लखनादौन प्रकरण में
भूरिया दिल्ली तलब!
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। आजादी
के बाद पचास सालों तक कांग्रेस का दामन थामने वाले सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य
लखनादौन विधानसभा क्षेत्र के तहसील मुख्यालय में नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के
चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा नामांकन दाखिल कर नाम वापसी के अंतिम दिन
पर्चा उठाने, प्रत्याशी
को 72 घंटे तक
कारण बताओ नोटिस जारी ना करने, कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने
वाले निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन की बात करने आदि की शिकायतों के मामले में मध्य
प्रदेश कांति लाल भूरिया को दिल्ली तलब किया गया है।
अखिल भारतीय
कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में लखनादौन नगर पंचायत के
अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी द्वारा निर्धारित बी
फार्म जमा कराने के पूर्व ही फार्म उठा लेने के बाद कांग्रेस की हुई दुगर्ति की
वास्तविकता को आलाकमान तक पहुंचाया गया है।
बताया जाता है कि
भोपाल एवं दिल्ली में कांग्रेस से जुड़े लोगों ने इन खबरों की कतरने और ऑन लाईन
मीडिया के लिंक भी कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के कार्यालय और महासचिव
राहुल गांधी के साथ ही साथ उनके सहयोगी कनिष्क सिंह तक पहुंचाए हैं। इन समाचारों
में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा जारी खबरों को प्रमुखता के साथ भेजा गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया जाकर प्रदेश
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को दिल्ली तलब किया है। भूरिया शनिवार
को दिल्ली प्रवास पर हैं।
ज्ञातव्य है कि पूर्व
में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया ने मंगलवार 19 जून को इस
संवाददाता के साथ चर्चा के दौरान कहा था कि अपने पर्यवेक्षक लखनादौन में वस्तु
स्थिति का पता करने भेजा है। पर्यवेक्षक के प्रतिवदेन के आते ही कांग्रेस द्वारा
निर्दलीय सुधा राय के पक्ष में समर्थन की घोषणा कर दी जाएगी। विदिशा लोकसभा
चुनावों का स्मरण कराते हुए जब श्री भूरिया से यह पूछा गया कि 48 घंटे बीतने के बाद
भी कांग्रेस द्वारा अध्यक्ष पद के रणछोड़दास प्रत्याशी को शोकाज नोटिस देने या
निलंबन की कार्यवाही क्यों नहीं की गई, तो उन्होनें कहा कि इस बारे में वे जिला
कांग्रेस कमेटी को कुछ भी कदम उठाने के लिए कह सकते हैं। इसके उपरांत पांच दिन बीत
जाने के बाद भी कांतिलाल भूरिया द्वारा इस बारे में कोई दिशा निर्देश जारी ना किया
जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
गौरतलब होगा कि जब
सुषमा स्वराज के खिलाफ कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी राजकुमार पटेल द्वारा नामांकन
नहीं भर पाया गया था तब कांग्रेस द्वारा उनके खिलाफ तत्काल कार्यवाही कर उन्हें
पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था, वस्तुतः सिवनी के
मामले में 48 घंटे
बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही ना किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
जब श्री भूरिया के
संज्ञान में यह बात लाई गई कि लखनादौन में जिस निर्दलीय प्रत्याशी को कांग्रेस
द्वारा समर्थन देने की बात कही जा रही है, उन्हीं के पुत्र दिनेश राय द्वारा वर्ष 2008 में सिवनी
विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और कांग्रेस भाजपा के परोक्ष समर्थन के चलते
इतिहास में पहली बार सिवनी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की
जमानत भी जप्त हो गई थी। इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली थी।
उधर, भूरिया के करीबी
सूत्रों का कहना है कि सिवनी के क्षत्रपों द्वारा दिनेश राय को प्रसन्न करने के
लिए नई नई चालें गढी जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार कांतिलाल भूरिया को यह कहकर
मनाया गया है कि कांग्रेस का प्रत्याशी मैदान में ना सही, पर भाजपा के
प्रत्याशी को निर्दलीय प्रत्याशी के हाथों परास्त कर प्रदेश में अब तक विधानसभा
उपचुनावों में हुई करारी हार का बदला अवश्य ही ले लिया जाएगा। इस तरह कांग्रेस
अपनी गल्ति को छिपाने के लिए निर्दलीय के कांधे पर सुनियोजित तरीके से बंदूक रखने
का कुत्सित प्रयास कर रही है।
कहा जा रहा है कि
कांति लाल भूरिया को जमीनी हकीकत का भान नहीं है। निर्दलीय के हाथों भाजपा को
हरवाने की हास्यास्पद बात कहकर कांग्रेस के क्षत्रपों द्वारा ना केवल दिनेश राय के
पक्ष में माहौल बनवाया जा रहा है वरन् पीसीसी के आला नेताओं को भरमाया जा रहा है।
नगर पंचायत का चुनाव भले ही कांग्रेस के बड़े नेताओं के लिए मायने ना रखता हो पर
कांग्रेस के गर्त में जाने के प्रमुख कारकों में से एक हो सकता है यह उदहारण।
सिवनी में चल रही
चर्चाओं के अनुसार चूंकि दिनेश राय द्वारा कांग्रेस के एक कद्दावर नेता हरवंश सिंह
ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा पूर्व में उस वक्त की थी जब सिवनी लोकसभा सीट
का कत्ल हो रहा था। इस सीट के अवसान के उपरांत दिनेश राय द्वारा सिवनी से विधानसभा
