अर्थव्यवस्था को
प्रोत्साहन देने आरबीआई की योजना
(प्रियंका
श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)।
रिजर्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक उपायों की
घोषणा की है। सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेश की सीमा पांच अरब
डॉलर बढ़ाई गई है। यह उपाय भारतीय प्रतिभूति तथा विनिमय बोर्ड, सेबी के साथ
पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए ही है। इस फैसले के साथ सरकारी
प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेश की कुल सीमा बीस अरब डॉलर हो जायेगी। दस
अरब की उप-सीमा पर शेष परिपक्वता की अवधि तीन वर्ष होगी।
इस बीच सरकारी
प्रतिभूतियों में विदेशी एजेंसियों के निवेश को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने
लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाली एजेंसियों जैसे सरकारी धन कोषों, बहुपक्षीय
एजेंसियों, बीमा कोषों, पेंशन कोषों और
विदेशी केन्द्रीय बैंकों को सेबी के साथ पंजीकरण कराने की अनुमति देने का फैसला
किया है।
उधर, योजना आयोग के
उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने रिजर्व बैंक के नए उपायों पर कहा कि विदेशी
निवेश को बढ़ावा देने और आर्थिक वृद्धि दर को फिर से पटरी पर लाने के लिए अभी ऐसे
कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार यह देखेंगी कि बड़ी परियोजनाओं को लागू
करने के लिए जल्द ही कई उपायों की घोषणा की जायेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि
स्थिति में सुधार के उपायों से बाजार में विश्वास बढ़ेगा।
विशेषज्ञों का
मानना है रिजर्व बैंक के उपायों के सकारात्मक परिणाम हासिल होंगे। प्रधानमंत्री की
आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा कि इन उपायों से निवेश बढ़ने के
साथ रुपये में गिरावट भी थमेगी। रंगराजन ने कहा कि निवेश बढ़ने में थोड़ा वक्त लग
सकता है। ऐसे कई लोग हैं जो निवेश करना चाहते हैं और यदि वह बहुत थोड़ा निवेश भी
करें, तो आंकड़ा
काफी बड़ा हो जाएगा।
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