देश के पास अगला
वित्त मंत्री नहीं होगा!
पीएम के साथ एफएम भी होंगे मन
अर्थशास्त्री का मन रीझ रहा वित्त मंत्रालय
के लिए
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
मीडिया में अनेक बार इस तरह की खबरें साार्वजनिक हुईं कि भारत गणराज्य के वज़ीरे
आज़म डॉ.मनमोहन सिंह अपने आप को देश का प्रधानमंत्री से ज्यादा वित्त मंत्री ही
मानते हैं, यही कारण
है कि वे वित्त को छोड़कर अन्य मामलों में कसावट करने में अपने आपको पूरी तरह अक्षम
ही पाते हैं, यह अलहदा
बात है कि वे देश की अर्थव्यवस्था को भी सुधार पाने में स़क्षम नहीं हो पाए हैं।
प्रणव मुखर्जी के वित्त मंत्री पद से त्यागपत्र के उपरांत वित्त मंत्रालय अपने पास
रखना मनमोहन सिंह की पहली प्रथमिकता हो सकती है।
प्रणव मुखर्जी की
उम्मीदवारी के साथ ही यह साफ हो गया था कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह देश के
अगले राष्ट्रपति नहीं होंगे, वे कुछ समय तक और प्रधानमंत्री आवास का
लुत्फ उठाएंगे। प्रणव मुखर्जी के त्यागपत्र के उपरांत रिक्त होने वाले केंद्रीय
वित्त मंत्रालय के प्रभार को प्रधानमंत्री अपने ही पास रख सकते हैं। कयास लगाए जा
रहे हैं कि अब देश के पास अगला वित्त मंत्री नहीं होगा कहने का तात्पर्य यह कि प्रधानमंत्री
ही अपने दायित्वों के साथ अगले वित्त मंत्री हो सकते हैं।
इसके पीछे कारण यह
बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा मनमोहन सिंह को
अल्टीमेटम दिया गया है कि वे बेहतर अर्थशास्त्री होने की बात को प्रमाणित करें और
जल्द ही देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएं। इसके लिए मनमोहन सिंह को वित्त
मामलों में फ्री हेण्ड मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
पीएमओ के सूत्रों
का कहना है कि चूंकि प्रणव मुखर्जी का संसदीय जीवन बेहद लंबा था और मनमोहन सिंह
पहले प्रणव मुखर्जी के मातहत रह चुके हैं अतः नार्थ ब्लाक में प्रणव मुखर्जी के
रहते मनमोहन सिंह के द्वारा अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाना दुष्कर ही साबित हो रहा
था। कांग्रेस के अंदर भी देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर जमकर तलवारें पज रही
हैं।
सूत्रों का कहना है
कि अनेक बार कैबनेट और कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अर्थव्यवस्था को लेकर जमकर
हंगामा हुआ। कांग्रेस के सदस्यों का कहना था कि वे देश की पटरी पर से उतरी
अर्थव्यवस्था के लिए प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन ंिसह या वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी
में से किसे जिम्मेवार समझें?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें