शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

आखिरकार चीनी मिल और सरकार के बीच हुए समझौते की खुली कलई


आखिरकार चीनी मिल और सरकार के बीच हुए समझौते की खुली कलई

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। आज चीनी मिल मालिको और सरकार के बीच हो रहे आपसी समझौते की क्लई उस वक्त खुल गयी जब वीएम सिंह की किसान हितैषी जनहित याचिका को खारिज कराने के लिए प्रदेश सरकार के सोलीसिटर ही खडे नजर आये।
चालू पेरोई सत्र 2012-13 का चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का लगभग साढे सात हजार करोड रूपये से अधिक भुगतान रोक रखा है। जिस पर वीएम सिंह ने एक जनहित याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बैंच में दायर करते हुए अपील की थी कि चालू पेराई सत्र में गन्ना किसानों का चीनी मिलों ने साढे सात हजार करोड रूपये से अधिक पैसा रोक रखा है। जिसे तत्काल 15 फीसदी ब्याज सहित दिलवाया जावे। ऐसा न करने पर मिलों की आरसी काट दी जाये। इसके साथ ही जब तक गन्ना किसान का भुगतान नहीं हो जाता। तब तक गन्ना किसान से किसी भी प्रकार के कृषि ऋण की वसूली स्थगित रखी जाये। साथ ही दलील देते हुए जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि जहां मिलों की आरसी कटते ही मिले तत्काल गन्ना किसानों का भुगतान करेंगी वहीं प्रदेश सरकार को भी आरसी काटने के बाद 800 करोड का राजस्व प्राप्त होगा।
आज इस जनहित याचिका का विरोध करने के लिए कई दर्जन अधिवक्ता न्यायधीश उमानाथ की बैंच में उपस्थित थे। इस मामले में उस वक्त अजीब स्थिति देखने को मिली जब प्रदेश सरकार की ओर से ए.ए.जी. (एडिशनल सोलीसिटर) श्रीमति बुलबुल गुलियाल ने ही अजीब तर्क देते हुए वीएम सिंह के हल्फनामे में तकनीकी त्रुटि बताकर उसे खारिज करने तक की अपील कर डाली। सरकार वकील का यह कृत्य निश्चित तौर पर मिल मालिकांे के पक्ष में जाता दिखाई दिया। वीएम सिंह ने इस पर दलील देते हुए कहा कि माननीय उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि जनहित याचिका में तकनीकी त्रुटि नहीं देखी जाती। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ओर गन्ना आयुक्त का यह दायित्व है कि वह गन्ना किसानों का भुगतान ब्याज सहित तत्काल दिलाये। ऐसा न कर पाने पर मिलों की आरसी काटने का निर्देश गन्ना आयुक्त जारी करें। परंतु ऐसा करने के स्थान पर ये याचिका निरस्त कराने का काम किया जा रहा है।
अदालत में उस समय सनसनी फैल गयी जब न्यायमूर्ति उमानाथ ने ऑफ दि रिकार्ड यह तक कह डाला कि ये लोग तब तक गन्ना किसानों का भुगतान ब्याज सहित नहीं करेंगे और न ही तब तक आरसी काटेंगे जब तक दो-चार अधिकारी जेल नहीं चले जाते। सारी दलील सुनने के बाद उमानाथ की नेतृत्व वाली बैंच ने 2 मई को अगली सुनवाई का आदेश दिया। वीएम सिंह ने कहा कि मालिक ने चाहा तो गन्ना किसानों का बकाया भुगतान ब्याज सहित शीघ्र ही मिल जायेगा ओर उनकी आरसी भी रूकेंगी। अदालत ने वीएम सिंह के साथ विकास बालियान भी उपस्थित थे। 

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