मंगलवार, 3 जनवरी 2012

सिब्बल ने बढ़ाई मनमोहन की मुसीबत


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 65

सिब्बल ने बढ़ाई मनमोहन की मुसीबत

हत्या के नामजद आरोपी को बनाया समिति का सदस्य



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की बिदाई का ताना बाना उनके ही संगी साथियों और भरोसेमंद लोगों द्वारा बुना जा रहा है। वजीरे आजम के खासुलखास मानव संसाधन और विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मुस्लिमों को लुभाने के लिए उर्दू भाषा के प्रचार हेतु गठित राष्ट्रीय परिषद में संदिग्ध लोगों को शामिल कर विपक्ष की धार मनमोहन के प्रति तेज करने के मार्ग प्रशस्त कर दिए हैं।
कांग्रेस के तारणहार की भूमिका में आने के उपरांत लोगों के आक्रोश का शिकार बनने वाले कपिल सिब्बल को पार्टी और सरकार दोनों ही ने पर्दे के पीछे बलात ही ढकेल दिया था। कपिल सिब्बल पिछले कुछ सप्ताह से टीवी पर भी सामने नहीं दिख रहे हैं। सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट्स पर भी कपिल सिब्बल पर जमकर निशाने साधे गए।
हाल ही में सिब्बल ने उर्दू के प्रचार के लिए बनाई गई चौबीस सदस्यीय परिषद में शेख अलीमुद्दीन असादी जैसी शख्सियत को भी स्थान दे दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अलीमुद्दीन दसवीं कक्षा तक अध्ययन नहीं कर सके हैं। ये पूर्व में मांस का व्यापार करते थे। इतना ही नहीं इसमें शामिल हफीज करीम का नाम नैना साहनी मर्डर केस में नामजद बताया जा रहा है।
इसके अलावा मोहम्मद मियां मजहरी भी इसमें शामिल हैं जो भाजपा के कार्यकर्ता हैं और वे अटल बिहारी बाजपेयी की समिति में भी रहे हैं। उर्दू प्रचार परिषद के निदेशक हमीदुल्लाह भट्ट को भाजपा शासनकाल में मुरली मनोहर जोशी द्वारा भी उपकृत किया गया था। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी प्रतिकूल टिप्पणी ही की है।
भाजपाईयों पर एतबार जताने के कारण अब कांग्रेस के अंदर ही कपिल सिब्बल के खिलाफ एक बार फिर माहौल गर्माने लगा है। अघोषित तौर पर प्रधानमंत्री की पहली पसंद बनकर उभरे कपिल सिब्बल के हर कदम को प्रधानमंत्री की सहमति से ही होने का आशय कांग्रेस में लगाया जाने लगा है। इस मामले में भी यही माना जा रहा है कि यह सब कुछ प्रधानमंत्री की शह पर ही हो रहा है। कपिल सिब्बल का यह कदम प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के लिए मुसीबत का ही सबब बन सकता है।

(क्रमशः जारी)

कोई टिप्पणी नहीं: