ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
संघ में नए पत्रकारों की भर्ती
चाल, चरित्र और चेहरा के लिए सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अब मीडिया पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने लगा है। संघ ने हाल ही में संघ के हार्ड कोर मीडिया पर्सन्स को न्योता दिया। झंडेवालान स्थित संघ के दिल्ली मुख्यालय केशव कुंज में संघ प्रमुख मोहन भागवत के बुलावे पर संघ से जुड़े हार्ड कोर पत्रकारों ने कन्नी काट ली। संघ प्रमुख के आश्चर्य का ठिकाना तब नहीं रहा जब गैर संघी पत्रकारों ने पहली बार केशव कुंज में आमद दी। लंबी चोड़ी मंहगी कारों में सवार इन पत्रकारों का संघ प्रेम देखकर गुप्तचर शाखा वालों को भी आश्चर्य ही हुआ होगा। संघ के एक पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि संघी पत्रकारों को शायद इस बात का खतरा था कि अगर वे वहां पहुंचे और उनकी पहचान उजागर हुई तो गुप्तचर शाखा के लोग मीडिया घरानों में इन पत्रकारों की नौकरी खाने की तैयारी पुख्ता कर लेंगे। गैर संघी पत्रकारों और संघ की बढ़ती पींगें क्या गुल खिलाएंगी यह तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है।
राजमाता युवराज को छोड़ अनेक नेताओं ने टेका व्यंकटेश के चरणों में मत्था
दक्षिण भारत में तिरूमला की पर्वतश्रंखलाओं पर विराजे भगवान व्यंकटेश का मंदिर जिसे तिरूपति बालाजी के नाम से जाना जाता है देश के सबसे धनी मंदिर माना जाता है। इस साल अनेक देशों के प्रमुखों ने यहां आकर मत्था टेका है। इस साल जो अतिविशिष्ट व्यक्ति दर्शन के लिए मंदिर गए उनमें भारत, श्रीलंका और नेपाल के राष्ट्रपति भी शामिल हैं। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल सात जुलाई को अपनी शादी की वर्षगांठ पर दर्शन किए। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने भारत और श्रीलंका के बीच होने वाले आईसीसी वर्ल्ड कप के फाइनल मैच से एक दिन पहले 2 अप्रैल को भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन किए। इधर नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव 30 जनवरी को भगवान के दर्शन के लिए मंदिर आए थे। इसके अलावा श्रीमति सोनिया गांधी और राहुल गांधी को छोड़कर देश के आला नेता भी यहां मत्था टेकने पहुंचे।
आरक्षित वन पर थापर का कब्जा!
एक तरफ कांग्रेस भाजपा द्वारा सशक्त लोकपाल लाने की कवायद कथित तौर पर की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के सहयोग से सरेआम नियम कायदों को ताक पर रखा जा रहा है। छटवीं अनुसूची में शामिल मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के 1200 मेगावाट के पावर प्लांट की संस्थापना की जा रही है। पावर प्लांट प्रबंधन ने जब अपना कार्यकारी सारांश जमा करवाया तो उसमें साफ उल्लेख किया है कि यह पावर प्लांट बरेला संरक्षित वन में ही लगाया जा रहा है। अनेकों विसंगतियों के बाद भी मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार ने आदिवासियों के हितों पर कुठाराघात करते हुए यहां संयंत्र लगाने की अनुमति अंततः दे ही दी।
मनमोहन का खाता, हासिल आई शून्य
देश के पहले ही वजीरे आजम होंगे डॉक्टर मनमोहन सिंह जिनके खाते में उपलब्धियों का खाता शून्य ही है। अब तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं सभी ने कुछ न कुछ उपलब्धि हर साल हासिल की है। पहला ही मौका होगा जबकि उपलब्धियों के मामले में मनमोहन सिंह का कलश रीता ही रहा है। इस साल प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के हाथ निराशा ही लगी है। साल के अंत में जब संपादकीय टीम सरकार का साल भर का लेखा जोखा तैयार करने बैठी तो उसको आश्चर्य हुआ कि इस साल तो सरकार की उपलब्धियों का कलश खाली ही है। मनमोहन के खाते में उपलब्धियां न होने से कांग्रेस के खेमे में भी मायूसी ही पसरी हुई है। कांग्रेसियों के लिए नए साल का उत्साह ही नहीं बचा है, क्योंकि वे क्या मुंह लेकर जनता के बीच जाएं?
