वाकई अनोखी ही है अजवायन
(डॉ दीपक आचार्य, अहमदाबाद)
किचन में उपयोग में आने वाले मसालों का औषधीय महत्व कितना हो सकता है इसका सटीक उदाहरण अजवायन है। अजवायन का वानस्पतिक नाम ‘ट्रेकीस्पर्मम एम्माई‘ है। आदिकाल से लोग इसके बीजों का उपयोग विभिन्न तरह के रोग निवारण के लिये करते आ रहे है। पान के पत्ते के साथ अजवायन के बीजों को चबाया जाए तो गैस, पेट मे मरोड और एसीडिटी से निजात मिल जाती है।
पेट दर्द होने पर अजवायन के दाने १० ग्राम, सोंठ ५ ग्राम और काला नमक २ ग्राम को अच्छी तरह मिलाया जाए और फ़िर रोगी को इस मिश्रण का ३ ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिन में ४-५ बार दिया जाए तो आराम मिलता है। अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का ५ ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफ़ी फ़ायदा होता है। यदि बीजों को भूनकर एक सूती कपडे मे लपेट लिया जाए और रात तकिये के नजदीक रखा जाए तो दमा, सर्दी, खाँसी के रोगियों को रात को नींद में साँस लेने मे तकलीफ़ नही होती है।
माईग्रेन के रोगियों को पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार अजवायन का धुँआ लेने की सलाह देते है। डाँग- गुजरात के आदिवासी अजवायन, इमली के बीज और गुड की समान मात्रा लेकर घी में अच्छी तरह भून लेते है और फ़िर इसकी कुछ मात्रा प्रतिदिन नपुँसकता से ग्रसित व्यक्ति को देते है, इन आदिवासियों के अनुसार ये मिश्रण पौरुषत्व बढाने के साथ साथ शुक्राणुओं की संख्या बढाने में भी मदद करता है।
(साई फीचर्स)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें