बुधवार, 30 मई 2012

धमाकों से दहशत में हैं आदिवासी!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  92

धमाकों से दहशत में हैं आदिवासी!

मनमाने तरीके से हो रही ब्लास्टिंग

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में कंट्रोल ब्लास्टिंग के अभाव में दिन रात होने वाले धमाकों से क्षेत्र दहल उठा है।

संयंत्र के सूत्रों का कहना है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के बरेला पावर प्लांट में निर्माण कार्य हेतु घंसौर के एक नेता नुमा ठेकेदार के संरक्षण में सारे कार्य संपादित किए जा रहे हैं। आरोपित है कि इस काम को अंजाम देने वाले निजी ठेकेदार द्वारा मनमाने तरीके से सुरक्षा को बलाए ताक रखकर ब्लास्टिंग करवाई जा रही है, जिससे ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है।

सूत्रों ने बताया कि घंसौर के एक नेता नुमा ठेकेदार के संरक्षण में नागपुर के सुनील हाईटेक कंपनी द्वारा गुण्डागर्दी और मनमाने तरीके से काम को अंजाम दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसको दी जाने वाली ब्लास्टिंग की अनुमति जिला कलेक्टर सिवनी के कार्यालय में विचाराधीन होने के बाद भी ठेकेदार द्वारा बरेला में तबियत से धमाके कर ब्लास्टिंग की जा रही है।

सूत्रों की मानें तो उक्त ठेकेदार द्वारा बरेला पावर प्लांट में संयंत्र के अंदर निर्धारित से ज्यादा गहराई तक ब्लास्टिंग के काम को अंजाम दिया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा गुण्डागर्दी के साथ की जा रही ब्लास्टिंग का खामियाजा सीधे सीधे बरेला, गोरखपुर और आसपास के गांव के गरीब गुरबे आदिवासी भुगत रहे हैं।

ग्रामवासियों ने बताया कि उक्त नेता नुमा ठेकेदार के संरक्षण में सुनील हाईटेक कंपनी द्वारा जब मन होता है या सुविधा होती है तब ब्लास्टिंग करवा दी जाती है। नियमानुसार ब्लास्टिंग के पूर्व इसकी मुनादी आसपास के प्रभावित गांवों में पिटवाकर उन्हें खतरे से आगाह करना आवश्यक होता है।

ग्रामीणों ने शिकायत करते हुए कहा कि निर्धारित से ज्यादा तेज धमाकों से उनके घर हिल रहे हैं। इस तरह की असुरक्षित ब्लास्टिंग का सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू यह है कि क्षेत्र में लोगों के जल स्त्रोत इसके चलते सूख गए हैं। इन तेज धमाकों की गूंज अनुगूंज जिला और पुलिस प्रशासन के कारिंदों को सुनाई अवश्य पड़ती होगी, किन्तु निहित स्वार्थों के चलते वे भी खामोशी अख्तियार करने पर मजबूर प्रतीत हो रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

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