मूल काम से भटके राजीव शुक्ला
कांग्रेस में पत्रकार
मंत्री पर प्रवक्ताओं का टोटा
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। पत्रकारिता की सीढी से चढ़कर
सांसद और फिर मंत्री बने राजीव शुक्ला इन दिनों पत्रकारिता लगभग भूल चुके हैं। केंद्र
में लाल बत्ती की मलाई चखने के साथ ही देश की सबसे धनाड्य संस्था बीसीसीआई में राजीव
शुक्ला का सिक्का चल रहा है। मूलतः पत्रकार कांग्रेस के राज्य सभा सांसद राजीव शुक्ला
के रहते कांग्रेस में प्रवक्ताओं की तोपें खामोश बैठी हैं। सिंघवी के सीडी प्रकरण के
बाद अब कांग्रेस में प्रवक्ताओं की खोज जमकर की जा रही है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अंदरखाने से
छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार पत्रकार संसद सदस्य राजीव शुक्ला के अलावा प्रधानमंत्री
के मीडिया एडवाईजर की भूमिका भी सरकार और कांग्रेस के पक्ष में साफ नजर नहीं आ रही
है। मूलतः कांग्रेस को मीडिया में जिंदा रखने के लिए राजीव शुक्ला को बतौर राज्य सभा
सांसद बनाया गया था, पर सांसद बनने के बाद राजीव शुक्ला अपना मूल काम छोड़ प्रबंधन
में जुट गए और लाल बत्ती प्राप्त कर ली।
अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी द्वारा काफी हद तक
कांग्रेस के लिए मीडिया में मोर्चा संभाला हुआ था, किन्तु जब उनका सीडी
प्रकरण सामने आया तब उन्हें इस पद से त्याग पत्र देना पड़ा। सिंघवी के त्यागपत्र देने
के बाद कांग्रेस का मीडिया प्रभाग लगभग मौन ही हो गया है। तेज तर्रार प्रवक्ता सत्यव्रत
चतुर्वेदी की तोप भी खामोशी अख्तिायार किए हुए है। दिग्विजय सिंह के धुर विरोधी सत्यव्रत
बहुत सधे कदमों से चल रहे हैं। जल्द ही चतुर्वेदी की ताजपोशी दिग्विजय सिंह के स्थान
पर उत्तर प्रदेश प्रभारी महासचिव के बतौर हो सकती है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र
10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस
के मीडिया प्रभाग के चेयरपर्सन जनार्दन द्विवेदी ने पिछले दिनों कांग्रेस में प्रवक्ताओं
की कमी का दुखड़ा सोनिया के सामने रोया। द्विवेदी ने मनीष तिवारी के काम पर संतोष नहीं
जताया। वहीं राशिद अल्वी और रेनुका चौधरी का प्रदर्शन भी औसत ही आंका गया है।
जैसे ही यह बात कांग्रेस की सियासी फिजां
में तैरी वैसे ही प्रवक्ताओं के लिए खेमेबाजी आरंभ हो गई है। प्रवक्ता पद के लिए सत्यव्रत
चतुर्वेदी, संजय निरूपम, पी.सी.चाको, मणिशंकर अय्यर के साथ
ही साथ मध्य प्रदेश के क्षत्रप सुरेश पचौरी और कमल नाथ का नाम भी सामने आ रहा है। कहा
जा रहा है कि पचौरी और नाथ के मीडिया से बेहद करीबी ताल्लुकात हैं, जिनका फायदा कांग्रेस
द्वारा उठाया जा सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें