तोमर की मौत से दिल्ली पुलिस कटघरे में
(महेश)
नई दिल्ली (साई)। सिपाही सुभाष तोमर की मौत के मामले में यमुना
विहार में रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी योगेंद्र ने खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस की
विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया। टीवी चौनल को चश्मदीद योगेंद्र ने बताया
कि सिपाही तोमर उनके सामने ही भागते हुए आए थे और गिर पड़े।
योगेंद्र का दावा है कि सुभाष की पिटाई
किसी प्रदर्शनकारी ने नहीं की थी। यह खुलासा उन्होंने मंगलवार रात एक टीवी चौनल से
किया। योगेंद्र के साथ अन्य लोगों ने सिपाही की मौके पर मदद भी की। दर्द दूर करने
के लिए उनकी छाती मली, जूते उतारकर उनके तलवे सहलाए। फिर पुलिस की मदद से अस्पताल लेकर गए।
इस मामले में पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार
ने मंगलवार शाम को मीडिया से कहा था कि सिपाही सुभाष चंद तोमर की मौत का कारण गले, छाती और पेट पर इंटरनल इंजरी थी। इस
मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया और 8 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
दूसरी तरफ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, जहां सिपाही की मौत हुई, वहां के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. टी.एस.
सिद्धू का कहना है कि सदमे से सिपाही को हार्ट अटैक आया था। शरीर पर गंभीर चोट के
कोई निशान नहीं थे। अस्पताल सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि सिपाही को हृदय संबधी
बीमारी थी। ऐसे में अब सवाल यह है कि जब इतना बड़ा प्रदर्शन चल रहा था तो हृदय रोगी
की वहां ड्यूटी क्यों लगाई गई?
इस मामले में आम आदमी पार्टी के अरविंद
केजरीवाल पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि पुलिस बेकसूरों को फंसाने की साजिश कर रही
है। आप का कहना है कि आंदोलन को हिंसक बनाने की कोशिश कर रहे लोगों को पकड़ने में
नाकाम रही पुलिस अब तथ्यों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
केजरीवाल ने कहा, ‘तोमर के परिवार के प्रति हमारी पूरी
संवेदना है। यह बेहद दुखद घटना है। उनकी मौत के लिए अगर कोई शख्स या समूह
जिम्मेदार है, तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। लेकिन पुलिस के पास कोई सबूत
नहीं है और वह निर्दाेष युवाओं को फंसाने की साजिश कर रही है। हमारे कार्यकर्ताओं
को जबरन इस मामले में आरोपी बनाया जा रहा है। जिन 8 लोगों पर दिल्ली पुलिस हिंसा
फैलाने का आरोप लगा रही है, उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस के पास कोई
सबूत नहीं है। उन्हें कॉन्स्टेबल की मौत के लिए जबरन दोषी बनाया जा रहा है।‘
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