सोमवार, 14 जनवरी 2013

मकर संक्रांति पर भगवान भास्कर की अराधना


मकर संक्रांति पर भगवान भास्कर की अराधना

(पंडित दयानंद शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। सभी संक्रान्तियों मे कर्क संक्रान्ति तथा मकर संक्रान्ति का विषेश महत्व धार्मिक तथा वैज्ञानिक दोनो रुपों मे माना जाता है। मकर संक्रान्ति एक मात्र ऐसा पर्व है जो सदैव ही 14 जनवरी को होता है मकर संक्रान्ति का पर्व सौर वर्ष  के आधार पर निर्धारित है।
सूर्य का एक राषि से दूसरी राशि मे प्रवेश की प्रक्रिया संक्रान्ति कहलाती है सूर्य का मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण तथा कर्क रेखा से दक्षिणीमकर रेखा की ओर जाना दक्षिणायन कहलाता है उत्तरायण मे दिन बडे तथा रातें छोटी प्रतीत होती हैं धूप मे तेजी तथा षीत मे धीरे-धीरे कमी आने लगती है दक्षिणायन मे यही प्रक्रिया ठीक विपरीत स्थिति मे होती है अर्थात् दिन छोटे और राते बडी प्रतीत होती है यही अंतराल ऋतु परिवर्तन का कारक और कारण है वैसे तो मकर संक्रान्ति सूर्य के संक्रमण का त्यौहार है। पंडित दयानंद शास्त्री(मोब -09024390067) के अनुसार  ऊत्तरायण के समय देवताओं का निवास दिन मे तथा दक्षिणायन मे रात्रि मे होता है। उत्तरायण को देवयान तथ दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता है। कहा जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन किसी भी धार्मिक क्रिया-कलाप मे देवता धरती पर प्रकट होते हैं तथा पुण्यात्मायें शरीर छोडकर स्वर्ग लोक मे जाती हैं।
पंडित दयानंद शास्त्री(मोब -09024390067) के अनुसार सूर्य को यदि वैज्ञानिक दृश्टि से देखा जाय तो सूर्य के मकर राषि मे प्रवेष करते ही अयन बदलता है यही वजह है कि मकर संक्रान्ति को सौम्यायन कहते हैं। सौम्यांयन के प्रारम्भ से ही हेमन्त ऋतु की समाप्ति तथा षिषिर ऋतु का प्रारम्भ हो जाता है। सूर्य सदैव मार्गी रहता है कभी भी अस्त नही होता है। अपनी निर्धारित चाल के साथ सदैव चलता रहता है और अपने निष्चित समय निष्चित राषियों मे पहुंच जाता है। प्रत्येक माह मे सूर्य एक राषि का भ्रमण पूरा कहते है सूर्य जी सदैव गतिषील रहकर १२ राषियों का भ्रमण ०१ वर्श मे पूरा कर लेते हैं। यही क्रिया ऋतु परिवर्तन का कारण बनती है।
मकर संक्रान्ति मे क्या करें
सूर्य का मकर राषि मे प्रवेश  14 जनवरी ,2013-दोपहर में  दो बजकर बीस मिनट मिनट पर है साथ मे दिन मे ०९ बजकर ०७ मिनट से पंचक भी प्रारम्भ हो जाते हैं। अर्थात् प्रातः काल सूर्याेदय क साथ ही पुण्य काल प्रारम्भ हो जायेगा जो अर्धरात्रि तक है।
पंडित दयानंद शास्त्री(मोब -09024390067) के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे से जल का अर्ध्य दें। पानी में कुंकुम तथा लाल रंग के फूल भी मिलाएं तो और भी शुभ रहेगा।
अर्ध्य देते समय ऊँ घृणि सूर्याय नमरू मंत्र का जप करते रहें।
१।’’’’मकर संक्रान्ति के पर्व का विधान अत्यन्त सरल है। संक्रान्ति के दिन प्रातः तिल का तेल और उबटन लगाकर स्नान करना चाहिये।
२।’’’’तिल के तेल से मिश्रित जल से स्नान करना चाहिये।
३।’’’’तिल का उबटन लगाना स्वास्थ्य के लिये हितकर है।
४।’’’’तिल से होम करने से तमाम यज्ञों का पुण्य फल प्राप्त होगा।
५।’’’’जल मे तिल डालकर पानी पीना उत्तम है।
६।’’’’तिल से बने पदार्थों का खाना हितकर है तथा सुयोग्य पात्र को तिल का दान करना हितकर है।
विशेष प्रयोग /उपाय----पंडित दयानंद शास्त्री(मोब -09024390067) के अनुसार
1- जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच की स्थिति में हो वे लोग यदि मकर संक्रांति के दिन सूर्य यंत्र की स्थापना कर पूजन करें तो इससे उनकी कुंडली के दोष कम होते हैं और विशेष लाभ भी मिलता है। सूर्य यंत्र की स्थापना इस प्रकार करना चाहिए-
मकर संक्रांति के दिन सबसे पहले सुबह उठकर नित्य कर्मों से निपटकर सूर्य देव को प्रणाम करें। इसके बाद सूर्य यंत्र को गंगाजल व गाय के दूध से पवित्र करें। अब इस यंत्र का विधिपूर्वक पूजन करने के बाद सूर्य मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र
ऊँ घृणि सूर्याय नमः।
जप करने के बाद इस यंत्र की स्थापना अपने पूजन स्थल पर कर दें। इस प्रकार इस यंत्र का पूजन करने से शीघ्र ही सूर्य संबंधी होने वाली समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
क्या न करें
१।’’’’अपने अभिभावक पिता का अनादर न करें।
२।’’’’भगवान भास्कर की पूजा अराधना के अवसर पर तिल-गुड, चीनी के लड्डू दान करने की परम्परा है लेकिन सुयोग्य पात्र को ही दान करना हितकर है।
३।’’’’कम्बल तथा शुद्ध  देषी घी का दान गरीब, बेसहारा लोगों को ही करना उत्तम होगा।
४।’’’’सुयोग्य पात्र को ही मकर संक्रान्ति के पावन अवसर पर दान करना चाहिये।
५।’’’’सूर्य देव की उपासना, अराधना तथा सूर्य देव से जुडी किसी भी वस्तु का दान प्रसन्नचित्त होकर तथा प्रसन्न मन से करना चाहिये। तथा भगवान भास्कर का आशीर्वाद आपको तथा आपके  परिवार को प्राप्त होगा।
14 जनवरी(मकर संक्रांति ) की रात को करें यह उपाय/प्रयोग और पायें धन की  कमी से मुक्ति ------
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होगा। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करता है किंतु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। यह प्रवेश क्रिया छरू-छरू माह के अंतराल पर होती है।
पंडित दयानन्द शास्त्री (मब।-09024390067) के अनुसार भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है अर्थात भारत से दूर होता है। इसी कारण यहां रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है, किंतु मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतरू इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है।
दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होता है तथा रात्रि छोटी होने से अंधकार पंडितअतरू मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्यशक्ति में वृद्धि होती है। ऐसा जानकर संपूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
पंडित दयानन्द शास्त्री (मब।-09024390067) के अनुसार यदि आप धन की कमी से परेशान हैं तो अब वह समय आ गया है जब आपकी यह समस्या हमेशा के लिए दूर हो सकती है।
आपको सिर्फ मकर संक्रांति(14 जनवरी, सोमवार) की रात को नीचे लिखा टोटका करना है। यह टोटका इस प्रकार है-
टोटका-------
मकर संक्रांति की रात्रि में एकांत में लाल वस्त्र पहन कर बैठें। सामने दस लक्ष्मीकारक कौडिय़ां रखकर एख बड़ा तेल का दीपक जला लें और प्रत्येक कौड़ी को सिंदूर से रंग हकीक माला से इस मंत्र की पांच की पांच माला मंत्र जप करें
मंत्र-----
ऊँ ह्रीं श्रीं श्रियै फट्
इस प्रयोग से लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती है और आपके जीवन में फिर कभी धन की कमी नहीं होती।

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