बुधवार, 25 अप्रैल 2012

कपास किसानों के कथित मसीहा बने पवार मोदी!


कपास किसानों के कथित मसीहा बने पवार मोदी!

कपड़ा उद्योग के लिए खतरे की घंटी है पवार, मोदी की जुगलबंदी

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। कपास उत्पादक किसान इन दिनों राहत महसूस कर रहे हैं, इसका कारण दो बड़े सियासी लीडरान का उनके हितों में काम करना है। दोनों ही नेता इस बात के लिए एकजुट दिख रहे हैं कि हर कीमत पर कपास का निर्यात खोला जाए। इसके लिए वे हर तरह से जोड़ तोड़ करने में लगे हुए हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दोनों ही नेताओं का यह कदम किसानों के लिए आत्मघाती से कम नहीं है। सूत्रों ने कहा कि नेता द्वय भले ही किसानों के हितों की दुहाई दे रहे हों पर जमीनी हकीकत इससे उलट ही है। दरअसल वर्तमान में कपास का जितना निर्यात हो चुका है वह निर्धारित लक्ष्य का कई गुना से अधिक है।
सूत्रों ने बताया कि गुजरात के एक व्यवसाई हैं भद्रेश शाह। शाह ने अकेले ही निर्धारित लक्ष्य का डेढ़ गुना से अधिक निर्यात अब तक किया जा चुका है। यह निर्यात किसी और को नही वरन् चीन को किया गया है। इस तरह एक ही देश को इतनी अधिक मात्रा में निर्यात किए जाने और उस पर गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी और सेंट्रल एग्रीकल्चर मिनिस्टर द्वारा निर्यात की बात बार बार कहना खतरनाक ही माना जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि कपास चीन को निर्यात किया गया है। अब आशंका यह बलवती हो रही है कि कहीं देश के कपड़ा उद्योग को आने वाले दिनों में चीन से ही मंहगी कीमत पर सूत ना खरीदना पड़ जाए। अगर यह आशंका सच साबित हुई तो आने वाले दिनों में कपड़ों के दाम आसमान छू सकते हैं, तब देश में मंहगाई का ग्राफ एक बार फिर उछाल मार सकता है।

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