नरेन्द्र मोदी प्रधानमन्त्री पद पाने में स्त्री अंकों की बाधा
नई दिल्ली (साई)।
आज देश-विदेश की निगाहें लगी हुई हैं गुजरात विधानसभा के आसन्न चुनाव पर। यहाँ
नरेन्द्र मोदी जीत रहे हैं, इससे तो कोई अक्ल का अंधा भी इनकार नहीं
करेगा और इसमें किसी भविष्यवाणी की आवश्यकता भी नहीं है; मगर सवाल यह है कि
मोदी कैसी जीत पाते हैं? इस पर मोदी का राष्ट्रीय राजनीति का सफ़र दिशा तय करेगा। एक
ज़ोरदार हल्ला मचा हुआ है मोदी को अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखने को लेकर। इस
बात के समर्थकों और विरोधियों में एक तगड़ी जंग छिड़ी हुई है। इसी आपाधापी में हम यह
देखें कि अंक ज्योतिष और बॉडी लैंग्वेज इस बारे में क्या कहती है? हमारा यह आलेख इसी
दिशा में आगे की ओर झाँकने का प्रयास है।
नरेन्द्र मोदी
जन्म-दिनांकरू-17-09-1950 मूलांकरू-8 भाग्यांकरू-5 आयु अंकरू-9 (63 वाँ वर्ष)
नामांकरू-9 जन्म का
चलित अंकरू-5
गुजरात के मौजूदा
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा नाम ‘नरेन्द्र दामोदरदास मोदी’ है। हमने यहाँ गणना
में इसी नाम को काम लिया है। इनका जन्म का मूलांक 8 बना है 17 से। यहाँ नेतृत्व
और सत्ता के प्रतिनिधि पुरुष अंक 1 के साथ स्त्री अंक 7 की युति बन रही
है। यह युति अच्छी नहीं होती है। यह स्त्री अंक खराब कर देती है। नरेन्द्र मोदी के
यहाँ भी यही हुआ है। इस युति के कारण इनके स्त्री अंक भ्रष्ट हो गये। इसका
तात्पर्य यह होता है कि ऐसे जातक को लक्ष्य-प्राप्ति में अपने ही दल के साथी लोगों/साथी
दलों के लोगों या स्त्री से बाधा आती है। इसी लिए जब भाजपा के सहयोगी दल के नीतीश
कुमार नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री पद के लिए विरोध करते हैं तो यह हमारे लिए
तनिक भी आश्चर्य का विषय नहीं है। साथ ही यदि मोदी की पार्टी के ही कुछ लोग भी
उनका (प्रत्यक्ष या प्रच्छन्न) विरोध करें तो यह भी हमारे लिए कोई अजूबा नहीं है।
यहाँ एक ख़ास बात और। मोदी का मूलांक 8 अंक 6 से मित्रता रखता है। भ्रष्ट अंक 6 से अंक 8 की यह मित्रता और
भी गहरी होती है। अतः ऐसे लोग जिनका अंक 6 प्रबल है या जिनका अंक 6 भ्रष्ट है, वे मोदी की प्रधानमंत्री
पद की यात्रा में इनके अनपेक्षित रूप से सहयोगी बन सकते हैं। वे मोदी के साथ आ
सकते हैं, भले ही एन
डी ए के अन्दर आ कर साथ दें या फिर बाहर से।
अब बात करते हैं
नरेन्द्र मोदी के यहाँ के ‘शत्रु हन्ता’ योग की। यदि यह
कहें कि मोदी के जीवन का सब कुछ यही है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मोदी के जन्म
का मूलांक 8, इसके
वृहदंक 17 का अंक 1 पितृ द्रोह रूप
में ‘शत्रु योग’ बना रहा है। इनके
जन्म का मासांक 9 की इन
अंकों के साथ युति इस योग को ‘शत्रु हन्ता योग’ में परिवर्तित देती
है। इस योग का फलितार्थ यह है कि जो व्यक्ति मोदी से आमने-सामने की टक्कर लेगा, वह ‘निपट’ जाएगा। यदि उसके
