खण्डित हो गई है
राष्ट्रपति भवन की गरिमा! . . . 2
गरीब गुरबों का दो
सौ करोड़ बहा दिया महामहिम ने पानी में
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)। 15 अगस्त 1947 को ब्रितानी
हुकूमत की गुलामी की जंजीरों से मुक्ति के बाद भी इस देश की गरीब जनता के प्रथम
नागरिक अर्थात महामहिम राष्ट्रपति पद की गरिमा तार तार हो चुकी है। अपने निहित
स्वार्थ, आरामतलबी
आदि के चलते देश के गरीब गुरबों से करों के रूप में एकत्र किए गए राजस्व में से कई
सौ करोड़ रूपयों में महामहिम के विदेश दौरों के लिए आग लगा दी गई।
महामहिम आवास के सूत्रों
का कहना है कि महामहिम प्रतिभा पाटिल के विदेश दौरों में गरीब गुरबों के करों से
संचित राजस्व में से दो सौ करोड़ रूपए में जबर्दस्ती आग लगा दी गई है। प्रतिभा
पाटिल के विदेश दौरों के बारे में सूत्रों ने ‘समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया‘ को बताया
कि महामहिम के इन दौरों की वैसे तो आवश्यक्ता नहीं थी, फिर उनके परिजनों
को साथ ले जाने का ओचित्य सैर सपाटा और व्यवसायिक प्रयोजन ही कहा जा सकता है।
सूत्रों का कहना है
कि पिछले कुछ सालों में देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद सैर सपाटों के मामले में
मजाक बन गया है। इस सर्वोच्च पद का इस्तेमाल अपने परिवार को राजा महराजाओं के
मानिंद सात समंदर पार की खूबसूरत अनोखी दुनिया से रूबरू कराने के लिए ज्यादा किया
गया है। सत्तर के दशक के उपरांत इस पद की गरिमा शनैः शनैः रसातल की ओर आना आरंभ हो
गई थी।
महामहिम आवास के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पूर्व महामहिम के.आर.नारायणन ने
तो सारी वर्जनाएं ही ताक पर रख दी थीं। उन्होंने तय शुदा वक्त से अधिक समय तक उस
ब्रिटेन में रहने की जिद की जिसने दो सौ सालों तक हिन्दुस्तान को गुलामी की
जंजीरों में कैद कर रखा था।
नारायणन की जिद
साउथ ब्लाक के लिए खासी मुसीबत खड़ी कर दी थी। दरअसल, ब्रितानी हुकूमत ने
नारायणन की मेजबानी के लिए हाथ खड़े कर दिए थे। उधर, भारतीय अधिकारियों
की पेशानी पर चिंता की लकीरें उभर रहीं थीं कि आखिर महामहिम की यात्रा का भोगमान
किस मद से भोगा जाए।
उधर, महामहिम
के.आर.नारायणन की जिद पर भारतीय अधिकारियों ने महामहिम के लिए भारतीय करदाताओं के
गाढ़े पसीने की कमाई पर नारायणन को लंदन की दो दिन सैर करवाई। लगभग इसी तर्ज पर
वर्तमान महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की विदेश यात्राओं पर गरीब जनता के गाढ़े
पसीने की कमाई हवा में ही लुटा दी गई।
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