बुधवार, 4 जुलाई 2012

राजीव, जेल सिंह के रिश्तों की तल्खी ने गिराई महामहिम की साख!


खण्डित हो गई है राष्ट्रपति भवन की गरिमा! . . . 3

राजीव, जेल सिंह के रिश्तों की तल्खी ने गिराई महामहिम की साख!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। ज्ञानी जेल सिंह को देश का महामहिम राष्ट्रपति बनाकर कांग्रेस ने पंजाब में हुए अत्याचारों पर मरहम लगाने का प्रयास किया किन्तु जब राजीव गांधी ने देश की कमान संभाली उसके बाद राजीव और जेल सिंह के बीच रिश्तों में जबर्दस्त तल्खी महसूस की जाने लगी। इसी के चलते रायसीना हिल्स स्थित महामहिम आवास की गरिमा को ठेस लगना आरंभ हो गया।
राष्ट्रपति भवन के सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच रिश्ते इस कदर खराब हो गए थे कि राजीव सरकार ने महामहिम को सबक सिखाने के लिए उनके विदेश दौरों पर ही अघोषित प्रतिबंध लगा दिया था।
लंबी चली वर्चस्व की लड़ाई के अंतिम समय राजीव सरकार ने तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति को विदेश दौरे पर जाने की अनुमति दी। वे लंबे समय के उपरांत इकलौते विदेश भ्रमण पर यूगोस्लाविया, ग्रीस और पोलेण्ड राजकीय यात्रा पर जा सके। इस दौरान राजीव सरकार को खासी आलोचना का भी सामना करना पड़ा था। राजीव गांधी पर ज्ञानी जेल सिंह को दुबारा महामहिम चुनाव लड़ने के लिए उस समय चालीस करोड़ रूपए की रिश्वत देने के आरोप भी लगे थे।
सेवा निवृत्ति के बाद भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपतियों को सरकारी आवास की सुविधा की नज़ीर तो नहीं मिलती किन्तु पंजाब की आतंकवादी धमकियों के चलते ज्ञानी जेल सिंह को चाणक्यपुरी में एक सरकारी आवास अवंटित करवा दिया गया। इसके बाद से सेवा निवृत महामहिम राष्ट्रपतियों ने सेवानिवृति के साथ ही सरकारी आवास का आवंटन पेंशन के साथ ही साथ अपना सबसे बड़ा हक समझा जाने लगा है।
इसी माह रिटायर होने वाली देश की पहली महामहिम महिला राष्ट्र प्रमुख प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने पुणे के खिड़की में केंटोनमेंट क्षेत्र में बंग्ला बनाने का सपना देखा तो विवादों में फंस गईं। मीडिया में बार बार खबरें उछलने पर मजबूरी में प्रतिभा ताई को अपना विचार ही त्यागना पड़ा।

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