सेनाध्यक्ष के साथ षडयंत्र बर्दाश्त नहीं
विरोध में चलेगा 36 बिरादरियों का राजपुताना संघर्ष
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)। सेना और सेनाध्यक्ष को दो चश्में से देखा नहीं जा सकता। सेना पर किसी प्रकार के लांछन से देश के लिए खून बहाने वाले सिपाहियों का दिल रोता है। इसलिए ऐसे संवेदनशील मामले में किसी प्रकार की राजनीति बेहद अफसोसजनक है। यह बात हरियाणा और राजस्थान के क्षत्रिय संगठनों के प्रतिनिधियों ने सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह के विवादों पर चर्चा करते हुए कही। रिटायर्ड मेजर जनरल एनबी सिंह ने कहा कि मीडिया को भी इस संवेदनशील मसले पर सधा हुई नजरिया रखना चाहिए।
श्री सिंह ने ऐलान किया कि देश में वर्तमान सेनाध्यक्ष जनरल सिंह की जन्मतिथि विवाद, हथियारों की खरीद में अनियमितता या मीडिया में आई खबर कि आगरा और हिसार से सेना की टुकड़ियों ने रायसीना हिल्स पर मार्च किया आदि विषयों पर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो जल्द ही इसके खिलाफ क्षत्रिय समाज जंतर-मंतर से देशव्यापी आंदोलन का आगाज कर सकता है। उन्होंने कहा कि अफसरशाही और सरकार के बीच अगर इसे लेकर कोई खिचड़ी पक रही है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री सिंह ने आरोप लगाया कि कुछ मुट्ठी भर लोग निहित स्वार्थों की वजह से सेना तक को नहीं बख्श रहे।
हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष वीर चक्र अनिल देवेंद्र सिंह ने कहा कि जन्म तिथि से जनरल का विवाद शुरू हुआ था, अंततः सुप्रीम कोर्ट के कहने पर मामला खत्म किया गया। अब जब उन्होंने फौज की सेहत ठीक नहीं होने की बात केंद्र सरकार को बताई तो बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आखिर कोई ऐसे कारनामों के पीछे है जो शायद हथियारों की खरीद-फरोख्त में घपले-घोटाले नहीं होने से बिफर उठा है और जनरल को बार-बार फंसाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है ताकि आगामी 20 सालों तक कोई ईमानदार व्यक्ति इस पद पर दोबारा आने से कतरायें।
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