शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

भाजपा के दरबार से है अध्यक्ष को आशा


भाजपा के दरबार से है अध्यक्ष को आशा

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। लगातार तीन सालों तक हिटलर की तरह जनपद पंचायत का संचालन करने के बाद जब आक्रोषित सदस्यों ने जनपद पंचायत सिवनी की अध्यक्ष किरण अवधिया के विरूद्ध अविष्वास प्रस्ताव पेष कर दिया तो अध्यक्ष को अपनी वास्तविक हैसियत का अनुमान हो गया और आखिरकार वे उसी दरबार में मत्था टेक कर आषीर्वाद की भींख मांगने पंहुच गईं जिसके विरूद्ध इलेक्ट्रानिक मीडिया पर सैंकड़ों आरोप लगाकर स्वयं अध्यक्ष ने उस पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। स्मरणीय है कि श्रीेमति किरण अवधिया भाजपा समर्थित प्रत्याषी के रूप में सिवनी जनपदपंचायत की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कान्हीवाड़ा और कामता पंचायतों को मिलाकर बने जनपद क्षेत्र से जनपद सदस्य के रूप में निर्वाचित हुई थीं। जनपद सदस्य निर्वाचित होने के बाद सबसे पहले उन्हाने पदलोलुपता का परिचय देकर पार्टी के आदेषों की अव्हेलना कर पार्टी के अधिकृत प्रत्याषी के विरूद्ध अध्यक्ष का चुनाव लड़कर विद्रोही प्रत्याषी के रूप में अध्यक्ष पद का चुनाव जीता जिसमें गोंडवाना समर्थक सदस्यों के साथ साथ विधानसभा उपाध्यक्ष विरोधी कांग्रेास गुट के सदस्यों की विषेष भूमिका रही थी। अध्यक्ष बनने के बाद उनका सबसे पहले टकराव तत्कालीन महिला सी ई ओ से हुआ जिसे हटाने के लिये अध्यक्ष ने भाजपा के जिलास्तर से लेकर प्रदेष स्तर तक के नेताओं के चक्कर काटे किंतु उन्हे सफलता नहीं मिली। परिणामस्वरूप उन्होने अपने तथाकथित अपमान का विरोध करने का मन बनाया और एक दिन अपने कार्यालय में जिला मुख्याालय के मीडिया कर्मियों को आमंत्रित कर सार्वजनिक रूप से भाजपा से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी।उसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष के हस्तक्षेप से तत्कालीन सीईओ को अपना बोरिया बिस्तर बांधने को मजबूर होना पड़ा। इस उपकार के बदले जनपद अध्यक्ष ने भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों में जाना बंद कर पूरी तरह विधानसभा उपाध्यक्ष का दामन थाम लिया। भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं से सम्पर्कों के दंभ में जनपद अध्यक्ष को कभी इस बात का अहसास नहीं हुआ कि सीईओ को हटाने या न हटाने का काम भले ही बड़े नेता करते हों किंतु उन्हे अध्यक्ष पद से हटाने या न हटाने का काम जनपद सदस्य भी कर सकते हैं। इसी गलतफहमी के कारण अध्यक्ष ने जनपद सदस्यों से नौकरों जैसा व्यवहार करना प्रारंभ कर दिया। यहां तक कि सदस्यों को इस बात के लिये भी आदेषित करने लगीं कि उनके क्षेत्र की कार्ययोजना भी अध्यक्ष के आदेषानुसार बनाई जाये अन्यथा कोई राषि उपलब्ध नहीं कराई जायेगी। अध्यक्ष के इस दुवर््यवहार का परिणाम यह हुआ कि आज 25 सदस्यों वाले सदन में अध्यक्ष के साथ खड़े होने के लिये उनके अतिरिक्त एक मात्र सदस्य के अतिरिक्त और कोई तैयार नहीं है। अपनी इस दुर्दषा का अनुमान लगते ही जनपद अध्यक्ष भाजपा के कार्यालय में आषीर्वाद मांगने पंहुच गई। बताया जाता है कि जिस समय अध्यक्ष पार्टी कार्यालय पंहुची उस समय पार्टी की प्रबंध समिति की महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी। भाजपा की रीति-नीति से अनभिज्ञ जनपद अध्यक्ष सीधे उस बैठक में जाने का प्रयास करने लगीं जिन्हे बाहर ही रोक दिया गया। लम्बी प्रतीक्षा के बाद कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उनसे मुलकात कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया। बताया जाता है कि अध्यक्ष ने अब भविष्य में कांग्रेस नेता और पार्टी से किसी तरह के सम्बंध न रखने की सौगंध भाजपा नेताओं के समक्ष खाई है जिसपर संगठन मंत्री ने कुछ सहरानुभूति प्रकट की है उसके बावजूद अध्यक्ष को बचाने के मामले में भाजपा में मतैक्य नहीं दिख रहा है। बताया जाता है कि जिला भाजपा अध्यक्ष और केवलारी के प्रत्याषी रहे भाजपा नेता तो अध्यक्ष को एक अवसर देने की मानसिकता रखते हैं किंतु जनपद सदस्यों के बहुतायत वाली सिवनी विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला नेत्री उससे सहमत नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि सिवनी जनपद में कुल 25 सदस्य है जिनमें से केवलारी विधानसभा के क्षेत्र में 07 और सिवनी विधानसभा के क्षेत्र में 18 सदस्य है जिनमें से 17 सदस्य अध्यक्ष के विरोधी हैं।

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