लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क
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अफसरों के असहयोग से गदगद है कांग्रेस
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)। भाजपा में व्यापक
जनाधार वाले तीन नेता ही सामने आ रहे हैं। एक नरेंद्र मोदी, दूसरे शिवराज सिंह चौहान और तीसरे हैं
रमन सिंह। मोदी ने तो अपनी तीसरी पारी आरंभ कर दी है। रमन सिंह और शिवराज की तीसरी
पारी दिसंबर में आरंभ होने वाली है। इस बार मध्य प्रदेश के आला अधिकारियों के रवैए
को देखकर इस बात पर संशय ही जताया जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान या भाजपा तीसरी
बार मध्य प्रदेश में अपना शासन स्थापित कर सके।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के झंडेवालान
स्थित मुख्यालय केशव कुंज के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से
चर्चा के दौरान बताया कि वैसे तो भाजपा में शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और नरेंद्र मोदी तीनों ही
व्यापक जनाधार वाले नेता हैं, पर 2014 में पार्टी किसका चेहरा आगे कर
चुनाव लड़ेगी यह बात अभी स्पष्ट नहीं है। सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर नरेंद्र
मोदी की टीआरपी तेजी से बढ़ रही है या वे कथित तौर पर बढ़ा रहे हैं, से लगने लगा है कि मोदी काफी पावरफुल हो
रहे हैं। नरेंद्र मोदी की कट्टर हिन्दुवादी छवि भाजपा के लिए खतरा भी बनती जा रही
है।
वहीं दूसरी ओर उदारवादी छवि और विकास
पुरूष के बतौर उभरे मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान को सहज सरल व्यक्तित्व
के कारण पसंद किया जा रहा है। सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि इस बात में अभी तक
तो दो राय नहीं है कि शिवराज सिंह चौहान एमपी में तीसरी बार भाजपा को ला पाएंगे।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में जिस तरह से अब माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा
है उससे लगने लगा है कि मानो अब कांग्रेस का हिडन एजेंडा अफसरान लागू करने में जुट
गए हैं।
सूत्रों की मानें तो शिवराज सिंह चौहान
का कद कम करने और मध्य प्रदेश से भाजपा राज समाप्त करने की गरज से अब एमपी के
अफसरों ने शासन में असहयोगात्मक रवैया अपनाना आरंभ कर दिया है। संघ के सूत्रों का
कहना है कि मध्य प्रदेश में शिवराज और तोमर की जोड़ी को अब टीम प्रभात की नाराजगी
से भी दो चार होना पड़ सकता है।
उधर, कहा जा रहा है कि दस साल तक दिग्विजय
सिंह के साथ काम करने वाले आला अधिकारियों ने कांग्रेस के इशारे पर शिवराज सिंह
चौहान के साथ असहयोगात्म रवैया अपनाना आरंभ कर दिया है। चुनावी साल में गणतंत्र
दिवस पर राजपथ पर ना तो मध्य प्रदेश की झांकी ही दिखी, ना ही वीर बच्चों में एमपी का एक भी
बच्चा शामिल हुआ यहां तक कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी मध्य प्रदेश की
भागीदारी नहीं हो सकी।
संघ के सत्रों का कहना है कि चुनावी साल
में देश की राजधानी में मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन, लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री पंचायत आदि योजनाओं का
प्रचार प्रसार जमकर हो सकता था, जिसका लाभ मध्य प्रदेश के साथ ही साथ
अन्य नौ राज्यों में जहां चुनाव होना है में भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता था, किन्तु अफसरों की इस कथित चूक, भूल या लापरवाही के चलते भारतीय जनता
पार्टी इस लाभ को लेने से वंचित ही रह गई।
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