बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 59
पीएमओ अपने पास ‘गिरवी‘ रखना चाहती हैं राजमाता
सोनिया और मन के बीच बढ़ती ही जा रहीं हैं दूरियां
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। देश के सबसे शक्तिशाली संवैधानिक पद (प्रधानमंत्री) और कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र (कांग्रेस अध्यक्ष) के बीच दूरियां घटने का नाम नहीं ले रही हैं। दोनों ही के बीच बढ़ रही दरारों से कांग्रेस के अंदर अब एक नई बहस ने जन्म ले लिया है कि क्या सोनिया गांधी वाकई में देश के प्रधानमंत्री कार्यालय को गांधी परिवार के पास गिरवी रखना सुनिश्चित करना चाहती हैं?
सोनिया गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि पूर्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मामला टाला नहीं गया है। इसे तो व्यवहारिक तौर पर वापस लिया गया है। इसका कारण सहयोगी दलों का अड़ियल रूख था। सूत्रों का कहना है कि इस पर न तो ममता बनर्जी ही अपना रूख बदलने को तैयार थीं और ना ही द्रमुक अपना ही रवैया बदलने को तैयार थी।
सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी को मशविरा दिया गया है कि अगर राहुल गांधी को देश का निजाम बनाना है तो उसके लिए सबसे बड़ा और जरूरी कदम यह है कि सरकारी खजाना गरीबों के लिए खोल दिया जाए। दो सालों में जब गरीब गुरबों के हाथ पैसा लगेगा तो वे कांग्रेस को दुआएं देने लगेंगे।
वहीं दूसरी ओर कुछ सलाहकारों ने सोनिया को यह भी सलाह दी है कि वर्तमान में वैसे भी केंद्र पोषित योजनाओं के धन में अपव्वय की शिकायतें आम हो चुकी हैं। गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों द्वारा केंद्र पोषित योजनाओं को अपनी बताकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है पर सूबाई कांग्रेस के संगठन और उन राज्यों के कोटे वाले मंत्री भी इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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