यहाँ अंक बलिष्ठ हैं तो वह कम नष्ट होगा या धीरे-धीरे नष्ट होगा। यदि उस व्यक्ति
के अंक दुर्बल हैं तो वह जल्दी नष्ट होगा और यदि उस व्यक्ति के अंक निर्बल हैं तो
वह हाथोंहाथ निपट जाएगा। इस बात को मोदी के निजी जीवन से लेकर राजनीतिक जीवन तक, हर जगह आसानी से
देखा और समझा जा सकता है। हमने नरेन्द्र मोदी के जीवन का पहली बार अध्ययन गुजरात
विधानसभा के पिछले चुनाव (वर्ष 2007) में किया था। उस आधार पर हमने जो-जो बातें
कही थीं, तक़रीबन वे
सभी सही ठहरी थीं। एक-आध बात पर लगे हाथों नज़र भी डाल लीजिए। हमने 21 नवम्बर, 2007 को तैयार और 03 दिसंबर, 2007 को ‘दिव्य भास्कर’ (सूरत) में प्रकाशित
भविष्यवाणी में जो बातें विस्तार से कही थीं, उनमे से है यह एक-आध बात। “३ अतः मोदी अपनी
सीट से तो धाकड़ वोटों से जीतेंगे ही, साथ ही अपने सभी विरोधियों की चालों को
धत्ता बताते हुए बहुमत भी लाएँगे।” “३इन के इक्के-दुक्के विरोधियों को छोड़ कर
सभी चारों खाने चित हो जाएँगे।” आप खुद ही मिलान कर लीजिए कि ये बातें कितनी
खरी उतरीं। इसी ‘शत्रु
हन्ता योग’ के कारण
मोदी का विरोध करने वाले एक-एक कर निपट गये। इसी सिलसिले में एक-आध बात और
देखिए।जो लालकृष्ण अडवाणी मोदी के ळव्क्थ्।ज्भ्म्त् माने जाते हैं, जब उन्होंने मोदी
से मुँह फेर कर नीतीश की तरफ रुख़ किया तो कई चक्करों में घिर गये। अंततः
सार्वजनिक रूप से उन्होंने मोदी की स्वीकार्यता को स्वीकारा। यही हाल नीतीश कुमार
का हो रहा है। आप देखिए कि जब से उन्होंने मोदी के खि़लाफ़ बोलना शुरू किया है, तब से वे मुसीबतों
में घिरते जा रहे हैं। प्रचंड बहुमत के बाद भी अपने ही राज्य में नीतीश यात्रा तक
सफलतापूर्वक नहीं कर पा रहे हैं, क्या यह घोर आश्चर्यजनक नहीं है? आपके लिए हो सकता
है, हमारे लिए
नहीं। हमने अपने ब्लॉगों पर यह भविष्यवाणी करते हुए नीतीश कुमार को यह सलाह
चेतावनी के रूप में दी भी थी कि अंक 8 में शपथ लेने वाले वे (नीतीश) अंक 8 वाले नरेन्द्र
मोदी से टक्कर ना लें, वरना उनके लिए संकट बढ़ जाएँगे। अब सब कुछ वही हो रहा है। एक
बात हम यहाँ लगे हाथों और कहा दें। भाजपा में ऐसा ‘शत्रु हन्ता योग’ दो और लोगों के
यहाँ है; वसुंधरा
राजे सिंधिया के यहाँ मोदी से ‘बहुत थोडा-सा कम’ और येद्दियुरप्पा
के यहाँ कुछ कम। इसलिए वसुंधरा राजे के यहाँ भी मोदी वाला मामला ही है।
येद्दियुरप्पा भी अपने इसी योग के कारण फिर से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे; भले ही चाहे
विधानसभा चुनाव से पहले बनें या फिर बाद में; भले ही चाहे उन्हें फिर से मुख्यमंत्री
भाजपा बनाए या फिर कोई और। हालाँकि हमें लगता है कि येद्दी भाजपा नहीं छोड़ेंगे।
चूँकि येद्दियुरप्पा के यहाँ यह ‘शत्रु हन्ता योग’ कुछ कम है, इस लिए अब तक वे
खुद मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, हालाँकि इसी योग के कारण येद्दी के पद-त्याग
