लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------
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संचार क्रांति में पिछड़ा जनसंपर्क विभाग
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। देश भर में पेपरलेस काम के
लिए संचार साधनों का इस्तेमाल तेजी से किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश
में जनसंपर्क विभाग के जिला स्तरीय कार्यालय में लाईन आर्डर की स्थिति में भी
संचार साधनों के बजाए बाबा आदम के जमाने के हस्त लिखित कागजों की फोटोकापी का
प्रयोग किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। वैसे तो जनसंपर्क विभाग सिवनी
द्वारा उसके जिला कार्यालय में एनरोल्ड मीडिया को ईमेल कर खबरों का आदान प्रदान
किया जाता है, पर रविवार को एसा नहीं किया गया।
गौरतलब है कि 07 फरवरी की रात्रि में सिवनी शहर में
तनाव बढ़ने के चलते प्रशासन द्वारा यहां कर्फ्यू लगा दिया गया था। इसके उपरांत जब
जन जीवन पटरी पर आया तो रविवार को स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने ढील कुछ और
बढ़ाने का निर्णय लिया। बताया जाता है कि रविवार को दोपहर में जिला प्रशासन ने
निर्णय लिया कि सोमवार को सुबह से शाम तक इसमें ढील दी जाए और सोमवार को शिक्षण
संस्थाएं, सरकारी कार्यालय, बैंक आदि पूर्ववत सुचारू तौर पर संचालित
हों।
जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा अपरान्ह
दो बजे एक मेल भेजकर बताया कि कर्फ्यू में कितने बजे से कितने बजे तक ढील दी
जाएगी। इसके उपरांत यह संशय बरकरार रहा कि सोमवार को शिक्षण संस्थान खुलेंगे अथवा
नहीं। इस संबंध में जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा ईमेल पर कोई सूचना नहीं जारी की
गई। बताया जाता है कि कुछ मीडिया संस्थानों में अवश्य हस्त लिखित विज्ञप्ति जिसमें
इस बात का उल्लेख था कि सोमवार को शिक्षण संस्थाएं, सरकारी कार्यालय, बैंक आदि पूर्ववत सुचारू तौर पर संचालित
होंगे का वितरण किया गया।
उधर, जिला जनसंपर्क कार्यालय के सूत्रों का
कहना है कि चूंकि टाईपिस्ट चला गया था अतः इसे टाईप कर इसको ईमेल करना संभव नहीं
था इसलिए हाथ से ही लिखकर इसे बांटा गया। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि जिला जनसंपर्क
विभाग के प्रमुख को वैसे तो नेट फ्रेंडली होना चाहिए पर शायद उन्हें भी टाईपिंग या
इंटरनेट का उपयोग नहीं आता है तभी ईमेल के बजाए हस्तलिखित विज्ञप्ति बांटने की
नौबत आई।
वहीं, मीडिया में इस तरह की चर्चाएं भी हो रही
हैं कि अगर कर्फ्यू के दौरान जिला जनसंपर्क अधिकारी द्वारा पास की बंदरबांट ना की
गई होती तो निश्चित तौर पर किसी ना किसी मीडिया वाले ने इस विज्ञप्ति को टाईप कर
पीआरओ को भेज दिया गया होता, जहां से इसे ईमेल द्वारा वितरित कर दिया
जाता, वस्तुतः एसा हुआ नहीं। मजे की बात तो यह है कि जिला जनसंपर्क कार्यालय
द्वारा इस विज्ञप्ति का ईमेल जनसंपर्क संचालनालय को किया गया है अथवा नहीं इस बारे
में भी कुहासा बना हुआ ही है।
वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि कर्फ्यू के दौरान
जनसंपर्क विभाग की सेवाएं भी अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल हो जाती हैं, क्योंकि संवेदनशील मामलों में मीडिया के
साथ तालमेल का अभाव अर्थ का अनर्थ भी कर सकता है इन परिस्थितियों में अगर जिला
जनसंपर्क अधिकारी कार्यालय द्वारा इस तरह की कोताही बरती गई है तो इसकी जांच अवश्य
ही होना चाहिए। वैसे भी पत्रकारों ने पास वितरण में काफी हद तक गड़बडी के आरोप भी
लगाए हैं। इस संबंध में सिवनी से प्रकाशित समाचार पत्रों सहित जबलपुर से प्रकाशित
समाचार पत्रों ने भी काफी तल्ख टिप्पणियां की हैं।
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