सोमवार, 23 जनवरी 2012

उत्तराखण्ड भाजपा में भूकम्प फटने की तैयारी


उत्तराखण्ड भाजपा में भूकम्प फटने की तैयारी

निशंक को किया जा रहा है टारगेट

कोश्‍यानी को फिर से उपेक्षित किए जाने की तैयारी

(चन्द्रशेखर जोशी)

देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड  में दो असामान्य्र बातें हुई, जिसमें पहली घटना टीम अन्ना द्वारा डा0 रमेश पोखरियाल निशंक को टार्गेट किया गया और निशंक की छवि को धूमिल करने के लिए टीम अन्ना से इस तरह के बयान दिलवाए गए। टीम अन्ना द्वारा निशंक के प्रति दिए गए बयान साफ जाहिर कर रहे थे कि यह सब प्रायोजित है, टीम अन्ना को देहरादून में लाना और निशंक को टार्गेट करके बयान दिलवाया जाना प्रायोजित कार्यक्रम माना गया,  खैर निशंक को अपमानित किए जाने के क्‍या परिणाम निकलेगें य्ाह तो समय्ा ही बताएगा परन्तु दूसरी घटना भगत सिंह कोश्‍यारी के बयान का भावार्थ हमारे द्वारा बारिकी से पोस्टमार्टम करने पर निकाला गय्ाा, जिसमें कोश्य्ाारी जी द्वारा कहा गय्ाा है कि सीएम बनाने का निर्णय्ा अंततः विधाय्ाकों की औपचारिक बैठक में निर्णय्ा लिय्ाा जाएगा।
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में टीम अन्ना द्वारा भाजपा को झ्ाटका दिय्ो जाने की बात कही जा रही है। टीम अन्ना ने भाजपा सरकार के पूर्व मुख्य्ामंत्र्ाी डा0 रमेश पोखरिय्ााल निशंक के कायर््ाकाल में हुए घोटाले का जिक्र करते हुए अपील की कि भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओ को कतई वोट न करें। टीम अन्ना के सदस्य्ा अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार में  टूजी, सीडब्ल्य्ाूजी समेत कई घोटाले हुए तो उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने भी कुम्भ जैसे घोटाले किय्ो। इसी वजह से तत्कालीन मुख्य्ामंत्र्ाी रमेश पोखरिय्ााल निशंक को जाना पडा। घोटालों में जाने वाले वह तीसरे मुख्य्ामंत्र्ाी थे। टीम अन्ना के दूसरे सदस्य्ा कुमार विश्वास ने कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में आरोपी सुरेश कलमाडी के स्टेट एडिशन उत्तराखण्ड में भी हैं। य्ाहां भी घोटाले हुए हैं और कुम्भ इसका उदाहरण है। घोटाले से जुडे लोगों को जनता को वोट नही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि य्ादि भाजपा सशक्त लोकाय्ाुक्त चाहती तो गुजरात तथा दूसरे राज्य्ाों में लोकाय्ाुक्त क्य्ाों नहीं लाती।
ज्ञात हो कि पिछले चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाय्ाा था। इस बार वही मुद्दा कांग्रेस ने पकडा है। निशाने पर है निशंक का कायर््ाकाल। पूछा जा है कि कांग्रेस और भाजपा कायर््ाकाल के मामलों पर केस क्य्ाों दर्ज नहीं हुए। निशंक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को कांग्रेस प्रमुख रूप से प्रचारित कर रही है। जबकि खंडूरी लोकाय्ाुक्त से जुडा कानून लाने का श्रेय्ा ले रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे निशंक पर भाजपा ने कोई कार्रवाई नहीं की।
