कुछ ढील चाहता है
परिवहन मंत्रालय
एनएच मामले में पीएम से मिले सीएम
(शरद)
नई दिल्ली (साई)।
आर्थिक संकट के चलते ठेकेदारों के बीच में सड़क परियोजनाओं को छोड़ने से परेशान सड़क, परिवहन एवं
राजमार्ग मंत्रालय चाहता है कि मौजूदा नियमों में कुछ ढील दी जाए। खासतौर से
ठेकेदारों को परियोजना को बीच में दूसरे ठेकेदार को देने की अनुमति मंत्रालय चाहता
है।
उल्लेखनीय है कि
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पिछले साल कई प्रमुख राजमार्गों के
ठेके दिए थे। देश की नामी कंपनियों ने ये ठेके लिए लेकिन इक्विटी की समस्या के
कारण अधिकांश परियोजनाएं लटकी हुई है। देश की दो प्रमुख निर्माण कंपनियों जीवीके
और जीएमआर ने पिछले दिनों अपनी दो परियोजनाएं बीच में ही छोड़ दी थीं। इस वजह से
काफी विवाद भी हुआ था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया है।
इस समय जो नियम है
उनके मुताबिक कोई भी ठेकेदार पहले दो साल में अपने ठेके किसी दूसरे ठेकेदार को
हस्तांतरित नहीं कर सकता है। परिवहन मंत्रालय इसी नियम में बदलाव चाहता है। खुद
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री सी.पी. जोशी यह मानते हैं सड़क निर्माण के क्षेत्र
में काम कर हरी कंपनियों को इक्विटी की समस्या है। इस वजह से दो दर्जन से ज्यादा
सड़क परियोजनाएं रुकी हुई है।
वहीं दूसरी ओर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात
कर दृढ़तापूर्वक आग्रह किया है कि मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण
एवं मरम्मत से संबंधित मुद्दों का जल्दी समाधान करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय
राजमार्गों संबंधी मुद्दे मध्यप्रदेश के लिए लम्बे समय से परेशानी का कारण बने
हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को इस परिदृश्य का उल्लेख करते हुए पत्र भी
सौंपा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे समाधान के लिए संबंधित मंत्री से चर्चा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने
प्रधानमंत्री का ध्यान प्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक तीन, राष्ट्रीय
राजमार्ग-7 की ओर
दिलाते हुए कहा कि ये मार्ग सबसे ज्यादा खराब हो चुके हैं। उन्हांेने बताया कि
तत्काल मरम्मत के लिए 57 करोड़ रुपये ही व्यय होंगे। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों की
मरम्मत पर मध्यप्रदेश द्वारा खर्च किये गये दो सौ करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का भी
आग्रह किया।
प्रधानमंत्री से
मुलाकात में चौहान ने कहा कि पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों का संधारण राज्यों
के लोक निर्माण विभागों के राष्ट्रीय राजमार्गों विभागों द्वारा किया जाता है और
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में इस संबंध में कोई प्रक्रिया तक नहीं अपनाई गई है
और न ही राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई गई है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि मध्यप्रदेश ने अपने संसाधन से राष्ट्रीय
राजमार्गों के संधारण पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च की है। यह एक ऐतिहासिक
कदम है जब किसी राज्य ने केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से
क्षतिपूर्ति राशि लिए बिना जनहित में यह कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री ने
प्रधानमंत्री का ध्यान मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट की ओर आकृष्ट करते हुए कहा कि
राष्ट्रीय राजमार्गों की निर्माण परियोजनाओं में से कुछ सहयोगी पीछे हट गये हैं
जिसके कारण क्रियान्वयन में विलम्ब हो रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग
बहुत ज्यादा खराब हालत में हैं। इनके नियमित संधारण में लगातार अनदेखी होने के
कारण वे वाहन चलाने योग्य नहीं रहे।
श्री चौहान ने
प्रधानमंत्री को सौंपे अपने पत्र में कहा कि मध्यप्रदेश में दो श्रेणियों के
राष्ट्रीय राजमार्ग है। पहली श्रेणी में वे राष्ट्रीय राजमार्ग आते हैं जो राज्य
सरकार को मध्यप्रदेश राज्य सड़क विकास निगम को अद्यतन और पुनः विकास के लिए सौंपे
गये हैं। ये परियोजनाएं राज्य की एजेंसी द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी आधार पर
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ करारनामा कर क्रियान्वित किये
जा रही हैं। उन्होंने कहा कि करारनामे में राज्य सरकार और केन्द्रीय सड़क परिवहन
एवं राजमार्ग मंत्रालय की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख है। राज्य सरकार तत्परता के साथ
अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर रही है लेकिन केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग
मंत्रालय को सौंपी गई जिम्मेदारियां निभाने में गंभीर रूप से कमी है।
श्री चौहान ने
प्रधानमंत्री को बताया कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भूमि
अधिग्रहण, वायएबिलिटी
गैप फंडिंग और अन्य परियोजना पूर्व गतिविधियों के लिए आवश्यक राशि उपलब्ध कराने से
संबंधित करीब 250 करोड़
रुपये के दावे बिना किसी कारण लंबित हैं। इस अनावश्यक विलम्ब से सहयोगियों के मन
में अनिश्चितता का भाव पैदा हो रहा है और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भी विलम्ब
हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा
कि राज्य मे राष्ट्रीय राजमार्ग की दूसरी श्रेणी में वे सड़कें आती हैं जो भारतीय
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को केन्द्रीय मंत्रालय द्वारा पुनः निर्माण और विकास
के लिए दी गई है। इनमें मुख्य रूप से आगरा, मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक तीन, राष्ट्रीय -7 और राष्ट्रीय
राजमार्ग 69 हैं जो
मध्यप्रदेश से गुजरते हैं। ये प्रदेश में परिवहन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इनका
काम सार्वजनिक-निजी आधार पर लिया गया है लेकिन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग
प्राधिकरण द्वारा अभी इन पर काम ही शुरू नहीं हुआ है।
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