सोमवार, 14 जनवरी 2013

स्वच्छता के प्रति युवाओं को जागरूक करने की जरूरत: उदिता त्यागी


स्वच्छता के प्रति युवाओं को जागरूक करने की जरूरत: उदिता त्यागी

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर। (साई)। वर्ष 2012 की मिसेज इंडिया इन्टरनेशनल तथा संयुक्त राष्ट्र के स्वच्छता अभियान के तहत माई क्लीन इंडिया की ब्रांड एम्बेसडर डॉ। उदिता त्यागी ने कहा कि स्वच्छता के प्रति युवाओं को जागरूक करने के साथ उन्हें स्वच्छता की संस्कृति से जो़डने की आवश्यकता है। उदिता आगामी 25 जनवरी से शहर में स्वच्छता के प्रति जागरूकता अभियान की शुरूआत करेंगी।
मिसेज इंडिया डॉ। उदिता त्यागी ने इस अभियान के लिए डीएम सुरेंद्र सिंह के साथ इस विषय पर चर्चा की। बैठक में तय किया गया कि शहर में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए युवाओं को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। इसमें आठवीं से इंटर कॉलेज तक के बच्चों को उक्त अभियान में सक्रिय रूप से जोड़ने पर चर्चा हुई। 25 जनवरी से औपचारिक रूप से शहर में इस अभियान की शुरूआत की जाएगी। बाद में डॉ। उदिता ने प्रयत्न संस्था के कार्यालय पर पहुंच कर संस्था को इस अभियान से जोड़ने पर चर्चा की। उदिता ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के स्वच्छता मिशन के तहत माई क्लीन इंडिया अभियान देश के विभिन्न शहरों में चलाया जा रहा है। इस अभियान के साथ मुजफ्फरनगर को भी जोडा जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वच्छता की संस्कृति से जोडने की जरूरत है।  स्थिति यह है कि लोग अपने शहर को प्रथम आवास के स्थान पर कूड़ा फेंकने का स्थान समझते हैं। यही वजह है कि घरों से कूड़ा एकत्र कर उसे सड़कों पर फंेक दिया जाता है। उनका कहना है कि कूडे़ के साथ अब पॉलिथीन जैस अघुलनशील पदार्थ चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। इनके मिट्टी में मिलने के साथ उर्वरता और जमीन में कैमीकल असंतुलन का खतरा पैदा हो गया है। उदिता ने कहा कि दुनिया मंे इस तरह के कचरे के सदुपयोग और पर्यावरण को इसके खतरों से बचाने के लिए अनेक प्रयोग हुए हैं। नीदरलैंड में तो पालिथीन कचरे से ईंटे बनाकर उनसे मकान तक बनाए जा रहे हैं। भारत में बेंगलूर में भी पालिथीन व दूसरे प्लास्टिक पदार्थों के सदुपयोग के लिए कई नए प्रयोग किए गए हैं। इसमें सड़क बनाने से लेकर कई तरह के प्रयोग शामिल हैं। उनका कहना था कि हमारे सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कचरा फेंकने के लिए शहरों में लोग अपने घरों के पास तो स्थान नहीं देते। आम तौर पर यह देखा गया है कि कूडा घर पार्क, स्कूल तथा मंदिर मस्जिद जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बन रहे हैं। उदिता ने कहा कि संस्था ने इस अभियान से इंटर कॉलेज तक के बच्चों को जोड़ने का अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के साथ कूडा निस्तारण के प्रति भी अधिक सक्रिय करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शीतल पेय में प्रयोग की जाने वाली बोतलें सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रही हैं, क्योंकि इनका दूसरा कोई उपयोग नहीं है। अब इन बोतलों से ईंटें बनाने का सफल प्रयोग किया गया है। शहरों में सत्तर प्रतिशत कूड़ा मकानों के मलबे के रूप में सामने आता है। इस मलबे को बारीक कर उन्हें इन बोतलों में भरकर ठोस बोतलें बनाई जा सकती हैं। इन्हें बाकायदा ईंटों में रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
इस मौके पर उनके साथ मुनिश्वर त्यागी, नीर फाउंडेशन के डायरेक्टर रमण त्यागी, राहुल कौशिक भी थे। इस अवसर पर प्रयत्न संस्था के अध्यक्ष समाजसेवी समर्थ प्रकाश, डॉ। गरिमा जैन, वरिष्ठ पत्रकार ऋषिराज राही, राहुल गोयल आदि उपस्थित रहे। 

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