ग्लोबल वार्मिंग पर
लगा ब्रेक
(यशवंत)
वाशिंग्टन (साई)।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या एक वैश्विक चुनौती है और इस समस्या के लिए कोई एक देश
नहीं, बल्कि लगभग
सभी मुल्क जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस ग्लोबल वार्मिग की रोकथाम के लिए
दुनिया के सभी देश प्रयासरत हैं। ग्रीनहाउस गैसों में कटौती से लेकर तमाम तरह की
कोशिशें विश्व स्तर पर जारी है।
संभवतः इन्हीं
प्रयासों का नतीजा है कि ग्लोबल वार्मिग से संबंधित एक अच्छी खबर सामने आयी है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्ष 1998 से ग्लोबल वार्मिग की रफ्तार कम हो गयी है।
पहले यह अनुमान लगाया गया था कि पृथ्वी का तापमान लगाता बढ़ रहा है, लेकिन अब
भूवैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्व अनुमानों की अपेक्षा पृथ्वी का तापमान काफी
धीमी गति से बढ़ रहा है।
उनके आकलन के
मुताबिक, 1971-2000
के बीच पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ा, लेकिन अगले पांच वर्षों में यह 0।43 डिग्री
से अधिक नहीं बढ़ेगा। इससे पहले अनुमान लगाया गया था कि पृथ्वी के तापमान में अगले
पांच वर्षों में 0।54 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी होगी।
इस नये आंकड़े के
आने के बाद अब वैज्ञानिकों के बीच यह विरोधाभास उत्पन्न हो गया है कि क्या
ग्रीनहाउस गैसों के उत्सजर्न और पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी के बीच कोई संबंध है
या नहीं। हालांकि,
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्लोबल वार्मिग भले ही कम हुआ
हो, लेकिन यह
पूरी तरह रुका नहीं है और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सजर्न से समुद्र की सतह के तापमान
में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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