ईमानदार वर्सेस ईमानदार की है जंग
सिंह, अंटोनी विवाद में सेना का पड़ला भारी
कांग्रेस से दो बार बगावत कर चुके हैं अंटोनी
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। यूं तो राजनीति को काजल की कोठरी कहा जाता है, किन्तु इस कोठरी में रक्षा मंत्री अर्कापरोबिल कुरीन अंटोनी, (ए.के.अंटोनी) को सियासी गलियारों में बेहद ईमानदार समझा जाता है पर पहली बार उनका पाला सेना के एक अन्य अति ईमानदार जनरल विजय कुमार सिंह से पड़ा है। दोनों ही ईमानदारों के बीच छिड़ी जंग में देश की जनता सियासत का साथ देने के बजाए अब सेना के साथ खड़ी नजर आ रही है।
रक्षा मंत्री अंटोनी ने राजनीति की काजल भरी कोठरी में संभल संभल कर चलते हुए अनेक मुकाम हासिल किए हैं। अब तक उनकी घोषित संपत्ति कुल 37 लाख 30 हजार 961 रूपए की है। जिसमें से चल संपत्ति सात लाख तीस हजार नो सौ इकसठ और अचल तीस लाख रूपए की है। सालों साल सियासत में रहने के बाद भी अंटोनी की संपत्ति इतनी कम होना ही उनकी ईमानदारी का परिचायक माना जा सकता है।
मूलतः कट्टर कांग्रेसी समझे जाने वाले ए.के.अंटोनी ने कांग्रेस से बगावत का झंडा दो मर्तबा उठाया है। पहली बार 1978 में देवराज अर्स के नेतृत्व वाली कांग्रेस अर्स में अंटोनी, वायलर रवि, शरद पंवार और अंबिका सोनी जैसी हस्तियों ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था। इसके बाद अंटोनी ने 1982 में कांग्रेस ए का गठन अपने ही नेतृत्व में किया। अमूमन पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की पूछ परख घर वापसी के बाद कम हो जाती है पर कांग्रेस में नेताओं की कमी का आलम यह है कि आज अंबिका सोनी, ए.के.अंटोनी, वायलर रवि कांग्रेस के कोटे से तो शरद पंवार राकांपा से मंत्री हैं।
उधर, दूसरी ओर अंटोनी से लगभग 11 साल छोटे जनरल विजय कुमार सिंह का अपना निराला अंदाज लोगों को अकर्षित किए बिना नहीं है। आयु विवाद में सरकार की नाक में दम करने वाले जनरल विजय कुमार सिंह के साथ देश के अधिकांश वाशिंदे खड़े नजर आ रहे हैं। हालात देखकर लगने लगा है कि मानो लोगों का जनसेवकों, राजनेताओं पर से विश्वास उठ गया हो। अंटोनी के करीबी भले ही उनके जबर्दस्त ईमानदार होने का दावा करें किन्तु उनके सामने खड़े ईमानदार जनरल के सामने अंटोनी को सरकार और जनता को जवाब देते नहीं बन पा रहा है।
रायसीना हिल्स स्थिति देश के सबसे ताकतवर और सत्ता के केंद्र साउथ ब्लाक में जनरल विजय कुमार सिंह और रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी का कार्यालय एक ही तल पर स्थित है। साउथ ब्लाक स्थित रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जबसे पत्र लीक हुआ है उसके बाद से जनरल सिंह और अंटोनी के बीच दुआ सलाम का आदान प्रदान भी नहीं हुआ है।
सत्ता और सेना के बीच खाई इस कदर खुद चुकी है कि वज़ीरे आज़म को पत्र लीक होने के मामले में जब संसद और प्रेस में रक्षा मंत्री अंटोनी सफाई दे रहे थे, तब सेना के प्रमुख उनके साथ ही नहीं थे। उस वक्त सेना प्रमुख जनरल विजय कुमार सिंह अपने तयशुदा प्रोग्राम के तहत जम्मू काश्मीर की वादियां निहार रहे थे। दोनों ही के बीच विरोधाभास उस वक्त भी नजर आया जब रक्षा मंत्री की प्रेस कांफ्रेंस के पहले ही जनरल के कार्यालय ने पत्र लीक होने के मामले में खण्डन जारी कर दिया।
रक्षा मंत्री अर्कापरोबिल कुरीन अंटोनी को सरवाईकल स्पोंडिलाईसिस की बीमारी है। उनकी गर्दन की इस बीमारी के चलते उन्हें बार बार चिकित्सकों से सलाह मशविरा करना पड़ता है, गर्दन की कसरत और गरदन में पट्टा भी बांधना पड़ता है। जब से जनरल विवाद आरंभ हुआ है तबसे अंटोनी को गर्दन के दर्द के लिए चिकित्सकों के पास जाने की फुर्सत भी नहीं मिल पाई है।
हर मामले में अपनी राय देने वाले कांग्रेस के अनेक क्षत्रपों की जनरल और अंटोनी विवाद में खामोशी भी रहस्यमय मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि मनमोहन सिंह के बाद प्रधानमंत्री या महामहिम राष्ट्रपति पद के लिए सोनिया गांधी की पहली पसंद हैं अंटोनी। इस विवाद से अंटोनी का ग्राफ और विश्वसनीयता तेजी से गिरी है, जिसका लाभ कांग्रेस के अनेक क्षत्रप उठाने की जुगत में दिख रहे हैं।
उधर, रक्षा मंत्री अर्कापरोबिल कुरीन अंटोनी के करीबी सूत्रों का कहना है कि जनरल विजय कुमार सिंह ने अंटोनी की रातों की नींद और दिन का चैन उड़कर रख दिया है। अंटोनी को तब तक आराम नहीं मिलने वाला जब तक जनरल सिंह सेवा निवृत नहीं हो जाते या फिर उन्हें जबरिया अवकाश पर नहीं भेज दिया जाता है।
1 टिप्पणी:
सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
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