शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

हाशिए पर पहुंच गए पंकज पचौरी!


हाशिए पर पहुंच गए पंकज पचौरी!

पीएम नहीं पुलक बन गए हैं पंकज के बॉस

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी लंबे समय से गुमनामी में जीवन बसर कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में उनके नाम का शोर शराबा नहीं है। पंकज पचौरी चुपचाप आते हैं और अपनी नौकरी की औपचारिकता पूरी कर चुपचाप ही 7, रेसकोर्स रोड़ और साउथ ब्लाक से रूखसत हो जाते हैं। पंकज पचौरी के चेहरे की भाव भंगिमाएं बताती हैं कि वे पीएमओ में बुरी तरह बंधा और जकड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने लीक से हटकर भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों पर एतबार ना करते हुए अपने लिए मीडिया एडवाईजर का पद आउट सोर्स किया था। प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर के पद पर पहले संजय बारू आसीन रहे फिर इस आसनी पर लंबे समय तक हरीश खरे ने अपनी सेवाएं दीं। हरीश खरे के संबंध मीडिया से बिगड़ने के आरोपों के चलते उनकी पीएमओ से बिदाई हो गई बताई जाती है।
हरीश खरे के उपरांत हाई प्रोफाईल मीडिया पर्सन पंकज पचौरी को प्रधानमंत्री ने अपनी पीआर बनाने के लिए चुना। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आंखों के तारे पुलक चटर्जी ने जैसे ही प्रधानमंत्री कार्यालय में कदम रखा वैसे ही पीएमओ में सत्ता की धुरी सिमटकर पुलक चटर्जी के इर्द गिर्द ही आ गई। कहते हैं कि पुलक चटर्जी की इजाजत के बिना पीएमओ में पत्ता भी नहीं खड़कता। पीएमओ में पुलक चटर्जी के नाम से सभी को मानो सांप सूंघ जाता है।
पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पीएमओ में इस समय बहुत ही घुटन भरा माहौल निर्मित हो गया है। हर किसी को शक की निगाह से देखा जा रहा है। पीएमओ के स्टाफ में चंद नुमाईंदे ही ऐसे हैं जो प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह से सीधे बात कर उन्हें रिपोर्ट कर रहे हैं। शेष मुलाजिमों को पुलक चटर्जी तक ही सीमित कर दिया गया है। हर बात की जानकारी और रिपोर्टिंग पुलक चटर्जी को ही की जा रही है।
सूत्रों ने आगे कहा कि एक समय था जब संजय बारू और हरीश खरे रोजाना ही मनमोहन सिंह से अनेक बार मिलकर उन्हें पल पल की खबरों से आवगत कराते थे, पर अब समय बदल गया है। पीएमओ के एक वरिष्ठ सदस्य ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कई महीनों से डॉ.मनमोहन सिंह और पंकज पचौरी के बीच संवादहीनता की स्थिति बन चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि दरअसल, हरीश खरे के सक्सेसर बने पंकज पचौरी को यह कहा गया है कि वे सीधे जाकर पीएम से मिलकर उनका समय खराब ना करें। पचौरी को जो भी सलाह मशविरा या कटिंग आदि पीएम को देना है वह पुलक चटर्जी के कार्यालय भिजवाई जाए। पुलक चटर्जी को अगर लगेगा कि उसे पीएम को दिखाना जरूरी है तब ही उसे पीएम तक पहुंचाया जाएगा। पचौरी को यह भी ताकीद किया गया है कि जब पीएम उन्हें बुलाएं तो वे पुलक चटर्जी की उपस्थिति में ही पीएम से मिलने जाएं।
इन बातों में कितना दम है यह बात तो पुलक चटर्जी जाने या फिर पंकज पचौरी पर बुधवार को सुबह सवेरे निजी समचार चेनल्स के माध्यम से कसाब की फांसी की खबर अगर प्रधानमंत्री को मिली तो इसे पंकज पचौरी का फेल्युअर ही माना जा रहा है। पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पुलक चटर्जी को अब पंकज पचौरी ज्यादा नहीं भा रहे हैं इसलिए आप चुनावों को देखते हुए वे चाह रहे हैं कि पंकज पचौरी को पीएमओ से बाहर का रास्ता दिखाकर नई शख्सियत को वहां बिठा दिया जाए।
प्रधानमंत्री कार्यालय में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर क्या कारण है कि कल तक सीधे जाकर पीएम से मिलकर उनसे चर्चा करने वाले मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी को पुलक चटर्जी के माध्यम से मनमोहन सिंह से रूबरू होना पड़ रहा है? इस तरह पंकज पचौरी के लिए पीएम व्हाया पुलक चटर्जी की चर्चाएं चटखारे लेकर हो रही हैं, साथ ही साथ पीएमओ में यह प्रश्न भी तेजी से उछल रहा है कि आखिर पीएम के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी का असली बॉस कौन है, प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह या फिर पुलक चटर्जी?

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