सोने में इंवेस्ट करें पर संभलकर!
(शरद)
नई दिल्ली (साई)। रिजर्व बैंक की
मौद्रिक नीति को लेकर मार्केट ने दो बातों को गंभीरता से लिया है। पहला है, चालू वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक
द्वारा देश की आर्थिक विकास दर का अनुमान 5.8 से घटाकर 5.5 प्रतिशत करना। दूसरा है, बढ़ता राजकोषीय घाटा का चालू खाते के
घाटे पर असर होने का खतरा।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी
तिमाही में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.4 प्रतिशत की रेकॉर्ड ऊंचाई
पर पहुंच गया। देश में विदेशी मुद्रा की कुल आवक और उसके कुल बाह्य प्रवाह के अंतर
को चालू खाते का घाटा कहते हैं। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि दरअसल रिजर्व बैंक
ने साफ तौर पर कह दिया है कि आयात घटाना होगा, खासकर सोने का आयात। उसने आम आदमी से कह
दिया है कि अगर ईएमआई में कमी चाहिए तो सोना कम खरीदो।
वैसे इसके लिए सरकार ने प्रयास भी शुरू
कर दिए हैं। सोने के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा चुकी है। इसी बात को रिजर्व बैंक
के गवर्नर ने परोक्ष रूप से कहा है। बात साफ है कि अगर आम आदमी को ईएमआई में कमी
चाहिए तो उसे सोना कम खरीदना होगा।
विकास दर में कमी के मायने रू रिजर्व
बैंक द्वारा विकास दर के अनुमान में बदलाव किए जाने को लेकर मार्केट काफी पसोपेश
में है। ग्लोब कैपिटल के डायरेक्टर अशोक अग्रवाल का कहना है कि यह जरूरत से ज्यादा
सतर्कता से उठाया गया कदम है। शायद रिजर्व बैंक यह चाहता है कि आर्थिक विकास दर के
एक ऐसे स्तर का अनुमान देना ठीक है, जो पहुंच के दायरे में है। अगर विकास दर
इससे ज्यादा अधिक होती है तो उसका तो सभी स्वागत करेंगे।
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