यूपी बिहार बढ़ा रहा
देश की आबादी
(दीपांकर श्रीवास्तव)
लखनऊ (साई)। देश के
पिछड़े राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश और बिहार आर्थिक गतिविधियों में चाहे जितने
पीछे हों लेकिन देश की जनसंख्या बढ़ाने, कुपोषण तथा गंभीर बीमारियों के मामले में
बाकी राज्यों से बहुत आगे हैं। यूपी में खासकर पूर्वी जिलों में परिवार नियोजन का
कोई प्रभाव नहीं दिखता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य
मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक श्रावस्ती
जैसा जिला देश की आबादी बढ़ाने के मामले में अव्वल है। रिपोर्ट के अनुसार यहां
प्रत्येक महिला अपने शादीशुदा जीवन में औसतन छह बच्चों को जन्म देती है। यह
राष्ट्रीय औसत 2.5 से दोगुना
से भी ज्यादा है।
राष्ट्रीय
स्वास्थ्य सर्वे के तहत जनगणना विभाग ने नौ राज्यों से आंकड़े जुटाए हैं। इनमें
यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा तथा राजस्थान
जैसे पिछड़े राज्यों के साथ ही असम को भी शामिल किया गया है। इन राज्यों में देश की
लगभग 48 फीसदी
आबादी रहती है। इन्हीं राज्यों में हर साल देश के 59 फीसदी बच्चे जन्म
लेते हैं तथा विभिन्न कारणों से होने वाली देश में कुल शिशु मौतों में से 70 प्रतिशत शिशु भी
इन्हीं राज्यों के होते हैं।
जनगणना विभाग ने
यद्यपि नौ प्रमुख आधार पर स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े जुटाए हैं जिनके तहत कुल 161 सवाल लोगों से
पूछे गए थे। इन सूचनाओं के आधार पर यूपी, बिहार तथा उत्तराखंड की जो स्थिति स्वास्थ्य
के संबंध में उभरकर सामने आती है वह काफी भयावह है।
परिवार नियोजन में
सबसे पीछे होने के कारण बिहार में अभी भी प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या
सर्वाधिक 3.7 तथा उत्तर
प्रदेश में 3.6 है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में उन्हीं जिलों में बच्चों की पैदा होने की दर
ऊंची है जहां बीमारी, कुपोषण तथा पिछड़ापन भी ज्यादा है।
प्रदेश में बच्चों
की पैदाइश की सबसे ऊंची दर वाले पांच जिलों में श्रावस्ती (5.9), बलरामपुर (5.4), सिद्धार्थनगर (5.3), बहराइच (5.0) तथा बदायूं (4.8) शामिल हैं। उत्तर
प्रदेश में पचास फीसदी परिवार नियोजन के किसी भी रूप में नहीं अपनाते हैं। यह
चिंता का विषय है।
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