प्रथक महाकौशल की चिंगारी पहुंची दिल्ली
देश के सच्चे हृदय प्रदेश महाकौशल को मध्य प्रदेश से तोड़कर अलग करने के लिए अब महाकौशल से निकली चिंगारी ने देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली की ओर रूख कर दिया है। पिछले कुछ सालों से महाकौशल को अलग करने के लिए छोटे मोटे आंदोलनों के बाद अब लगने लगा है कि सारे संगठन संगठित होकर शायद प्रयास करने में जुट जाएं। बताया जाता है कि लोग अब दिल्ली में मध्य प्रदेश के लोगों को संगठित करने वाले सांसद शरद यादव और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा से इस मामले में पहल करने की उम्मीद कर रहे हैं। शरद यादव का राजनैतिक जीवन और विवेक तन्खा का अधिकांश समय महाकौशल की प्रस्तावित राजधानी जबलपुर में जो बीता है।
सहयोगी नाराज हैं मनमोहन से
भले ही मनमोहन सिंह अपने आप को कमजोर लाचार बताकर बचने का स्वांग रचें, पर अंततः 2011 की बिदाई के साथ ही वे पूरी तरह एक्सपोज होते नजर आ रहे हैं। अब लोगों को मनमोहन सिंह की छवि ईमानदार या बेचारे की नहीं दिखाई पड़ रही है। लोग अब उन्हें पलनिअप्पम चिदम्बरम, कपिल सिब्बल जैसे घाघ राजनेताओं की श्रेणी में ही खड़ा करने लगे हैं। मनमोहन सिंह से उनके गठबंधन के सहयोगी भी प्रसन्न नहीं दिख रहे हैं। मनमोहन सरकार के सहयोगी दलों के नेता या तो जेल की हवा खाते रहे या अपनी बारी का इंतजार करते ही नजर आए। इस तरह यूपीए टू में मनमोहन सिंह की छवि सत्तर के दशक के विलेन शत्रुध्न सिन्हा और प्रेम चौपड़ा की बन चुकी है। इन हालात में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल मनमोहन से मुक्ति के मार्ग तेजी से खोज रही है।
टेंकर कांड में उलझीं नीता!
नोट फॉर वोट कांड में कथित तौर पर बांटी गई रिश्वत को इंकार करने का दावा करने वाली सिवनी की पूर्व संसद सदस्य और विधायक श्रीमति नीता पटेरिया ने अटल बिहारी बाजपेयी के जन्म दिन पर मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा मनाए जाने वाले सुशासन दिवस के अवसर पर टेंकर बांटे गए, यह पूरा कार्यक्रम विवादों में आ गया। हुआ यूं कि नीता पटेरिया ने इसके पहले भारत माता के पूजन अर्चन के उपरांत प्रभारी मंत्री द्वारा चढ़ाई गई दक्षिणा उठाकर अपने कार्डीगन की जेब के हवाले कर दी। बाद में हल्ला होने पर इस प्रोग्राम को निजी निरूपित कर दिया। भाजपा ने भी इसे नीता पटेरिया का निजी बताते हुए विज्ञप्ति जारी कर दी गई। अगर यह विधायक का निजी कार्यक्रम था तो फिर लाख टके का सवाल यह है कि अटल जी को क्या जिला भाजपा भूल गई जो उसने सुशासन दिवस पर कोई कार्यक्रम नहीं रखा।
पंडित जी को पार्श्व में ढकेलने की तैयारी
राष्ट्र के भाल पर प्रदेश के प्रतीक पुरूष रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉ.शंकर दयाल शर्मा को मध्य प्रदेश तक सीमित रखने का ताना बाना बुना जाने लगा है। डॉ.शर्मा के समाधि स्थल कर्मभूमि पर मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान माथा नवाने शायद ही कभी गए हों। इतना ही नहीं दिल्ली में सक्रिय प्रदेश के क्षत्रप भी 26 दिसंबर को उनके समाधि स्थल पर जाना अपनी शान के प्रतिकूल ही समझते हैं। पार्टी या निजी प्रोग्राम में शिरकत करने के लिए शिवराज सिंह चौहान एक टांग पर दिल्ली जाने को तैयार रहते हैं। इसके लिए वे केंद्रीय मंत्री से मिलने का प्रोग्राम रखकर इस यात्रा को सरकारी भी बना देते हैं। पिछले कई सालों से जब भी महामहिम राष्ट्रपति डॉ.शंकर दयाल शर्मा की समाधि ‘कर्मभूमि‘ पर जाकर सर नवाने की बात आती है, शिवराज सिंह चौहान दिल्ली से कन्नी ही काटते नजर आते हैं।
