प्रणव के लिए
लाबिंग कर रहा त्रिफला!
नया समीकरण उभरा है कांग्रेस में शीर्ष
स्तर पर
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली अखिल भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस में नया समीकरण उभरकर सामने आ रहा है। इस नए समीकरण में सत्ता
की धुरी अब पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा से संसदीय सौंध पहुंचने वाले दो महारथियों
के साथ एक उद्योगपति के इर्दगिर्द घूमती दिख रही है। देश की आर्थिक नीतियां
उद्योगपतियों के दबाव में बनाने के आरोप तो पहले से ही लगते रहे हैं पर अब राजनीति, पत्रकारिता की
जुगलबंदी में अर्थजगत का तड़का लगने से देश नए पथ पर अग्रसर हो सकता है, जिसका अंत अंधेरी
सुरंग का मुहाना होगा या प्रकाश पुंज, कहा नहीं जा सकता है।
कांग्रेस के संकट
मोचक समझे जाने वाले वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के महामहिम राष्ट्रपति के लिए
कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होते ही कांग्रेस के अंदर यह खदबदाहट तेज हो गई थी कि
अब प्रणव का स्थान कौन लेगा। संकट काल में कांग्रेस की नैया को कौन किनारे लगाएगा? साथ ही साथ प्रणव
मुखर्जी के लिए जादुई आंकड़ा कौन जुटाने में सक्षम होगा?
कांग्रेस के उच्च
पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रणव मुखर्जी के परिदृश्य से हटते ही कांग्रेस
अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल एकाएक तेजी से ताकतवर
होकर उभरे हैं। इस मामले में उन्होंने अपने सारे घोड़े एक साथ छोड़ दिए, और प्रणव मुखर्जी
के लिए समर्थन जुटाना आरंभ कर दिया।
सूत्रों का कहना है
कि अहमद पटेल ने अपने सहयोग के लिए मूलतः पत्रकार रहे केंद्रीय मंत्री राजीव
शुक्ला का साथ लिया। शुक्ल और पटेल ने मिलकर ममता मुलायम की जुगलबंदी पर विराम
लगाने की जुगत लगाई। इसके लिए मुलायम के करीबी रहे अंबानी बंधुओं को सबसे पहले
साधा गया। अंबानी बंधुओं के मार्फत ही सारा खेल बदल डाला गया।
सूत्रों के अनुसार
अहमद पटेल और राजीव शुक्ला के कहने पर अनिल अंबानी ने मुलायम सिंह के घर जाकर उनसे
संपर्क किया और ममता का साथ छोड़कर कांग्रेस के पक्ष में आने का माहौल बनाया। अनिल
पर आंख बंदकर विश्वास करने वाले मुलायम सिंह यादव ने ममता को छोड़कर यू टर्न लिया
और प्रणव के पक्ष में आकर खड़े हो गए। अनिल और मुलायम के विमर्श के उपरांत पटेल
शुक्ल की जोड़ी ने बाकी संभावनाओं पर विमर्श करना आरंभ किया।
सूत्रां का कहना है
कि इसके बाद मुकेश अंबानी को सिद्ध किया गया। मुकेश ने ना नुकुर के बाद कांग्रेस
के पाले में आना स्वीाकर किया। मुकेश के सहारे पटेल शुक्ल ने मुंबई में ही शिवसेना
सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे को अपने पक्ष में करने में सफलता पा ली। शिवसेना का
दादा को समर्थन मिलते ही राजीव शुक्ला और अहमद पटेल एक बार फिर सक्रिय बताए जा रहे
हैं।
अब दोनों के निशाने
पर राजग था। राजग में भी दो फाड़ करवाकर इन्होंने अपनी उपयोगिता को कांग्रेस की
राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के समक्ष सिद्ध कर दी है। उधर, राकांपा से मिलकर
पी.ए.संगमा को भी बाहर का रास्ता दिखाकर राकांपा को संप्रग का मजबूत घटक फिलहाल तो
साबित करवा ही दिया है दोनों सियासी जानकारों नें।
सियासी गलियारों
में कांग्रेस के नए त्रिफला की चर्चाएं अब होने लगी हैं। राजनीति (अहमद पटेल), मीडिया (राजीव
शुक्ला) के साथ अब अर्थ जगत (अंबानी बंधुओं) का त्रिफला कांग्रेस के लिए नई ताकत
बनकर उभर रहा है। माना जा रहा है कि यही त्रिफला आने वाले समय में देश का सियासी
हाजमा ठीक करने में कारगर होकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के 7, रेसकोर्स रोड़ (भारत
गणराज्य के प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) जाने के मार्ग प्रशस्त करने वाला है।
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