एमपी नहीं मालवा के
कांग्रेस अध्यक्ष हैं भूरिया!
बी.के.हरिप्रसाद पर भी आ रही आंच
महाकौशल को अनाथ छोड़ा कांग्रेस के नेताओं
ने
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। क्या
महाकौशल क्षेत्र को सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली
कांग्रेस द्वारा अनाथ छोड़ दिया गया है? इस क्षेत्र का कोई धनी धोरी नहीं रह गया है? क्या महाकौशल की
माटी कांग्रेस के सपूतों से रीत गई है? क्या महाकौशल के सारे कांग्रेसी योद्धा
वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं? क्या कांतिलाल भूरिया महज मालवा की कांग्रेस
कमेटी के अध्यक्ष हैं? इस तरह के प्रश्न महाकौशल अंचल की सियासी फिजां में गूंज रहे
हैं।
मध्य प्रदेश में
स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 5 जुलाई को मतदान होना है। महाकौशल के कमोबेश
हर जिले में (सिवनी को छोड़कर) स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की प्रतिष्ठा
दांव पर लगी हुई है। बावजूद इसके महाकौशल की ओर नजरें इनायत करने किसी भी कांग्रेस
के नेता को चिंता नहीं है। कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी उस वक्त उभरकर सामने आ जाती
है जब महाकौशल के ही क्षत्रप स्थानीय निकाय चुनावों से खुद को दूर रखे हुए हों।
गौरतलब है कि
महाकौशल अंचल में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ
(छिंदवाड़ा), रामेश्वर
नीखरा (नरसिंहपुर),
बसोरी सिंह मसराम (मण्डला सिवनी), उदय प्रताप सिंह
(होशंगाबाद, नरसिंहपुर), हरवंश सिंह ठाकुर
(सिवनी), दीपक
सक्सेना (छिंदवाड़ा),
तेजी लाल सरेयाम (छिंदवाड़ा), संजय पाठक (कटनी), निथीश पटेल (कटनी), लखन घनघोरिया
(जबलपुर), गंगा बाई
उरेती (डिंडोरी), ओमकार सिंह
मरकाम (डिंडोरी), नारायण
सिंह (मण्डला), प्रदीप
जायस्वाल (बालाघाट),
विश्वेश्वर भगत (बालाघाट), नर्मदा प्रसाद
प्रजापति (नरसिंहपुर), साधना स्थापक (नरसिंहपुर), सुनील जायस्वाल
(नरसिंहपुर), चौधरी मेर
सिंह (छिंदवाड़ा) आदि का शुमार है।
बावजूद इसके किसी
ने भी स्थानीय निकाय के चुनावों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास नहीं
किया है। हद तो भगवान शिव की नगरी सिवनी में लखन कुंवर की नगरी लखनादौन में हो गई
जहां कांग्रेस ने सीधे सीधे भाजपा अथवा किसी कारण विशेष से एक निर्दलीय के सामने
घुटने टेक दिए। मतदान से महज 36 घंटे पहले भी कांग्रेस ने किसी भी
प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है।
उल्लेखनीय होगा कि
नाम वापसी के वक्त मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने कहा
था कि उनके संज्ञान में यह बात लाई गई है कि लखनादौन में कांग्रेस के उम्मीदवार
द्वारा नाम वापस लेने से अब अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं रह
गया है। 18 जून को
श्री भूरिया ने कहा था कि कांग्रेस द्वारा एक निर्दलीय को अपना डमी खड़ा करवाया था
और उसे ही कांग्रेस समर्थन की घोषणा कर देगी।
उस वक्त निर्दलीय
प्रत्याशियों में से एक श्रीमति सुधा राय थीं, जिनके अघोषित चुनाव
संचालक उनके पुत्र दिनेश राय हैं। गोरतलब है कि दिनेश राय द्वारा पूर्व में नगर
पंचायत लखनादौन के उपाध्यक्ष रहते हुए सिवनी से विधानसभा का चुनाव लड़ा था और इनके
कारण ही कांग्रेस प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत जप्त हो गई थी। इसके अलावा
नूर बी भी निर्दलीय प्रत्याशी हैं।
इन दोनों में से
कांग्रेस ने किसे डमी केंडीडेट के बतौर खड़ा किया गया है, यह बात अभी तक साफ
नहीं हो सकी है। इस बारे में जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा मध्य प्रदेश के
प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद से चर्चा की गई थी तो उन्होंने कहा था कि वे
बंग्लुरू में हैं और आकर इस संबंध में पड़ताल करेंगे कि एसा आखिर कैसे हुआ? लगभग पंद्रह दिन
बीतने के बाद भी हरिप्रसाद की चुप्पी से शक की सुई उनकी ओर भी घूमती नजर आ रही है।
इस संबंध में जब
कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने दो
टूक शब्दों में कह दिया कि किसे प्रत्याशी बनाना है किसे समर्थन देना है यह उनका
काम नहीं है। इस संबंध में जो भी जानकारी लेना है वह जानकारी प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया से ही ली जाए।
जब प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया से उनके मोबाईल पर संपर्क करने का प्रयास किया
गया तो उनका मोबाईल सदा की ही भांति स्विच्ड ऑफ ही मिला। श्री भूरिया के निज सचिव
प्रवीण कक्कड़ ने दूरभाष पर बताया कि वे श्री भूरिया के साथ नहीं हैं, और श्री भूरिया
मालवा में सरदारपुर में व्यस्त हैं।
यहां उल्लेखनीय
होगा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया ने महाकौशल अंचल को
अपनी प्राथमिकता सूची से एकदम बाहर ही कर रखा है। इन चुनावों में उन्होंने मालवा
को छोड़कर अन्य किसी अंचल में रूख ही नहीं किया है। अब तो कांग्रेस के ही लोग
उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की बजाए मालवा कांग्रेस कमेटी का
अध्यक्ष मानने लगे हैं।
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