के बाद कर्नाटक में मुख्यमंत्री उन्हीं की पसंद का ही बना है। इसी ‘शत्रु हन्ता योग’ के कारण इस बार के
चुनाव में भी मोदी के विरोधी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे। मोदी के प्रधानमंत्री
बनने में भी जो कोई आड़े आएगा, वही इसी योग के परिणाम का शिकार हो जाएगा।
यहाँ एक रोचक चर्चा
अपने लिए स्थान मांगती है। मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी के मूलांक-भाग्यांक में 8-5 की अद्भुत समानता
है। इसी अतिशय समानता के कारण मोदी मनमोहन सिंह को सीधे-सीधे रिप्लेस नहीं करेंगे।
यहाँ इनके मार्ग में इनसे पहले कोई अन्य व्यक्ति प्रधानमंत्री के रूप में सामने आ
सकता है। यह व्यक्ति अंक 5, अंक 6 व अंक 8 की प्रधानता वाला होगा। मोदी के मार्ग में ‘स्त्री-बाधा’ का अर्थ शरीर से
स्त्री भी संभव है। पहले इस ‘सशरीरी अवस्था’ की ही बात कर लेते
हैं। इस दायरे में दो महिलाएँ आती हैं। पहली तो ममता बनर्जी और दूसरी सुषमा
स्वराज। ममता बनर्जी के यहाँ अंक 5 व अंक 8 है, किन्तु यह अंक 5 उनकी बॉडी
लैंग्वेज में मृत अवस्था में होने के कारण अर्द्ध प्रभावी हो गया। एक और बात है।
ममता बनर्जी के यहाँ अंक 6 की कोई भूमिका नहीं है। इसी कारण इनका शरीर सूखी हुई अवस्था
में है। अब रही बात सुषमा स्वराज की; तो इनके यहाँ मूलांक-भाग्यांक में अंक 5-6 है तथा इनका जन्म
अंक 8 के समय
में हुआ है। इनकी बॉडी लैंग्वेज में भी अंक 5 व अंक 6 प्रभावी अवस्था
में है। अतः नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री पद के बीच में सुषमा स्वराज आ जाएँ तो
आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हाँ, यह हो सकता है कि श्रीमती स्वराज को 14 से 23/24 महीनों के बाद
प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ जाए। ख़ैर, यह चर्चा बहुत लम्बी हो गयी। वैसे ऐसा करना
ज़रूरी भी था, क्योंकि आज
हर कोई इस बारे में जानना चाहता है कि क्या नरेन्द्र मोदी अगले प्रधानमंत्री बनने
जा रहे हैं? यहाँ इन
स्त्री अंकों के बारे में यह बात कहना भी बहुत ज़रूरी है कि इन्हीं भ्रष्ट स्त्री
अंकों के कारण ही मोदी का दाम्पत्य नहीं है। इन अंकों की यह अवस्था शादी नहीं होने
देती। यदि कुछ सहयोगी अंकों के कारण हो जाए तो कामयाब नहीं होने देती। नरेन्द्र
मोदी के साथ यही हुआ। जसोदाबेन से शादी होने के बाद भी ये दोनों तलाकनुमा जीवन जी
रहे हैं यानि दाम्पत्य का सुख मोदी को नहीं मिल रहा है।
स्त्री अंकों की यह
अवस्था जहाँ निजी जीवन में दाम्पत्य-सुख नहीं लेने देती, वहीं दूसरी ओर
करियर में कुछ ऊँच-नीच के बाद लाभ देती है। इन्हीं स्त्री अंकों से सम्बन्धित एक
अद्भुत बात का यहाँ उल्लेख करना भी प्रासंगिक रहेगा। नरेन्द्र मोदी के नामांक 9 का वृहदंक 27 इन्हीं स्त्री
अंकों से बना है। मोदी के मुख्यमंत्री बनने में इन स्त्री अंकों की हमेशा
महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मोदी पहली बार मुख्यमंत्री बने 07-10-2001 में। यहाँ
मूलांक 7 व भाग्यांक
2 था। आयु
अंक भी 7 था। मोदी
दूसरी बार मुखमंत्री बने 22-12-2002 को। यहाँ मूलांक 4 व भाग्यांक 2 तथा राज्य का आयु
अंक 7 था। मोदी
के तीसरी बार बनने की दिनांक थी 25-12-2007। यहाँ मूलांक 7। आप खुद ही देख
लीजिए कि करियर के मामले में मोदी पर इन स्त्री अंकों की किस क़दर कृपा रही है।
मोदी अंक पहली बार मुख्यमंत्री बने तब इनका आयु अंक 7 (52 वाँ वर्ष) व राज्य
का आयु अंक 6 (42 वाँ वर्ष)
था। इनके दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते समय इनका आयु अंक 8 (53 वाँ वर्ष) व राज्य
का आयु अंक 7 (43 वाँ वर्ष)
था। इसी प्रकार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाते समय इनका आयु अंक 4 (58 वाँ वर्ष) और राज्य
का आयु अंक 3 (48 वाँ वर्ष)
था। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्त्री अंक 7 ने मोदी के करियर में तो फ़ायदा ही दिया। हाँ, इतना अवश्य हुआ कि
मोदी की सीटें कुछ कम हो गयीं ( 127 से 117 पर आ गयीं)। नरेन्द्र मोदी पर अंक 4 व अंक 8 की कृपा है। अंक 4 के वर्ष 2002 में ही इन्होंने
पहली बार चुनावी लड़ाई जीत कर मुख्यमंत्री पद पाया। गुजरात को अंक 4 की दशा वर्ष 2003 में आरम्भ हुई।
राज्य को अभी अंक 8
की दशा ही चल रही है। यह दशा वर्ष 2014 तक चलेगी। इस दशा
के प्रथम वर्ष 2007
में मोदी ने फिर से चुनावी लड़ाई जीत कर मुख्यमंत्री पद पाया।
गुजरात को अंक 8 की यह दशा
वर्ष 2014 तक चलेगी।
तब तक सत्ता का वर्तमान स्वरूप नहीं बदलेगा यानि मोदी ही मुख्यमंत्री रहेंगे। इसके
बाद गुजरात को अंक 7
की दशा आरम्भ होगी, जो कि वर्ष 2021 तक चलेगी। यह राज्य
के मूलांक-भाग्यांक के साथ विपरीत युति बनाती है। दूसरी बात यह कि जिस प्रकार
स्त्री अंक 7 की विशिष्ट
भूमिका में ही मोदी का स्थान बदला और वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने; ठीक उसी प्रकार इसी
स्त्री अंक 7 की पुनः
विशेष भूमिका में मोदी का फिर स्थान बदलेगा। नरेन्द्र मोदी के लिए कैलेण्डर वर्ष 2015-2016 बहुत ख़ास
भूमिका निभा सकते हैं। तब इन्हें उम्र का 65-66-67 वाँ वर्ष चल रहा होगा यानि इनका तब
इनका आयु अंक 2-3-4
चल रहा होगा। यह अवधि मोदी को गुजरात से दिल्ली भेज कर
प्रधानमंत्री पद पर बिठा सकती है। हाँ, नरेन्द्र मोदी और उनके समर्थकों को यह
सुप्रसिद्ध कहावत हमेशा याद रखनी चाहिए कि ‘रमजान में बचेंगे तो ईद मनाएँगे’। तात्पर्य यह है
कि मोदी को अपनी प्राण-रक्षा की तरफ़ पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। वे सशरीर सुरक्षित
रहेंगे, तभी तो
प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हो पाएँगे। वर्ष 2013 के उत्तरार्द्ध से
वर्ष 2021 तक की अवधि
में इनके प्राणों को ख़तरा है। (साई फीचर्स)
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