वहीं दूसरी ओर भगत सिंह कोश्य्ाारी से मीडिय्ाा द्वारा सवाल पूछा गय्ाा था कि मुख्य्ामंत्र्ाी चुनने का अधिकार निर्वाचित विधाय्ाकों को नहीं होना चाहिए? इस पर भगत सिंह कोश्य्ाारी का जवाब था कि दोनों बातें हैं, य्ादि अभी से ही नेता घोषित करते हैं तो दिशा तय्ा रहेगी। चुनाव के बाद राष्ट्रीय्ा नेतृत्व किसी व्य्ाक्ति विशेष को नेता बनाना चाहे तो अंततः विधाय्ाकों की बैठक में ही औपचारिक निर्णय्ा लिय्ाा जाएगा। यानि भगतदा ने स्वीकार किया है कि तेल देखों और तेल की धार देखों, मतलब विधायकों को जीत कर तो आने दो, देखें भाजपा हाईकमान निर्णय किस तरह थोपता है। 2007 की गलती इस बार नहीं दोहरायी जाने वाली।
गौरतलब है कि भाजपा हाईकमान द्वारा बीसी खण्डूडी को मुख्य्ामंत्र्ाी घोषित किय्ाा जाना व विधानसभा चुनावों के दौरान खण्डूडी है जरूरी, का उदघोष भाजपा हाईकमान के गले की फांस साबित होगा। इस बार विधानसभा चुनावों में टिकट दिलावाने में भगत सिंह कोश्य्ाारी और त्र्ािवेन्द्र सिंह रावत खेवनहार बने थे। अब 4 मार्च को जीत कर आने वाले विधाय्ाक हाईकमान का निर्णय्ा सिर झ्ाुका कर मान लेगे, असम्भव लगता है। य्ाकीनन 2007 के विधानसभा चुनावों के बाद की स्थिति भाजपा में दोहराय्ाी जाएगी, जिसमें त्र्ािवेन्द्र सिंह रावत ने जनरल की कार पर घुंसा मारकर हाईकमान का निर्णय्ा न स्वीकारने की चेतावनी दी थी, और 2009 में जनरल का विकेट गिरा कर ही माने थे, 4 मार्च के बाद बीजेपी बडी पार्टी बनकर उभरी और उसे बहुमत मिला तो कोश्य्ाारी, त्र्ािवेन्द्र, निशंक-  आसानी से खण्डूडी है जरूरी - का नारा स्वीकार करने वाले नहीं होगें, चाहे स्वय्ां भाजपा का हाईकमान आकर देहरादून में बैठ जाय्ो, और ऐसे में तब हमारा एक आलेख लोकतांत्र्ािक भाजपा का होगा गठन, सत्य्ा साबित हो सकता है।
वहीं दूसरी ओर राजनीतिक प्रेक्षकों का है कि भाजपा ने भुवन चंद्र खंडूडी है जरूरी जैसा नारा तो पेश कर दिय्ाा लेकिन ठाकुर, ब्राह्मण जैसे जातिगत समीकरणों व कुमाऊं-गढवाल के क्षेत्र्ावाद के चलते य्ाह दांव कुमाऊं में उल्टा साबित होने का खतरा मंडराने लगा है। अभी तक भाजपा हो य्ाा कांग्रेस बिना मुख्य्ामंत्र्ाी घोषित किय्ो चुनाव लडने की रणनीति ही अपनाय्ाी जाती रही है परन्तु 2012 के चुनाव में भाजपा बीसी खंडूडी को अपने प्रस्तावित मुख्य्ामंत्र्ाी के रूप में प्रचारित कर रही है।
भाजपा द्वारा बीसी खण्डूडी को मुख्य्ामंत्र्ाी के रूप में घोषित करने पर कुमाऊं में इसका उल्टा प्रभाव भी आने का डर पैदा हो गय्ाा है, जिसके राजनीतिक दुरगामी दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं। भाजपा के रणनीतिकारों द्वारा इस तथ्य्ा को महसूस किय्ाा गय्ाा है।
कुछ भी हो, 4 मार्च के बाद चुनाव परिणाम के बाद भाजपा उत्तराखण्ड में सत्ता में आय्ो य्ाा नहीं, भूकम्प फटने की तैय्ाारी होने लगी है। यह भूकम्प उसी स्थिति में षांत रह सकता है अगर कोटद्वार के चुनाव परिणाम विपरीत आ जाये अन्यथा नियति तो काफी कुछ लिख चुकी है...बस समय का इंतजार है, आपको भी और हमें भी....।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Ye Khanduri ke khas Sarangi dwara prayojit kiya gaya karyakram hai. Uttar Pradesh ke NRHM ghotale me phansa ye bhrasht IAS khanduri ka beta bana phirta hai. Pahle Khanduri ka khas bankar Uttarakhand ko loota ab UP me NRHM ke paise khane pahunch gaya. Jail jayega ye ab.