0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 42
दोनों चरणों के कार्यकारी सारांश में है गंभीर त्रुटी
बिना देखे सुने पीसीबी ने लगा दी मुहर!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में शामिल देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में संरक्षित बिनैकी वन में स्थापित होने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट के दोनों चरणों के कार्यकारी सारांश में गंभीर त्रुटियां होने के बाद भी मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के अधीन काम करने वाले प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इसकी स्वीकृति दिए जाने से अनेक संदेह यक्ष प्रश्न बनकर रह गए हैं।
22 अगस्त 2009 को संपन्न पहले चरण की लोकसुनवाई के लिए मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के कार्यकारी सारांश में संयंत्र का अक्षांश 22 डिग्री 43 मिनिट और 28 सेकन्ड से 22 डिग्री 44 मिनिट और 35 सेकन्ड दर्शाया गया है। इसके साथ ही साथ देशांस में 79 डिग्री, 54 मिनिट और 10 सेकन्ड से 79 डिग्री 55 मिनिट और 47 सेकन्ड दर्शाया गया है।
इसके उपरांत दूसरे चरण के लिए 22 नवंबर 2011 को संपन्न लोकसुनवाई में संयंत्र की स्थिति ही बदल दी गई है। अब यह संयंत्र अक्षांश में 22 डिग्री 43 मिनिट और 40 सेकन्ड से 22 डिग्री 44 मिनिट और 20 सेकन्ड तथा देशांस में 79 डिग्री 54 मिनिट और 35 सेकन्ड से 79 डिग्री, 55 मिनिट और 35 सेकन्ड तक दर्शाया गया है। इन दोनों में टोपो शीट का नंबर 55 एन/14 ही दर्शाया गया है।
इसके अलावा पहले चरण में निकटतम राष्ट्रीय राजमार्ग या राज्य मार्ग में 40 किलोमीटर दूर एनएच 07 का होना तथा दूसरे चरण में इसी एनएच 07 की दूरी उत्तर पश्चिम में 40 से घटकर महज 18 किलोमीटर ही रह गई है। इतना ही नहीं मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का दूसरे चरण का संयंत्र जहां लग रहा है उससे राज्य मार्ग नंबर 40 दक्षिण दिशा में आठ किलोमीटर दूर दर्शाया गया है।
सवाल यह उठता है कि झाबुआ पावर लिमिटेड के इस पावर प्लांट का प्रथम चरण और द्वितीय चरण के संयंत्र के बीच क्या 22 किलोमीटर का फासला है? अगर है तो दोनों ही ग्राम बरेला में कैसे संस्थापित हो रहे हैं? मतलब साफ है कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के ‘‘किसी बड़े दबाव‘‘ के चलते मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, मध्य प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन सिवनी के साथ ही साथ केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी इतनी गंभीर त्रुटि और विसंगति होने के बाद भी इसकी संस्थापना के लिए हरी झंडी प्रदान कर दी है, जो वाकई शोध का विषय ही कही जाएगी।
यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर भी गौतम थापर या संयंत्र प्रबध्ंान से यह पूछने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं कि आखिर यह सब हो कैसे पा रहा है? इस मामले में विधानसभा में भी किसी के द्वारा प्रश्न न लगाया जाना साफ दर्शाता है कि विकास के नाम पर आदिवासियों का शोषण करने पर आमदा भाजपा सरकार का साथ कांग्रेस किस तरह चुपचाप दे रही है।
(क्रमशः जारी)
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