खण्डित हो गई है
राष्ट्रपति भवन की गरिमा!
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भारत गणराज्य की स्थापना के उपरांत देश के प्रथम नागरिक के रायसीना हिल्स स्थित
कार्यालय और निवास की गरिमा पिछले पांच सालों में तार तार होती नजर आ रही है। जिस
मंतव्य को ध्यान में रख कांग्रेस ने प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को देश का पहला
नागरिक बनाया था उसे प्रतिभा पाटिल बरकरार नहीं रख पाईं हैं।
देश के पहले
महामहिम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रतिभा देवी पाटिल तक के सफर में
महामहिम आवास का अवमूल्य इससे पहले इतना अधिक कभी नहीं हुआ है। इसके पहले मीडिया
में महामहिम आवास को लेकर टीका टिप्पणी को ज्यादा स्थान इसलिए नहीं मिल पाता था
क्योंकि रायसीना हिल्स की इस भव्य कोठी में रहने वालों ने इसकी गरिमा को बरकरार
रखने का प्रयास किया है।
इतिहास पर अगर नजर
डाली जाए तो डॉ.राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं एपीजे अब्दुल कलाम
को छोड़कर अधिकांश महामहिमों का कार्यकाल तारीफे काबिल नहीं कहा जा सकता है।
फखरूद्दीन अली अहमद ने तो आपातकाल के आदेशों पर हस्ताक्षर कर इस सर्वोच्च पद की
गरिमा को धूल में मिला दिया।
देश के सर्वोच्च
संवैधानिक पद पर इंदिरा गांधी की बदौलत कांग्रेस के उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी
को पराजित कर पहुंचे बी.बी.गिरी का भी कोई उल्लेखनीय कार्यकाल नहीं कहा जा सकता
है। पंजाब के लोगों को प्रसन्न करने के लिए कांग्रेस ने ज्ञानी जेल सिंह को
रायसीना हिल्स भेजा।
देश के महामहिम
राष्ट्रपति की शपथ लेने के उपरांत ज्ञानी जेल सिंह ने विवादित बयान देकर सभी को
चौंका दिया। जेल सिंह ने बयान दिया था कि अगर इंदिरा गांधी कहंे तो वे फर्श पर
झाडू लगाने को भी तैयार हैं। वैंकटरमण और के.आर.नारायणन क बारे में कहा जाता है कि
दोनों ने इस कार्यालय की परंपराओं से इतर ब्रिटिश हुकूमत के महाराजा जैसा कार्यकाल
बिताया।
देश को 2007 में
मिली पहली महिला महामहिम राष्ट्रपति के बारे में माना जाता था कि वे देश को नई
दिशा और दशा देने में सफल हो पाएंगी, वस्तुतः एसा हुआ नहीं। प्रतिभा देवी सिंह
पाटिल का कार्यकाल मीडिया के नजरिए से काफी हद तक विवादित रहा है। उनके अनेक कदमों
को मीडिया ने काफी बुरा भला कहा है। यहां तक कि सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर भी
प्रतिभा पाटिल के बारे में किए जाने वाले कमेंट देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद की
गरिमा को ही ठेस पहुंचा रहे हैं।
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