शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

महिलाओं ने क्विंदंती को साबित किया गलत


महिलाओं ने क्विंदंती को साबित किया गलत


(विनीता विश्वकर्मा)

पुणे (साई)। महिलाओं के पेट में बातें नहीं पचती, जैसी पुरानी कहावतों, क्ंिवदंतियों, मुहावरों को दो महिला अधिकारियों ने धता बताते हुए साबित कर दिया कि महिलाएं भी किसी चीज को गुप्त रखना जानती हैं। अजमल कसाब के ऑपरेशन एक्स ने यह बात साबित कर दी है। कसाब को मुंबई से यरवडा जेल शिफ्ट करने और फांसी देने के टॉप सीक्रेट प्लान को अंजाम देने वाली दो महिला अधिकारियों ने साबित कर दिया है कि वे गोपनीय प्लान बनाने और उसे अंजाम देने में पुरुषों से बिल्कुल पीछे नहीं हैं।
महाराष्ट्र सरकार की गृह विभाग की प्रधान सचिव (अपील, सुरक्षा, जेल) मेधा गाडगिल और अतिरिक्त डीजी (जेल) मीरा बोरवणकर पहले से आखिरी तक श्ऑपरेशन ग्श् की सूत्रधार रहीं। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और गृह मंत्री आर। आर। पाटिल के मार्गदर्शन में मेधा और मीरा ने इसे अंजाम दिया।
जिस दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ओर से कसाब को फांसी दिए जाने का लेटर राज्य सरकार को मिला, उसी दिन से मेधा ने चव्हाण और पाटिल की सहमति से फांसी देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। बेसिक प्लान 25 नवंबर को फांसी देने का था पर कसाब को आर्थर रोड से यरवडा शिफ्ट किए जाने की जानकारी मीडिया में लीक हो जाने के कारण फैसला बदला गया।
गृह विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि समूचा मीडिया और पुलिस फोर्स जब बाल ठाकरे की अंत्येष्टि में व्यस्त था तब कसाब को शिफ्ट करने का प्लान भी मेधा और मीरा ने बनाया। उसके बाद कसाब को एस्कॉर्ट करने के लिए मुंबई और पुणे पुलिस के उच्च अधिकारियों को और जेल आईजी को विश्वास में लिया गया। केंद्रीय गृह मंत्री को भी इस बारे में बताया गया, पर फांसी के फैसले के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। जल्लाद से लेकर कसाब का शव दफनाने की जगह तय करने और उससे संबंधित कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का काम मीरा और मेधा ने किया।
इसके पहले 26/11 हमले के दौरान मारे गए 9 आतंकवादियों को ढाई साल पहले इसी तरह गोपनीय तरीके से अज्ञात स्थल पर दफना दिया गया था। उस ऑपरेशन के समय चंद्रा अय्यंगर यानी एक महिला ही होम सेक्रेटरी थीं। उन्होंने बताया कि 9 आतंकवादियों को दफनाए जाने का सीक्रेट मुख्यमंत्री, गृह मंत्री के अलावा सिर्फ उन्हें, मेधा और राकेश मारिया को पता था।
वहीं दूसरी ओर बुधवार को अजमल कसाब को फांसी की सजा मिलने के बाद यदि लोग यह समझ रहे हैं कि 26/11 की कहानी खत्म हो गई है, तो यह सच नहीं है। मुंबई से दिल्ली तक इस केस में अभी तक तीन और लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इनमें से अबू जिंदाल नामक मुख्य साजिशकर्ता तिहाड़ जेल में बंद है। डेविड हेडली और तहव्वुण राणा नामक दो आरोपी इन दिनों अमेरिका में हैं।
अबू जिंदाल 26/11 का मेन साजिशकर्ता है। 26/11 को वह कराची कंट्रोल रूम में लश्कर के अन्य सरगनाओं के साथ बैठा था। उसे जून महीने में सऊदी अरब से दिल्ली में डिपोर्ट किया गया था। उसे पहले दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने, फिर मुंबई क्राइम ब्रांच और फिर महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी कस्टडी में रखा। बाद में उसकी एनआईए ने कस्टडी ली और उसके बाद उसे पिछले महीने न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उसके खिलाफ मुंबई क्राइम ब्रांच ने पिछले महीने ही आरोपपत्र दाखिल किया है। संभावना है कि अगले साल तक उसके खिलाफ भी 26/11 में मुकदमा शुरू हो जाएगा।
डेविड हेडली और तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उन्होंने उन-उन स्थानों की रेकी की थी, जहां 26/11 को दस आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया गया। रेकी के दौरान इन स्थानों की विडियोग्राफी की गई थी और कराची में लश्कर सरकना जकीउर रहमान को इसकी सीडी दी गई थी। बाद में इस सीडी के आधार पर 26/11 की आगे की साजिश रची गई। हेडली और राणा को जब एफबीआई ने अमेरिका में गिरफ्तार किया था, तब दिल्ली से एनआईए की एक विशेष टीम दोनों से पूछताछ के लिए अमेरिका गई थी। उसी पूछताछ के आधार पर करीब दो साल पहले एनआईए ने दिल्ली की एक कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। हालांकि अमेरिका में हेडली और राणा पर मुकदमा पिछले साल ही खत्म हो चुका है, पर भारत में इन दोनों के खिलाफ ट्रायल तभी शुरू हो पाएगा, जब भारत इन दोनों को अमेरिका से मुंबई लाने में कामयाब होगा।
जेल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 26/11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के एकमात्र जीवित बचे पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को बुधवार सुबह पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे गई। फांसी पर लटकाए जाने से पहले कसाब ने जो कहा उससे लगा कि वह अपने किए पर शर्मिंदा था। उसने अपने गुनाह के लिए माफी मांगी और फांसी पर लटकाए जाने से पहले यरवडा जेल के जेलर से कहा,श्ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। अल्लाह मुझे माफ करे।श्
कसाब ने न तो अंतिम इच्छा जताई और न ही कोई वसीयत छोड़ी। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि कसाब ने सिर्फ इतना कहा कि पाकिस्तान में उसकी मां को इसकी सूचना दे दी जाए। महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर। आर। पाटिल ने बताया कि कसाब से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई थी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि बताया कि पुणे की यरवडा जेल में कसाब को फांसी पर लटकाए जाने से पहले उसे 12 नवंबर को दया याचिका खारिज होने की जानकारी दे दी गई थी। कसाब को उसके परिवार से कॉन्टैक्ट करने और वसीयत तैयार करने के लिए कहा गया लेकिन उसने इनकार कर दिया। यरवडा जेल के एक अधिकारी ने पहचान उजागर ना किए जाने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कसाब फांसी दिए जाने से ठीक पहले कुछ घबराया हुआ था। लेकिन शांत था और उसने मरने से पहले नमाज़ भी अदा की।
अधिकारी ने कहा कि उसके हावभाव से हमने यह अंदाज़ा लगाया कि वह बहुत घबराया हुआ था। हालांकि जब उसे फांसी पर चढ़ाने के लिए उसकी कोठरी से बाहर लाया गया तो वह शांत बना रहा। कसाब ने नमाज़ पढ़ी और सवाल किया कि क्या उसके परिवार को उसकी फांसी के बारे में सूचना दी गई है, जिसपर जेल अधिकारियों ने सकारात्मक जवाब दिया।

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