0 महाकौशल प्रांत का सपना . . . 19
केंद्रीय स्तर के आधा दर्जन नेता चाहें तो कल बन जाएगा महाकौशल
कांग्रेस भाजपा के पास हैं तीन तीन ताकतवर क्षत्रप
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। देश के असली हृदय प्रदेश का रूतबा रखने वाले महाकौशल प्रांत को प्रथक बनाने के लिए संघर्ष करने के लिए केंद्रीय स्तर के आधा दर्जन नेताओं की फौज ही पर्याप्त मानी जा सकती है, जो मध्य प्रदेश विधानसभा से इसका प्रस्ताव पारित करवाकर केंद्र को भेज सकती है और अपने प्रभाव का उपयोग कर केंद्र से भी इसे पारित करवाने का माद्दा रखते हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर के साथ ही साथ अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के पूर्व अध्यक्ष और मध्य प्रदेश बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर नीखरा, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन ंिसह कुलस्ते के अलावा मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी के साथ ही साथ जनता दल यूनाईटेड के संयोजक शरद यादव अगर मन में ईमानदारी से संकल्प पारित करवा दें तो महाकौशल प्रांत बनने में समय नहीं लगने वाला।
कांग्रेस और भाजपा की मध्य प्रदेश में भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कांग्रेस और भाजपा के कद्दावर नेता अगर अपने अपने समर्थक विधायकों को पाबंद कर दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा में प्रथक महाकौशल के लिए प्रस्ताव पारित करवाना है तो महाकौशल के समस्त विधायक मिलकर इस काम को अंजाम दे सकते हैं। इन विधायकों में विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी और उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर खुद महाकौशल क्षेत्र को कर्मभूमि बनाए हुए हैं अतः यह काम ज्यादा मुश्किल प्रतीत नहीं होता है।
अगर प्रथक महाकौशल का प्रस्ताव मध्य प्रदेश विधानसभा से पारित हो जाता है तब केंद्र सरकार से इसे पारित करवाने में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, कांग्रेस के क्षत्रप रामेश्वर नीखरा, भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते तथा जनता दल यूनाईटेड के संयोजक शरद यादव अपने अपने प्रभावों का बेहतर उपयोग कर इसे अंजाम तक पहुंचा सकते हैं।
इस प्रांत ने पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र जैसी राजनैतिक सूझबूझ वाली हस्ती को दिया जो प्रदेश के भाल पर महाकौशल का प्रतीक पुरूष साबित हुआ। महाकौशल ने प्रदेश को स्व.द्वारका प्रसाद मिश्र जैसा सबल, सुलझा और शक्तिशाली मुख्यमंत्री दिया। इसके अलावा केंद्र में गार्गीशंकर मिश्र जैसे कद्दावर मंत्री दिए, जिनकी कर्मभूमि छिंदवाड़ा और सिवनी रही। राजनैतिक तौर पर बलात ही हाशिए में ढकेल दी गई प्रदेश और देश की तेज तर्रार मंत्री सुश्री विमला वर्मा की कर्मभूमि सिवनी ही रही है। सुश्री वर्मा के बनाए लोगों ने ही उन्हें पार्श्व में ढकेला, वरना आज वे किसी प्रांत की महामहिम राज्यपाल या देश की महामहिम राष्ट्रपति बनने की काबिलियत रखती हैं। केंद्रीय परिदृश्य में अगर देखा जाए तो कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय महासचिव और अनेक विभागों के मंत्री रहे कमल नाथ का केंद्रीय राजनीति में अपना अलग ही महत्व है। इसके अलावा प्रदेश में राजनैतिक धुरी बन चुके हरवंश सिंह ठाकुर की जन्म भूमि छिंदवाड़ा तो कर्मभूमि सिवनी है। वे आज मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर विराज मान हैं। हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल उर्मिला सिंह भी सिवनी जिले से ही हैं। इसके अतिरिक्त दो दशकों तक स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे रामेश्वर नीखरा, पूर्व मंत्री सत्येंद्र पाठक, दीपक सक्सेना, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्वनाथ दुबे, प्रवक्ता कल्याणी पांडे, श्रीमति नेहा सिंह, रेखा बिसेन, पुष्पा बिसेन, दयाल सिंह तुमराची और न जाने कितने जनसेवक हैं जो प्रदेश और केंद्रीय राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।
भाजपा भी महाकौशल प्रांत में जबर्दस्त तरीके से सक्षम ही प्रतीत होती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल वर्तमान में केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। वे भाजपा के असंगठित मोर्चे के अध्यक्ष हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते भी केंद्रीय राजनीति में हैं और वे भी भाजपा के एक अनुसूचित जनजाति मोर्चे के नेशनल प्रेजीडेंट हैं। मंत्रियों में गौरी शंकर बिसेन, अजय बिश्नोई, देवी सिंह सैयाम, नाना माहोड़े तो पूर्व मंत्रियों में डॉ.ढाल सिंह बिसेन, चौधरी चंद्रभान सिंह आदि का शुमार है। महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर भी दो बार विधायक रहे हैं। मध्य प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया सिवनी से विधायक भी हैं। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष अनुसुईया उईके, विनोद गोटिया, राकेश सिंह और न जाने कितनी विभूतियां भाजपा की झोली में हैं। इतना ही नहीं एनडीए के सबसे ताकतवर स्तंभ शरद यादव की राजनीति भी महाकौशल की संभावित राजधानी जबलपुर से ही आरंभ हुई।
(क्रमशः जारी)
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