके कई जुमले दिये वही ओज की रचना देते हुए कहा कि अरे त्याग का रंग, राष्ट्र कलंगी नहीं हो सकता, कुछ भी हो जाये, भगवा आतंकी नहीं
हो सकता।
झांसी से आये देवेंद्र नटखट ने आध्यात्म से ओतप्रोत रचना के माध्यम से
अपनी बात रखते हुए कहा कि दल को नहीं दिलों को रंग ले, तू अबीर बन जायेगा, चीर नहीं रे पीर
हरे तू शूरबीर बन जायेगा, सत्य अहिंसा, अपरिग्रह से तपकर शुद्ध हुआ तो सच कहता हूं तू युग का महावीर
बन जायेगा।
श्रृंगार से ओतप्रोत रचना के माध्यम से भिण्ड से पधारे राजेश शर्मा ने कहा
कि उन्हीं बेदर्द लहरों के इशारों पर लिखा होगा, किसी ने नाम मेरा, जब किनारों पर
लिखा होगा,
दिलों पर अब भी लिखा लो ढाई आखर प्रेम का, वरना यहां खुशहाल बस्ती थी, नजारों पर लिखा होगा।
संवेदना से ओत प्रोम रचना के माध्यम से अपनी बात रखते हुए रविंद्र रवि ने
कहा कि बहारे लाख हो पर पतझड़ों को भूल मत जाना, बुलंदी पाके तू अपनी जड़ों को भूल मत जाना, दुआ करते हैं ये अक्सर तुम्हारी कामयाबी की, कभी भी भूलकर अपने बड़ों को भूल मत जाना।
इंदौर से पधारी कोकिला कण्ठ कवियित्री अंजली सराफ ने मां के चरणों का वंदन
करते हुए अपनी बात रखते हुए कहा कि जन्नत के फेरे मेरे सुबहों शाम हो गये, दुनिया के सारे पुण्य मेरे नाम हो गये, जब- जब भी मुझको मां ने यूं लगा लिया गले, भगवान की कसम है चारो धाम हो गये।
महाराष्ट्र के मालेगांव से आये सुंदर मालेगांवी ने जहां लोगों को अपनी
छोटी बड़ी रचनाओं से हंसाया, गुदगुदाया तथा
पारिवारिक जुमलों से हास्य की बात करते हुए कहा कि इश्त तो बेहिसाब कर डाला, खुद को बासी कबाब कर डाला, घेरकर मुझको मेरे सालों ने अगला पिछला हिसाब कर डाला। इस
दौरान वारासिवनी से पधारे मनोज पाराशर ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से चिंतन छोड़ा।
अंत में श्रोताओं ने यह कहने से भी नहीं चूक े कि गरिमा के अनुकूल लंबे समय बाद
कवि सम्मेलन सुनने तथा कविता का आनंद मिला है।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विनोद कौशल, चंदू वैसाखिया, दिनेश जैन, पारस जैन, सुनील जैन, सुनील कुमार, प्रभात जैन, विपनेश जैन, नीलेंद्र जैन, प्रभात बीडी जैन, आनंद जैन, प्रशांत जैन, सिद्धार्थ जैन, नीरज जैन, संजय नायक, संजय जैन का सराहनीय योगदान रहा।
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