जानें उपभोक्ताओं
के अधिकार
(डी.बी.नायर)
सिवनी (साई)।
उपभोक्ता संरक्षण के लिये यह बात जरूरी है कि उपभोक्ताओें द्वारा खरीदी जाने वाली
वस्तुओं तथा प्राप्त की जाने वाली सेवाओं के मामले में तौल तथा माप सहीं हो।
उपभोक्ता को किसी भी सेवा में शिकायत होने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत
उपभोक्ता अदालतों में प्रकरण दर्ज करना चाहिये।
उपभोक्ताओं के हित
में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निम्नानुसार है।
1. अगर सामान में खराबी या सेवा में कमी के
कारण आपको हानि/क्षति हुई है अथवा किसी व्यापारी द्वारा अनुचित/प्रतिबंधात्मक
पद्धति का प्रयोग किया है अथवा उनको हुई हानि या क्षति के लिये पर्याप्त
क्षतिपूर्ति नहीं दी गई है अथवा आपकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया है तो अपने
जिले के उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने में न हिचकिचायें।
शिकायत कौन कर सकते
हैं-
उपभोक्ता, कोई स्वैच्छिक
उपभोक्ता संगठन जो कंपनी अधिनियम 1956 अथवा फिलहाल लागू किसी अन्य विधि के अधीन
पंजीकृत है। केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार, एक अथवा एक से अधिक उपभोक्ता, उपभोक्ता की मृत्यु
की दिशा में उसके कानूनी अथवा प्रतिनिधि
शिकायत कैसे की
जाए-
शिकायत सादे कागज
पर की जा सकती है। शिकायत में निम्नलिखित विवरण होना चाहिये-
शिकायतकर्ता तथा
विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं घटना के स्थान व
तिथि का विवरण, शिकायत में
उल्लेखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज, शिकायत पर शिकायतकर्ता अथवा उसके प्राधिकृत
एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिये, शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी वकील की
अनिवार्यता नहीं है।
नाममात्र शुल्क-
अः एक लाख रूपये तक
- 100 रू,
बः एक लाख रूपये और
उससे ऊपर किंतु पांच लाख रूपये से कम - 200 रू.
सः पांच लाख रूपये
और उससे ऊपर किंतु दस लाख रूपये से कम - 400 रू.
दः दस लाख रूपये और
उससे ऊपर किंतु बीस लाख रूपये से कम - 500 रू,
शिकायत कहां की जाए
-
यह सामान अथवा
सेवाओं की लागत, मांगी गई
क्षतिपूर्ति एवं क्षेत्र पर निर्भर करता है। यदि यह 20 लाख रू. से कम है-
जिला फोरम में। यदि यह 20 लाख रू. से अधिक लेकिन एक करोड़ से कम है- राज्य आयोग के
समक्ष। यदि एक करोड़ रू. से अधिक है-राष्ट्रीय आयोग के समक्ष।
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