आवारा मवेशी, सुअर, कुत्तों का है
शिव की नगरी में राज!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। सिवनी शहर को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। शिव के गणों की तादाद बेहद ज्यादा होती है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। शिव के गणों में हर कोई आता है। सिवनी का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां आवारा मवेशियों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। जिनके आंगन में बाउंड्री वाल नहीं है, वे परेशान हैं सुअरों से जो उनके घरों में जब चाहे तब घुस आते हैं। दुकानदार परेशान हैं आवारा मवेशियों से जो उनके प्रतिष्ठानों के सामने गोबर कर जाते हैं। शहर के कमोबेश हर मोहल्ले के निवासी परेशान हैं आवारा कुत्तों से जो राहगीरों को न केवल भौंकते हैं वरन उन्हें काटते भी हैं। नगर पालिका अपने मूल दायित्वों को छोड़कर पैसा कमाने के अड्डे में तब्दील हो चुकी है।
सिवनी शहरी सीमा के अंदर न जाने कितने आवारा मवेशी सड़कों पर आवागमन को प्रभावित करते नजर आते हैं। जिला कलेक्टर के कार्यालय के मुख्य द्वार पर ही आवारा मवेशी सड़क पर आराम फरमाते नजर आते हैं। बारिश के मौसम में कुत्तों की फौज, मोहल्लों में छोटे बच्चों का जीना दूभर किए हुए है। आवारा सुअर का तो मत ही पूछिए, मोहल्लों के कचरों के ढेर और नालियों को उलट-पलट कर, सुअर गंदगी को और बुरी तरह फैलाती नजर आती है।
परेशान हैं दुकानदार!
दुकानों के सामने ये आवारा मवेशी धमा चौकड़ी मचाते रहते हैं। अनेक प्रतिष्ठानों के सामने तो देर रात ये गोबर, मल आदि का त्याग भी कर देते हैं। सुबह सवेरे प्रतिष्ठानों के संचालक गंदगी को साफ करते हुए देखे जा सकते हैं। बुधवारी, बारापत्थर आदि क्षेत्रों में सुबह सवेरे मवेशियों का मल उठाते दुकानदारों की हालत अपने आप में निरीह होने का अहसास करती है।
जिला दण्डाधिकारी दे चुके हैं स्पष्ट निर्देश!
जिले के युवा एवं संवेदनशील जिलाधिकारी भरत यादव के द्वारा अनेक बार बैठकों के दौरान इस आशय के ‘कड़े‘ निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि आवारा मवेशियों की धरपकड़ की जाए। ये मवेशी आवागमन में बाधा न बनें, इस बारे में भी जिला कलेक्टर के द्वारा नगर पालिका, नगर पंचायत, ग्राम पंचायतों को स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं। अब समस्या यह सामने आ रही है कि जिला कलेक्टर के निर्देशों की हुक्म उदूली जिला मुख्यालय में नगर पालिका द्वारा ही की जा रही हो तो भला बाकी इलाकों की कौन कहे।
26 जुलाई को की गई थी कार्यवाही!
नगर पालिका परिषद सिवनी द्वारा 26 जुलाई को अवश्य ही एक दिन के लिए आवारा कुत्तों की धर पकड़ की कार्यवाही की गई थी। पालिका की यह कार्यवाही दिखावा ही साबित हुई क्योंकि उसके बाद पालिका ने इस कार्य से अपने हाथ ही खींच लिए थे। शहर भर में सड़कों पर बैठे जानवर, विशेषकर काले या स्याह रंग के मवेशी, आने जाने वालों को दिखाई नहीं पड़ते हैं और वाहन चालक इनसे टकराकर, गिरकर चोटिल हो रहे हैं।
हो रही कलेक्टर की हुक्म उदूली!
जिला कलेक्टर के साफ और स्पष्ट निर्देश के बाद भी शहर में आवारा मवेशी, सुअर, कुत्ते जिस तरह कोहराम मचा रहे हैं उससे लगने लगा है कि कलेक्टर के आदेश की हुक्म उदूली में ही नगर पालिका परिषद को बेहद मजा आ रहा है। पालिका पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है, इस लिहाज से अब सिवनी के लोग यह मानने लगे हैं कि नगर पालिका परिषद के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी संगठन भी लोगों के धैर्य की परीक्षा लेने पर उतर आया है।
स्वाईन फ्लू को बढ़ावा दे रही पालिका
यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि स्वाईन फ्लू का वायरस, सुअरों के माध्यम से ही तेजी से फैलता है। शहर में मलेरिया के मरीज मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, दूसरी ओर शहर में आवारा घूमते सुअरों से स्वाईन फ्लू के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है। जाने अनजाने में राजेश त्रिवेदी के नेतृत्व में नगर पालिका प्रशासन लोगों को बहुत बड़ी बीमारी की गिरफ्त में ढकेलता नजर आ रहा है।
जरूरी है कुत्तों की नसबंदी
आवारा कुत्ते पकड़ने का कार्य मूलतः नगर पालिका परिषद का ही है, किन्तु कमीशन के चक्कर में उलझे नगर पालिका के कारिंदों का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। सारे शहर में एक ही चर्चा तेज है कि नगर पालिका परिषद में चल रहा ‘कमीशन‘ का ‘गंदा धंधा‘ लोगों का अमन चैन छीन रहा है। सारा शहर नरक बन चुका है, पर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी द्वारा कभी पार्षदों के साथ न देने का रोना रोया जाता है तो कभी संगठन द्वारा कथित तौर पर ‘उंगली‘ करने की बात कही जाती है। नगर पालिका परिषद ने अब तक कितने श्वान पकड़े और कितनों की नसंबदी कराकर उन्हें कहां छोड़ा, इस बारे मेें कोई जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराई जाती है।
नहीं पिटवाई जाती मुनादी
नगर पालिका परिषद में कमीशन के गंदे धंधे के चलते पालतू पशुओं को घरों में बांधकर रखने की न तो मुनादी पीटी जाती है और न ही समाचार पत्रों में इस तरह की सूचनाएं ही प्रकाशित करवाई जाती हैं। हालात देखकर लगने लगा है मानो नगर पालिका परिषद द्वारा आम जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के स्थान पर निर्माण कार्य, खरीदी आदि को ही सर्वोच्च प्राथमिकता बना लिया गया है। कहा जाता है कि इस काम में एक बार फिर कमीशन का गंदा धंधा ही कारिंदों को फायदा दिलाता है।
कांजी हाउस पर कितना खर्च!
शहर के अंदर नगर पालिका परिषद के स्वामित्व में एक कांजी हाउस भी है। यह कहां है, इस बारे में आज की युवा पीढ़ी को शायद ही पता हो। इस कांजी हाउस पर नगर पालिका प्रशासन द्वारा हर साल कितना खर्च किया जाता है, इस बारे में भी शायद ही किसी को कोई जानकारी हो। इस कांजी हाउस में नगर पालिका की कमान राजेश त्रिवेदी के संभालने के उपरांत कितने मवेशी पकड़कर रखे गए हैं, इस बारे में भी नगर पालिका के पास शायद ही कोई रिकॉर्ड हो।
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