चुनाव बतौर निर्दलीय लड़ा गया था।
बताया जाता है कि
उस समय कांग्रेस की सिवनी सीट को राकांपा के साथ समझौते में चले जाने की चर्चाएं
जोरों पर थीं, किन्तु
अंतिम समय में कांग्रेस की ओर से प्रसन्न चंद मालू को मैदान में उतारा गया था।
वहीं दूसरी ओर भाजपा के दो बार के विधायक नरेश दिवाकर की टिकिट काटकर उनके स्थान
पर परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा सीट की अंतिम सांसद श्रीमति नीता पटेरिया
को सिवनी से भाजपा द्वारा मैदान में उतारा गया था।
पिछले विधानसभा चुनावों
में कांग्रेस और भाजपा में भीतराघात जमकर हुआ था। कांग्रेस की जमानत जप्त हुई और
श्रीमति नीता पटेरिया को जीत हासिल करने में एडी चोटी एक करना पड़ा था। इस दौरान
दिनेश राय पर अनेक आरोप भी लगे थे। कहा गया था कि एक साल नगर पंचायत लखनादौन का
कार्यकाल बचे रहने के बाद भी दिनेश राय ने सत्तर किलोमीटर दूर सिवनी की ओर रूख
किया है। इसके अलावा दिनेश राय द्वारा अपने कौल के हिसाब से हरवंश सिंह ठाकुर की
केवलारी विधानसभा की ओर रूख ना करना भी आश्चर्य मिश्रित नूरा कुश्ती का अंग ही
माना जा रहा था।
विधानसभा चुनावों
के दौरान कांग्रेस को पी पी कर कोसने वाले दिनेश राय के बारे में कहा जाता है कि
वे आरंभ से ही कांग्रेस में प्रवेश के इच्छुक बताए जा रहे थे। कहा जाता है कि
महात्वाकांक्षी राय का मानना था कि वे राहुल या सोनिया गांधी के समक्ष ही कांग्रेस
की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
इस बार नगर पंचायत
चुनावों की घोषणा के पहले भी इस तरह की कवायद की गई थी कि पिछले दरवाजे से दिनेश
राय की कांग्रेस में एंट्री हो जाए, किन्तु कांग्रेस के अनेक कार्यकर्ताओं के
मुखर विरोध के चलते यह कवायद परवान नहीं चढ़ सकी। कहा जा रहा है कि अब कांग्रेस
प्रत्याशियों द्वारा निश्चित रणनीति के तहत सुधा राय के पक्ष में मैदान छोड़ा गया
है।
इन बातों में
सच्चाई कितनी है यह तो दिनेश राय जाने या कांग्रेस के क्षत्रप किन्तु प्रदेश
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया द्वारा जब सुधा राय के पक्ष में
समर्थन की घोषणा की बात कही जाती है तो उक्त सारे समीकरणों के सही होने का भान
अपने आप ही होने लगता है।
गौरतलब होगा कि
मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद के बैंग्लुरू प्रवास के दौरान
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने उनसे संपर्क किया था तो उन्होंने कहा था कि यह मामला
स्थानीय निकाय का होने के कारण इस मामले में कांति लाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष
अजय सिंह से चर्चा कर उनका पक्ष लेने की बात कही गई किन्तु जब उनके समक्ष सच्चाई
लाई गई तो वे भी हत्प्रभ रह गए, और उन्होने इस मामले में दखल देने की बात
कही है।
प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के सूत्रों का कहना है कि दरअसल कांति लाल भूरिया को पर्यवेक्षक के
प्रतिवेदन का इंतजार नहीं है। वे इंतजार कर रहे हैं जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी के
अध्यक्ष के उस पत्र का जिसमें जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस
प्रत्याशी के नाम वापस लेने से उपजी परिस्थितियों में सुधा राय को कांग्रेस का
समर्थन देने की अनुशंसा की जाएगी। कांग्रेस के विरोध के चलते शायद जिला कांग्रेस
अध्यक्ष भी खामोशी ही अख्तियार किए हुए हैं।
कांग्रेस के अधिकृत
प्रत्याशी ने नाम कैसे वापस ले लिया? उसे कारण बताओ नोटिस क्यों जारी नहीं किया
गया? क्या सुधा
राय के पक्ष में कांग्रेस हथियार डाल देगी? छोटी छोटी सी बात पर चीख चीख कर मीडिया में
छाने वाले कांग्रेस के प्रवक्ताओं की फौज क्यों मौन धारण किए हुए है? इन सारे प्रश्नों
के जवाब के लिए जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी से संपर्क करने का
प्रयास किया गया किन्तु इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वे उपलब्ध नहीं हो सके हैं।
इसी बीच एक मजेदार
प्रसंग भी घटित हुआ। कांग्रेस द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी सुधा राय को समर्थन देने
की बात कही जा रही है। इसके साथ ही साथ सिवनी में एक चर्चा कर किसी की जुबान पर छा
गई है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा जिले के कांग्रेसी नेताओं से रायशुमारी
की जा रही है कि निर्दलीय दोनों में से विनिंग केंडीडेट कौन होगा? इस पर सभी का जवाब
एक ही आ रहा है, लखनादौन
में जीतेगा वही, जो अब तक
कांग्रेस को हराता आया है। इसके बाद भी अगर कांग्रेस द्वारा अपनी भद्द पिटवाकर
सुधा राय को समर्थन की घोषणा की जाती है तो कांग्रेस में भूचाल आने से कोई नहीं
रोक सकेगा।
इस पूरे मामले में
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया से संपर्क करने का प्रयास किया
गया किन्तु उनका मोबाईल सदा की ही भांति बंद मिला। उनके निज सचिव श्री कक्कड़ ने
बताया कि वे भोपाल में हैं और भूरिया जी दिल्ली में। प्रदेश के प्रभारी महासचिव
बी.के.हरिप्रसाद से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु उन्होंने संभवतः
व्यस्तता के चलते मोबाईल नहीं उठाया।
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