सर्कस के बाजीगर ही
निकल सकते हैं नेहरू रोड़ से
(शिवेश नामदेव)
सिवनी (साई)। एक
समय में शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली नेहरू रोड़ आज बदहाली के कगार पर पहुंच
चुकी है। इस सड़क से चौपहिया क्या दो पहिया वाहनों का गुजरना भी अब दुष्कर हो गया
है। पैदल चलते राहगीरों को भी स्थान तलाशते हुए ही यहां से गुजरने पर मजबूर होना
पड़ता है।
नगर के अति
व्यस्ततम क्षेत्र नेहरू रोड में यातायात व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन और जिला
प्रशासन सक्रिय नहीं है, जिसके चलते नेहरू रोड में स्थित दुकानों के सामने वाहनों की
लंबी- लंबी लाईन लगे रहती है, जिसके चलते वहां से गुजरने वाले लोगों को
खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन दिनों सोने की कीमत में आई कमी को देखते
हुए ज्वेलरी की दुकानो में अच्छी- खासी भीड़ इकत्र हो रही है। ज्वेलरी खरीदने जाने
के लिए जाने वाले ग्राहक अपने वाहनों को सड़क के किनारे अव्यवस्थित खड़े कर देते हैं, जिसके चलते नेहरू
रोड से गुजरने वाले अन्य लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।
अस्सी के दशक में
जिला कोतवाली का पिकप वाहन जब इस सड़क पर निकलता था तब दुकानदार भय के चलते सायकलों
को हटवा देते थे, जो नहीं
हटवा पाते थे उनकी साईकल जप्त कर थाने ले जाई जाती थीं, जो बाद में चालान
के उपरांत ही छोड़ी जाती थीं। अस्सी के दशक के उपरांत पुलिस ने भी इस ओर दिलचस्पी
लेना बंद ही कर दिया।
अमूमन देखा गया है
कि दुकानदार अपनी दुकान का सामान नेहरू रोड़ के एक डेढ़ फिट के फुटपाथ पर सजा देते
हैं, इसके बाद
बची जगहों पर उनकी दुकानों में खरीददारी के लिए आए ग्राहकों के वाहन खड़े हो जाते
हैं। कई बार तो यहां सड़क पर खड़े चौपाया वाहन आवागमन को अवरूद्ध कर देते हैं।
प्रोढ़ हो चुकी पीढ़ी
को याद होगा कि वर्तमान में जहां आनंद होटल संचालित हो रहा है वहां पर नेशनल बस
सर्विस का गैराज हुआ करता था, इस गैराज में इस बस कंपनी की यात्री बसों की
आवाजाही हुआ करती थी। महावीर व्यायामशाला वाली गली में ये यात्री बस कुछ मुश्किल
के साथ पर घुस जाया करती थीं।
इस प्रसंग का
उल्लेख करने का कारण यह है कि एक समय था जब इस मार्ग पर यात्री बस तक चल जाया करती
थी, आज इस
मार्ग में अतिक्रमण का जो आलम है उससे यहां पैदल चलना भी दुष्कर है। इससे साबित हो
जाता है कि अगर नगर पालिका और यातायात पुलिस ने इस मार्ग पर अतिक्रमण से निपटने
कोई कार्यवाही नहीं की है, नतीजतन आज सालों साल में अतिक्रमण स्थाई हो चुके हैं।
नेहरू रोड में
अव्यवस्थित खड़े वाहनों को लेकर यातायात महकमा कभी भी गंभीर नहीं हुआ। यातायात
महकमे की कार्यवाही छिंदवाड़ा चौक से शुरू होती है और बाहुबली चौक में जाकर खत्म हो
जाती है, लेकिन आज
तक जो भी यातायात प्रभारी रहे हैं, उन्होंने नेहरू रोड को नजरअंदाज ही किया है।
यातायात को अवरूद्ध करने का कारनामा सिर्फ नेहरू रोड में ही किया जाता है, ऐसा नहीं है।
सिवनी की अधिकांश
बैंकों के सामने भी वाहन बेतरतीब खड़े कर दिये जाते हैं, जिस ओर बैंक
प्रबंधन भी ध्यान नहीं देता। शुक्रवारी स्थित महाराष्ट्र बैंक, यूनियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ
इंडिया, कचहरी चौक
की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा आदि ऐसी बैंक है, जिनके सामने वाहन
पार्किंग की व्यवस्था नहीं है और न ही इन बैंकों और दुकानदारों ने कोई ऐसी
व्यवस्था भी नहीं की है कि इन वाहनों को सुव्यवस्थित खड़े कर सके।
ऐसे में सिवनी की
यातायात व्यवस्था को सुधारने की बात सिर्फ और सिर्फ बेईमानी ही लगती है। देखना यह
है कि नवागत कलेक्टर भरत यादव और पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला शहर को अतिक्रमण
मुक्त बनाने के लिए कृत संकल्पित दिख रहे हैं, अब देखना है कि
उनकी मुहिम किस स्तर तक परवान चढ़ पाती है।
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