चौपट राजा की भूमिका में मनमोहन
मनमोहन सिंह ने जब से देश के वजीरे आजम का पद संभाला है देश में अराजकता की स्थिति बन चुकी है। मनमोहन सरकार के सारे मंत्री एकदम निरंकुश हो चुके हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने निश्चित तौर पर इक्कीसवीं सदी के एसे भारत देश की कल्पना तो कतई नहीं की होगी जैसा कि वर्तमान में दिख रहा है। बेलगाम व्यवस्थाएं, अनादार, कदाचार, भष्टाचार देश पर जमकर हावी है। गणतंत्र के न जाने कितने टुकड़े होकर बिखर गए हैं। जनता की सेवा का कौल लेने वाले जनसेवक आज देश के हाकिम बन बैठे हैं। देश, प्रदेश के नीति निर्धारक मंत्री विधायक देश को नोंचे खाते जा रहे हैं। कानून व्यवस्था चौपट है। पुरानी कहानी ‘‘अंधेर नगरी चौपट राजा. . .‘ में चौपट राजा की भूमिका में नजर आ रहे हैं वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह।
एनएचएआई के नरसिंहपुर पीडी पर जड़ा ताला
अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल की महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भज परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे में मध्य प्रदेश में सिवनी के बाद अब नरसिंहपुर परियोजना निदेशक के कार्यालय पर ताला जड़ दिया गया है। अगर इसके तहत आने वाले क्षेत्र का काम पूरा हो जाता तब इसे बंद किया जाता तो कोई बात नहीं थी, किन्तु आधी अधूरी सड़क के बने रहने के बाद भी एक के बाद दूसरा पीडी आफिस बंद किया जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है। राजस्थान मूल के भूतल परिवहन मंत्री सी.पी.जोशी के द्वारा इस कार्यालय को बंद करने की सहमति आखिर किस आधार पर दी गई है, यह आज भी शोध का ही विषय बना हआ है। लगता है कांग्रेस के क्षत्रप सुरेश पचौरी के अतिविश्वस्त क्षेत्रीय सांसद उदय प्रताप सिंह को अलसेट देने के लिए यह किया जा रहा है।
बर्ड फ्लू का खतरनाक वायरस!
बर्ड फ्लू के मामले में दुनिया के चौधरी अमेरिका की पेशानी पर भी अब पसीने की बूंदे छलकने लगीं हैं। अमेरिका में बर्ड फ्लू के मामले में हुए शोध के बाद अमेरिका हरकत में आ गया है। अमेरिका को डर है कि अगर कहीं यह शोध आतंकियों के हाथ लग गया तो वे दुनिया भर में कहर बरपा सकते हैं। अमेरिकी सरकार के बाद अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बर्ड फ्लू के विवादास्पद शोध पर गहरी चिंता जताई है। डब्घ्ल्यूएचओ के मुताबिक इस तरह के शोध बेहद खतरनाक हैं। इन पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है। अमेरिका को डर है कि शोधपत्र की जानकारियों का इस्तेमाल आतंकवादी कर सकते हैं। डर तो इस बात का सता रहा है कि अगर यह वायरस किसी भी रास्ते से भारत की सरजमीं पर पहुंच गया तो यह यहां कहर बरपा सकता है। इस साल भी ठंड के मौसम में चिकन की बिक्री प्रभावित ही रहने की उम्मीद है।
पुच्छल तारा
देश की नीति निर्धारक संसद में सांसद और विधानसभाओं में विधायक क्या करते हैं यह बात धीरे धीरे सार्वजनिक होती जा रही है। इन सांसदों के आचरण को रेखांकित करते हुए गुजरात के अहमदाबाद से पियूष भार्गव ने एक ईमेल भेजा है। पियूश लिखते हैं कि बरसों पहले इंद्रप्रस्थ यानी अब की दिल्ली में सूनसान जगह पर एक पुराना पेड़ हुआ करता था। लोग इस पेड़ के आसपास भी नहीं फटकते थे, क्योंकि यहां बैठकर चोर डाकू अपना चौरी डकैती का माल आपस में बांटा करते थे। अब उस पेड़ की जगह पर पार्लियामेंट है।
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